-बुधवार को सुबह 7 बजे से शुरू होगा मतदान, सपा-भाजपा के बींच मुख्य मुकाबला
अयोध्या। 273-मिल्कीपुर (अ0जा0) विधानसभा उप चुनाव का मतदान बुधवार को सुबह सात बजे से शुरू होगा। इसी के साथ लगभग एक महीने तक चली हलचल को मतदान के साथ विराम लग जाएगा।पोलिंग पार्टियां मतदान केंद्रों पर पहुंच गई है। सशस्त्र पुलिस बल ने मतदान के लिए मोर्चा संभाल लिया है। चुनाव लड़ रहे 10 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला तीन लाख 70 हजार 829 मतदाता ईवीएम में कैद करेंगे। महिला मतदाता एक लाख 77 हजार 838 व पहली बार मतदाता बने 4811 हैं।
विधानसभा क्षेत्र की सभी सीमाएं सील रहेंगी। मतदान समाप्ति तक किसी बाहरी को प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। मुख्य मुकाबला समाजवादी पार्टी के अजीतप्रसाद व भारतीय जनता पार्टी के चंद्रभानु पासवान के बीच है। मौलिक अधिकार पार्टी के रामनरेश चौधरी, राष्ट्रीय जनवादी की सुनीता, आजाद समाज पार्टी के संतोषकुमार, अरविंदकुमार, कंचनलता, भोलानाथ, वेदप्रकाश व संजय पासी भी चुनाव मैदान में हैं। राजकीय इंटर कालेज के मैदान से मतदान कराने के लिए पोलिंग पार्टियां मंगलवार को रवाना हुईं। जिला निर्वाचन अधिकारी चंद्र विजय सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजकरन नय्यर आदि अधिकारी मौजूद रहे।
414 मतदेय स्थलों में 10 प्रत्याशियों के लिए 3,71,578 मतदाता करेंगे मतदान
उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि जनपद अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के उप निर्वाचन-2025 हेतु 05 फरवरी, 2025 को मतदान होगा। मतदान प्रातः 7.00 बजे से शुरू होकर सायं 5.00 बजे तक चलेगा। सायं .00 बजे मतदान हेतु बनी मतदाताओं की पंक्ति में खडे़ समस्त मतदाताओं का मत पड़ने तक मतदान की प्रक्रिया जारी रहेगी। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण चुनाव हेतु व्यापक इंतजाम एवं सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित कराई गई है।
उन्होंने बताया कि 273 मिल्कीपुर(अ0जा0) विधान सभा में उप निर्वाचन के लिए 414 मतदेय स्थल बनाये गये हैं, जिसमें कुल 3,71,578 मतदाता अपने मतदान का प्रयोग करेंगे, इसमें 1,93,417 पुरूष, 1,78,153 महिला व 08 तृतीय लिंग मतदाता हैं। कुल 10 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनमें 02 महिला प्रत्याशी भी हैं। उक्त उप निर्वाचन में कुल 414 मतदेय स्थल(पोलिंग बूथ) तथा 255 मतदान केन्द्र (पोलिंग स्टेशन लोकेशन) हैं, जिसमें से 71 मतदेय स्थल क्रिटिकल हैं। मतदान पर सतर्क दृष्टि रखने के लिए 01 सामान्य प्रेक्षक, 01 पुलिस प्रेक्षक तथा 01 व्यय प्रेक्षक के साथ 41 सेक्टर मजिस्ट्रेट, 4 जोनल मजिस्ट्रेट तथा 71 माइक्रो ऑब्जर्वर भी तैनात किये गये हैं। चुनाव को शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराने हेतु पर्याप्त मात्रा में अर्द्ध सैनिक बलों की तैनाती की गई है। स्ट्रांग रूम की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी अर्द्ध सैनिक बलों को दी गयी है।
उन्होंने बताया कि 210 मतदेय स्थल पर लाइव वेबकास्टिंग की व्यवस्था की गयी है, जिसका पर्यवेक्षण जिला निर्वाचन अधिकारी, मुख्य निर्वाचन अधिकारी एवं भारत निर्वाचन आयोग द्वारा किया जायेगा। इसके अतिरिक्त 25 मतदेय स्थलों पर वीडियोग्राफी की भी व्यवस्था की गई है। मतदाता के लिए किसी मतदेय स्थल पर वोट डालने हेतु उस मतदेय स्थल की मतदाता सूची में नाम होना अनिवार्य है। जब कोई मतदाता मतदान हेतु जाता है तो उसे अपनी पहचान सुनिश्चित करने हेतु मतदाता फोटो पहचान पत्र या भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मान्य अन्य 12 पहचान पत्र दस्तावेजों में से किसी एक को मतदान अधिकारी के समक्ष अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करना होगा।
