-अवध विवि में हिन्दी पखवाड़ा के प्रतियोगी विजेताओं को पुरस्कृत किया गया
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. प्रतिभा गोयल के दिशा-निर्देशन में हिंदी भाषा एवं प्रयोजनमूलक विभाग तथा क्षेत्रीय भाषा केंद्र और बैंक ऑफ बड़ौदा के संयुक्त संयोजन में हिंदी पखवाड़ा का समापन किया गया। शुक्रवार को प्रचेता भवन में राजभाषा प्रबंधन विषय पर संगोष्ठी एवं विभिन्न प्रतियोगिता के प्रतिभागी विजेताओं को सम्मानित किया गया। जिसमें कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी भाषा एवं प्रयोजनमूलक विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो0 सूर्य प्रसाद दीक्षित, विभाग के समन्वयक डॉ0 सुरेन्द्र मिश्र, शिक्षकों एवं पदाधिकारियों द्वारा निबंध प्रतियोगिता में बीए के छात्र अतुल तिवारी को प्रथम, एमए इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व की शिवानी राय को द्वितीय, आदर्श तिवारी एमए हिन्दी विभाग तृतीय एवं सांत्वना पुरस्कार गार्गी बंधुजा, दयानंद मिश्र, नेहा गुप्ता, श्रीकांत यादव एवं कविता को प्रमाण-पत्र एवं धनराशि से पुरस्कृत किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो0 सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि हिन्दी भाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं है बल्कि यह संस्कारों व संस्कृति की भाषा है। उन्होंने कहा कि यह मनुष्यों के अंदर संवेदना व्यक्त करने वाली भाषा है। अंग्रेजी बोलने से पहले हमें अनुवाद की सहायता लेनी पड़ती थी। हिंदी हमारे मौलिक चिंतन की भाषा है जिस भाषा में हम सपने देखते हैं वही भाषा हम संप्रेषित करते हैं। कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि अंग्रेजी का प्रयोग साढे तीन प्रतिशत लोग करते हैं। जबकि 85 प्रतिशत जनता की भाषा हिंदी है जो गांव की भाषा है।
उन्होंने कहा कि आदर्श लोकतंत्र हम उसी को मानते हैं जब गांव की भाषा सीधे दिल्ली तक पहुंचे। कार्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर जोर देते हुए प्रो0 दीक्षित ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में मातृ भाषा ही नई शिक्षा नीति का माध्यम बनेगी। उन्होंने कहा कि हमें अपने लोक संस्कृति को बचाने की आवश्यकता है। हमें अपनी संस्कृति की जड़ों की ओर लौटना है जो हमारे चरित्र निर्माण कर सके। उन्होंने राजभाषा के अभिप्राय को बतलाते हुए कहा कि राजभाषा जब समर्थ रूप में हो जाएगी तब वह स्वयं राष्ट्रभाषा बन जाएगी।
कार्यक्रम में सेंट्रल बैंक के राजभाषा अधिकारी सुरेंद्र यादव ने कहा कि हिंदी को केवल एक दिवस के रूप में नहीं मनाया जाना चाहिए। हम हिंदी विषय की चर्चा करें, उपदेश के रूप में नहीं बल्कि तर्क के रूप में लोगों के बीच में रखी जाए। उन्होंने अंग्रेजी के वर्तनी दोष को गिनाते हुए हिंदी की सहज, सुगमता इसकी वैज्ञानिकता पर जोर डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिंदी भाषा एवं प्रयोजनमूलक विभाग के समन्वयक डॉ0 सुरेंद्र मिश्रा ने कहा कि भारतीय भाषा में केवल हिंदी ऐसी ऐसी भाषा है जो अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाती है। यह भाषा संपर्क माध्यम के रूप में प्रयोग के लिए सभी को सीखना चाहिए।
इस अवसर पर हिंदी भाषा में प्रयोजन मूलक विभाग की डॉ0 सुमन लाल द्वारा स्वागत उद्बोधन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुमन व डॉ0 प्रत्याशा मिश्रा द्वारा किया गया। अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन क्षेत्रीय भाषा की डॉ. स्वाति सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ. विजयेन्दु चतुवेदी, डॉ. दिव्या वर्मा, डॉ. अनिल कुमार विश्वा, डॉ. आरएन पाण्डेय, डॉ. निहारिका सिंह, डॉ. अंकित मिश्रा, डॉ. स्नेहा पटेल सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद रहे।