-मेडिटेशन है मूड स्टेबलाइज़र, योग व ध्यान है स्ट्रेस का समाधान
अयोध्या। ध्यान व योग की प्रक्रियाओं से हैप्पी हार्मोन का श्राव बढ़ने से मूड अच्छा व शरीर चुस्त दुरुस्त होने के साथ ही मनोतनाव बढाने वाले मनोरसायन कार्टिसाल मे कमी आती है। इस प्रकार यौगिक क्रियाएं अवसाद, उन्माद,चिंता घबराहट, टेंशन हेडेक, अनिद्रा,फोबिया आदि के साथ ही विभिन्न मनो शारीरिक समस्याओं जैसे उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़, पेट की खराबी व क्रोनिक फटिग सिंड्रोम आदि में अति लाभदायक होती है।
मनोरसायनिक विश्लेषणः
विभिन्न यौगिक आसन व क्रियाओं से एन्डार्फिन मनोरसायन का श्राव होता है जो मानसिक व मनोशारीरिक पीड़ा दूर करने में मददगार है । सूर्य नमस्कार के योग तथा ध्यान या मेडिटेशन से श्रावित हार्मोन सेरोटोनिन मूड स्टेबलाइज़र का कार्य करता है जिससे मन शान्त व सकारात्मक होता है। करुणा,प्यार व मानवीयता को प्रेरित करने वाले न्यूरोट्रांसमीटर ऑक्सीटोसिन तथा रिवॉर्ड हार्मोन डोपामिन के श्राव में अभिवृद्धि होने से योग व मेडिटेशन का मन व शरीर पर सकारात्मक व स्वास्थवर्धक प्रभाव स्वरूप मन खुश व तन तंदरुस्त रहता है । यह बातें जिला चिकित्सालय के मानसिक चिकित्सा विभाग मे इंटरनेशनल योगा डे 21-जून संदर्भित कार्यशाला मे डा आलोक मनदर्शन व डा बी कुमार ने कही।
सलाह :
अकादमिक प्रेशर,कैरियर स्ट्रेस, जॉब डिमांड, फैमिली कांफ्लिक्ट व भौतिकवादी संस्कृति से किशोर,युवा व प्रौढ़ अपनी सेहत को नज़र अंदाज़ करने पर मजबूर दिख रहे हैं । वही दूसरी तरफ समृद्ध वर्ग लक्ज़री लाइफ स्टाइल मे सेहत गवा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस सभी को ध्यान व योग के कम से कम 30 मिनट जीवनचर्या का हिस्सा बनाने का संदेश देता है ताकि भौतिक समृद्धि के साथ आध्यात्मिक,मानसिक व मनोशारीरिक स्वास्थ को समृद्ध किया जा सके।