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अन्य 12 पहचान पत्र दस्तावेज (यथा-आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, बैंकों/डाकघरों द्वारा निर्गत फोटोयुक्त पासबुक, श्रम मंत्रालय की योजना के अन्तर्गत निर्गत स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, एनपीआर के अन्तर्गत आरजीआई द्वारा निर्गत स्मार्ट कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज, केन्द्र/राज्य सरकार/लोक उपक्रम/पब्लिक लिमिटेड कम्पनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को जारी किये गये फोटोयुक्त सेवा पहचान पत्र, सांसदों/विधायकों/विधान परिषद सदस्यों को जारी किये गये सरकारी पहचान पत्र और यूनिक डिसएबिलिटी आईडी(यूडीआईडी) कार्ड, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार) मतदेय स्थल पर मतदाताओं की पहचान किये जाने हेतु मान्य किये गये हैं।
उन्होंने बताया कि मतदाताओं को अपनी मतदेय स्थल संख्या एवं क्रम संख्या की जानकारी हो सके, इसके लिए बीएलओ द्वारा मतदाता पर्ची मतदाताओं को वितरित की गयी हैं। बीएलओ द्वारा 97 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं को मतदाता पर्ची का वितरण किया जा चुका है। मतदाता पर्ची में मतदाता की सहायता हेतु मतदेय स्थल संख्या एवं मतदाता क्रमांक का विवरण रहता है। यदि यह पर्ची मतदाता के पास है और वह इसे लेकर पहचान पत्र के साथ मतदान अधिकारी के समक्ष जाता है तो मतदाता सूची में मतदाता क्रम संख्या देखने में मतदान अधिकारी को सुविधा होती है तथा समय की बचत भी होती है। यदि किसी मतदाता के पास मतदाता पर्ची नहीं है तो मतदाता को इस आधार पर मतदान करने से रोका नहीं जायेगा। मतदाता पर्ची का मतदाता के पास होना अनिवार्य नहीं है।
मतदाताओं की सहायता हेतु मतदेय स्थल पर बीएलओ उपलब्ध रहेंगे, यदि किसी मतदाता के पास मतदाता पर्ची नहीं है तथा उसे अपनी क्रम संख्या नहीं पता है तो वह संबंधित मतदेय स्थल के बीएलओ से अपनी क्रम संख्या की जानकारी कर सकता है ताकि मतदान अधिकारी के समक्ष क्रम संख्या बताने से मतदान अधिकारी को सुविधा होगी।
उन्होंने कहा कि मतदाताओं को मतदान के दिन मतदेय स्थल के अन्दर मोबाइल फोन, स्मार्ट फोन आदि ले जाना मना है। मतदान प्रतिशत की जानकारी 2-2 घण्टे पर मीडिया को प्रेषित की जायेगी। उक्त के अतिरिक्त वोटर टर्नआउट एप एवं मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश के सोशल मीडिया हैण्डलस् पर भी उपलब्ध रहेगी। मतदान से संबंधित कोई भी शिकायत 18001801950 पर काल करके दर्ज करायी जा सकती है।
सपा को प्रदर्शन दोहराने की तो भाजपा को उससे सीट छीनने की चुनौती
-मिल्कीपुर विधानसभा का उप चुनाव दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। मुकाबला समाजवादी पार्टी की अजीत प्रसाद व भारतीय जनता पार्टी की चंद्रभानु पासवान की बीच है। वैसे तो इनको मिलाकर 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। लेकिन यह सभी आठ मुकाबले से बहुत दूर दिखते हैं। बुधवार को सुबह 7ः00 बजे से शुरू होने वाले मतदान के लिए पुलिंग पार्टियां राजकीय इंटर कॉलेज की मैदान से मतदेय स्थलों के लिए जाने लगी हैं। समाजवादी पार्टी को विधानसभा 2022 व लोकसभा 2024 के चुनाव परिणाम जहां दोहराने की चुनौती है, वहीं भाजपा के सामने समाजवादी पार्टी से इस प्रतिष्ठापरक सीट को छीनने की।
