-कोर्ट ने खारिज किया निचली अदालत का आदेश, मामला श्री राम बल्लभा इंटर कॉलेज कर्मी के आत्महत्या का
अयोध्या। कांग्रेस पार्टी के पूर्व सांसद निर्मल खत्री समेत तीन के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में कोर्ट ने तीनों को राहत देने से इनकार कर दिया है कोर्ट ने निचली अदालत का आदेश निरस्त करके मामले को पुन सुनवाई के लिए विशेष मजिस्ट्रेट एमपी एमएलए कोर्ट को रिमाड कर दिया है। यह आदेश विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए कोर्ट अशोक कुमार दुबे की अदालत से हुआ।
वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह, एडीजीसी विजय कुमार ओझा व रोहित पांडेय ने बताया कि रिपोर्ट अंजनी कुमार पांडेय एडवोकेट निवासी कोठा पारचा थाना कोतवाली नगर ने दर्ज कराई थी । उन्होंने रिपोर्ट में कहा था कि उनके नाना कालिका प्रसाद मिश्रा एडवोकेट ने 1955 में श्री राम वल्लभा भगवत विद्यापीठ इंटर कॉलेज की स्थापना की थी। अपने जीवन काल में ही विद्यालय व समिति का प्रबंध तंत्र मेरे पिता सोमदत्त पांडेय एडवोकेट को दे दिया था लेकिन निर्मल खत्री के पिता नारायण दास खत्री ने कूट रचित अभिलेख तैयार कर समिति और विद्यालय पर फर्जी तरीके से कब्जा कर लिया।
प्रबंध तंत्र के विवाद को लेकर वाद उच्च न्यायालय में आज भी लंबित है निर्मल खत्री पूर्व सांसद व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस कमेटी उत्तर प्रदेश ने विद्यालय के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज 2400 बीघा भूमि कूट रचना करते हुए समिति के नाम दर्ज करवा दिया राजस्व अभिलेखों में दर्ज विद्यालय की संपत्ति पर फर्जी व कूटरर्चित अभिलेख तैयार कर एक महाविद्यालय की स्थापना भी कर दी ।इन सब बातों को लेकर के उन्होंने मुकदमा दायर किया
। इसी से निर्मल खत्री बहुत नाराज हो गए और मुझे धमकी देने लगे की मुकदमा वापस कर लो नहीं तो तुम्हें वह तुम्हारे परिवार वालों को जान से खत्म कर देंगे धमकी की सूचना पुलिस के उच्च अधिकारियों तथा शासन को दी थी। मेरा बेटा लगातार कहता था की निर्मल खत्री विद्यालय के प्रधानाचार्य आलोक तिवारी सुखदेव तिवारी व अन्य तमाम गुंडे बदमाश हैं जो मुझे बराबर मुकदमा वापस नकरने पर जान से मारने की धमकी दे रहे हैं, 3 अक्तूबर 2018 को मेरे बेटे समीर कुमार पांडे ने फांसी लगा लिया सुबह कमरा खोला तो पुलिस को सूचना दी पुलिस वाले उसे अस्पताल ले गए यहां उसकी मृत्यु हो गई उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा था की हो सके तो निर्मल खत्री से मुकदमा न लड़िएग क्योंकि वह पावरफुल है अपने परिवार का ध्यान रखिएगा पुलिस ने मामले में निर्मल खत्री आलोक तिवारी तथा सुखदेव तिवारी के खिलाफ आत्महत्या के लिए दुष् प्रेरित करने तथा जान से मारने की धमकी देने के तहत रिपोर्ट दर्ज की थी।
विवेचना के बाद पुलिस ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी इस पर अंजनी कुमार ने अदालत में विरोध याचिका दाखिल की जिस पर कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट निरस्त करते हुए मामले को परिवाद के रूप में पंजीकृत करते हुए अंजनी कुमार और गवाहों का बयान लिया सुनवाई के बाद कोर्ट ने परिवाद को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 203 के तहत निरस्त कर दिया था।
इस आदेश के खिलाफ वादी ने निगरानी याचिका की थी सनी के बाद कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए निचली अदालत का आदेश निरस्त कर दिया और दोनों पक्षों को सुनकर फिर से आदेश पारित करने का आदेश किया है मामले में अगली पेशी 6 सितंबर नियत की गई है कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पक्षों के मध्य 14 मुकदमे पूर्व से थे। घटना के तीन-चार दिन पहले मृतक को पकड़कर मुकदमे वापस लेने की धमकी दी गई थी। इस विषय पर और न्यायालय ने अपनी कोई राय नहीं दी है।