-श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन
अयोध्या। भगवान तो भाव के भूखे होते है धन के नहीं, श्रद्धा से अर्पित की गयी धूल भी परमात्मा सहर्ष स्वीकार कर लेते है। यह बातें विकासखंड तारुन के चांदपुर मजरे पूरे पंडित युगराज में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के समापन अवसर पर कथा ब्यास पंडित चंद्रिका प्रसाद मिश्र ने कहा। कथा व्यास कहते है कि ’भाव का भूखा हूं मैं भाव ही बस सार है, भाव से मुझको भजे तो बेड़ा सबका पार है“। भाव से किया गया भजन ही सार्थक होता है।
सशरीर भजन करते रहिए उसका कोई मतलब नहीं है, जबकि भाव से परमात्मा के स्मरण मात्र से मनुष्य को सकारात्मक ऊर्जा मिलता है और आत्मबल मजबूत होता है। कथा ब्यास ने कहा कि जीवन जीने की आदर्शमय शैली जहां प्रत्येक क्षण त्याग, समर्पण और करुणा के भाव जन्म लेते हैं जहां शत्रु के प्रति दया हो और सभी में ईश्वर का रूप नजर आने लगे वही धर्म है। यह सभी गुण उन्हीं व्यक्तियों में होती है जिन पर परमात्मा की कृपा होती है और परमात्मा की कृपा पाने के लिए भगवत भजन आवश्यक है। कहा कि बंधन और मोक्ष के तत्व का ज्ञाता ही पंडित है और ग्रंथों में लिखे हुए सिद्धांतों को जीवन में उतार कर भक्ति में जीवन जीने वाला उत्तम ज्ञानी है जो इंद्रियों को अपने जीवन के अधीन करके सांसारिक विषयों से अनासक्त रहता है। कथा व्यास ने सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि ज्ञानी और तपस्वी सुदामा तो घर बैठे ही भगवान का दर्शन कर लेते थे किंतु पत्नी के आग्रह के कारण द्वारिका जाने को तैयार हुए। द्वारिकापुरी में सुदामा को देखकर द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण नंगे पांव दौड़ते हुए सुदामा से मिलने के लिए आये हृदय से लगाकर सुदामा के सभी दुखों को भगवान ने एक क्षण में दूर कर दिया।
इससे पूर्व मुख्य यजमान सावित्री दूबे व वीरेंद्रनाथ दूबे ने व्यासपीठ की आरती उतार समापन अवसर की कथा का शुभारंभ कराया। समापन अवसर पर जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष धर्मेंद्र प्रताप सिंह टिल्लू, ग्रामोदय ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. संदीप सिंह, भाजयुमो जिलाध्यक्ष शिवम सिंह, बीपी सिंह, जगसरन मिश्र, अरुण पांडेय, राकेश यादव, कुशलदेव तिवारी, रामप्रकाश पाल सहित बड़ी संख्या में भक्त मौजूद रहे।