भारतीय जनता पार्टी ने जिस आक्रामक ढंग से चुनाव प्रचार किया, समाजवादी पार्टी ने भी उसी अंदाज में उसको जवाब दिया। यूपी चुनाव का महक सत्ता पक्ष के लिए इसी से आंख आ जा सकता है की योगी सरकार के कई मंत्री के अलावा मुख्यमंत्री भी कई बार मिल्कीपुर आना पड़ा। वह भी तब जब इस एक सीट की हार जीत से उनकी सरकार की सेहत पर कोई प्रभाव न नहीं पड़ेगा।
फैजाबाद (अयोध्या) लोकसभा सीट का हिस्सा होने से यह इसलिए महत्वपूर्ण सत्ता पक्ष के लिए बन गई की 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से निर्वाचित अवधेश प्रसाद को 2024 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद जनता ने चुन लिया। वह भी सामान्य सीट से। मिल्कीपुर विधानसभा सीट सुरक्षित श्रेणी की है। अवधेश प्रसाद लोकसभा की समान्य सीट से जीते हैं, उसे अयोध्या से जिसे भारतीय हिंदू जनता पार्टी हिंदुत्व की सबसे बड़ी प्रयोगशाला मानती आई है। उसे ना भूल पाने का दर्द ही मिल्कीपुर का विधानसभा उपचुनाव बन गया है जिसमें भाजपा के सामने सांसद अवधेश प्रसाद के पुत्र अजीत प्रसाद उम्मीदवार है।
वह इसे बड़े अंतर से जीत कर अवधेश प्रसाद को एक्सीडेंटल सांसद साबित करना चाहती है। मिल्कीपुर की जनता को यह तय करना है कि वह समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रधान के साथ है या फिर भारतीय जनता पार्टी के साथ। आठ फरवरी तक इसका इंतजार करना होगा। मतगणना आठ फरवरी को है उसी दिन चुनाव परिणाम आ जाएगा। अवधेश प्रसाद बेटे को जीत पाएंगे या भाजपा उनसे यह सीट छीन आठ महीने बाद इसका बदला ले लेगी। यह देखना होगा। लोकसभा का चुनाव परिणाम चार जून 2024 को आया था।
उपचुनाव का प्रचार समाप्त होने तक सबसे खास बात यह रही समाजवादी पार्टी व भारतीय जनता पार्टी ने इसे हिंसक नहीं होने दिया। आरोप व प्रत्यारोप के बीच प्रचार शांतिपूर्ण निपट गया। पुलिस प्रशासन से ज्यादा इसमें भूमिका दोनों राजनीतिक दल के नेताओं की है।
सांसद अवधेश प्रसाद ने सीएम के ’कुत्ता’ कहने को अयोध्या के सम्मान से जोड़ा
-सांसद अवधेश प्रसाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला बोला है। मौका चुना मुख्यमंत्री के हमले के 48 घंटे बाद मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव की पूर्व संध्या का।मुख्यमंत्री के ’कुत्ता’ कहे जाने वाले बयान को अनुसूचित जाति के स्वाभिमान से ही नहीं अयोध्या की जनता से भी जोड़ा। बोले, मुख्यमंत्री का उनको ’कुत्ता’ कहना अयोध्या की उस जनता का अपमान है जिसने 2024 के लोकसभा चुनाव में उनको सांसद बनाकर दिल्ली भेजा है। शाने अवध में पत्रकार वार्ता में संदर्भ दो फरवरी को सर्वोदय इंटर कालेज में जनसभा में मुख्यमंत्री के भाषण का दिया। उपचुनाव में सांसद से उस जीत का बदला लेने के लिए जनता का उसकाने का आरोप लगाया।
कहाकि पासी समाज उदा देवी व बिजली पासी की संतान हैं। जब यह समाज देश की आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों से नहीं डरा तो बाबा साहब का संविधान मिटाने का चाहत रखने वाले नहीं डरेगा। चुनाव में जनता भाजपा को उसके बदला लेने का जवाब देगी। कहाकि यह वही लोग हैं जो बाबा साहब का संविधान बदलना चाहते थे। पीडीए की ताकत से प्रदेश में पार्टी ने ऐसे पटकनी दी कि उसकी टीस मिल्कीपुर के विधानसभा उपचुनाव में भी उसे नहीं भूल पा रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने उनके सांसद निर्वाचित होने के बाद पुत्र अजीतप्रसाद को उम्मीदवार बनाया है। सरकारी तंत्र के सहयोग से पार्टी कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न का आरोप लगाया।
पार्टी समर्थकों को रेड कार्ड जारी कर बुधवार के दिन मतदान प्रभावित करने का प्रयास बताया। उपचुनाव वाले क्षेत्र में करीब 10 हजार पार्टी कार्यकर्ताओं को शांतिभंग में पाबंद किया गया है। जिला निर्वाचन अधिकारी से अपेक्षा कि निष्पक्ष मतदान के लिए किसी मतदाता को न रोका जाए। इसके लिए जिला निर्वाचन अधिकारी, आइजी व निर्वाचन आयोग के संज्ञान में लाने को कहा।
मित्रसेन नहीं, फिर भी मिल्कीपुर उपचुनाव का केंद्र बने
-पूर्व सांसद मित्रसेन यादव अब नहीं है। करीब नौ वर्ष से ज्यादा हो गये उनके निधन को। मिल्कीपुर उपचुनाव में वह इस तरह प्रासंगिक रहे जैसे पहले स्वयं चुनाव लड़ते रहे। समाजवादी पार्टी के छोटे से लेकर बड़े नेता के जुबान पर वह रहे। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी सोमवार को उनके समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे। मित्रसेन का निधन सात सितंबर 2005 को हुआ है, तब से यह पहला मौका है अखिलेश यादव का उनके समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचने का। हालांकि उनके किसान इंटर कॉलेज के पास ही समाजवादी पार्टी की चुनावी जनसभा थी। ऐसे में उनका जाना भी स्वाभाविक रहा। उसमें राजनीति नहीं देखनी चाहिए, ऐसा आप कहेंगे। लेकिन नौ वर्ष बाद मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव के समय सभा स्थल के पास उनके समाधि स्थल पर जाना अखिलेश यादव ने जरूरी समझा।
मित्रसेन यादव एक ऐसे नेता रहे जब सीटिंग सांसद होते हुए 1999 में जब मुलायम सिंह यादव ने उनका टिकट कटा तो उनको निर्णय को चुनौती देते हुए चुनाव मैदान में निर्दल ताल ठोक दी। वह स्वयं तो नहीं जीते लेकिन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी हीरालाल यादव चौथे स्थान पर जा खिसके। दोनों के बीच मतों का अंतर मतों का छह हजार से भी काम का रहा।
यह संदर्भ भी इसलिए जरूरी है कि उस समय 10, 11 जिनकी उम्र रही होगी वे अब मतदाता बन गए हैं। उस नहीं पीढ़ी के मतदाताओं को पूर्व सांसद मित्रसेन के बारे में उतनी जानकारी नहीं होगी जितनी उससे पहले के लोगों को है। शायद यही वजह है कि मिल्कीपुर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने उनको केंद्र में ला दिया है। यह अलग तथ्य है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से राजनीति करने वाले मित्रसेन किसी एक राजनीतिक दल के खूंटे में नहीं बंधे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को छोड़ा तो मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी में तो कभी बसपा के रहे।अंतिम समय वह समाजवादी पार्टी में रहे। उनके पुत्र व पूर्व मंत्री आनंदसेन यादव भी समाजवादी पार्टी में हैं।
समाजवादी पार्टी को चुनाव में उस मित्रसेन की जरूरत महसूस हुई जो जो बिना किसी बैसाखी के राजनीति के रास्ते पर आगे बढ़े। हम इसलिए कह रहे हैं कि वह किसी राजनीतिक दल के मोहताज नहीं रहे। लोकसभा व विधानसभा में जाने के लिए जितनी मित्रसेन यादव को जरूरत रही, उससे कम उन राजनीतिक दलों को भी रही जो उनके मजबूत जनाधार से अपनी एक सीट को बढ़ाना चाहते थे।एक सीट बढ़ाने के लिए उन राजनीतिक दलों को मित्रसेन की जरूरत रही।
मित्रसेन अब इस दुनिया में नहीं हैं फिर भी समाजवादी पार्टी मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में उनके नाम की माला जपने को मजबूर ही नहीं हुई अखिलेश यादव को भी उनके समर्थकों को संदेश देने के लिए उनके समाज स्थल पर श्रद्धांजलि देने के लिए जाना पड़ा। उपचुनाव में उनका नाम कितना कारगर रहा, यह मतगणना के दिन आठ फरवरी के परिणाम से पता चलेगा।