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फतवा मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता :  शबनम शेख

-मुंबई से रामलला का दर्शन करने पैदल निकलीं मुस्लिम युवती शबनम शेख का जगह-जगह किया गया स्वागत


मिल्कीपुर। रामलला के दर्शन करने मुंबई से पैदल निकलीं मुस्लिम युवती शबनम शेख अयोध्या जनपद सीमा मैं प्रवेश के साथ ही राम भक्तों ने फूल मालाओं से स्वागत करना शुरू कर दिया यात्रा थाना इनायत नगर क्षेत्र में पहुंचने के बाद गहनाग मंदिर पर सेवरा ग्राम सभा के प्रधान रविंद्र यादव ने अपने समर्थकों के साथ फूल मालाओं से स्वागत कर जलपान कराया। कुमारगंज, मिल्कीपुर, इनायत नगर कुचेरा बाजार, बारुन बाजार सहित कई स्थलों पर शबनम शेख का स्वागत सम्मान किया गया । इस दौरान भाजपा नेता सुशील मिश्रा भी साए की तरह साथ-साथ चलते रहे।कुमारगंज बाजार मालिक विजय कुमार उपाध्याय ने भी माला पहनाकर शबनम शेख एवं उनके साथियों का स्वागत किया।

हिंदू धर्म से प्रभावित शबनम शेख का कहना है कि मुझे पैदल चलते हुए पूरे 39 दिन हो चुके हैं, मेरा मकसद केवल भगवान राम का दर्शन करना है। मैं रामलाल के चरण स्पर्श करना चाहती हूं। उन्होंने बताया कि कि मैंने बचपन से रामायण देखी है, रामलीला देखी है,भगवान राम के किस्से सुने हैं। कहीं न कहीं मैं उनसे बहुत प्रभावित हुई हूं। हिंदू इलाके में रहने के कारण मैंने उनके बारे में काफी कुछ जाना है। बचपन से ही मैं उनको अपना आदर्श मानती हूं। मैं 21 दिसंबर 2023 को मुंबई से पैदल चली थी। अब बस हमारी 50 किलोमीटर की यात्रा बच गई है। मेरे साथ तीन दोस्त हैं दो मुंबई से हैं विनीत पाण्डेय ,रमन राज शर्मा तथा एक दोस्त भोपाल से शुभम गुप्ता है जो साथ में चल रहे हैं। शबनम ने कहा कि राम सभी के हैं, केवल हिन्दुओं के नहीं है। आज हर घर में रामजी की चर्चा है। चाहे मैं मुसलमान की बात करुं या हिन्दुओं की बात करुं पूरे भारत में रामजी की चर्चा है।

मैं सभी को यही संदेश देना चाहती हूं जो रामजी को सकारात्मक लेंगे उनके जन्मों के पाप धुल जाएंगे। उन्होंने बताया कि हमने 1388 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर ली है। ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे रामलला के दर्शन करने का मौका मिल रहा है। हम सभी के अंदर भगवान राम बसे हैं। उन्ही की कृपा से मेरी अभी तक की यात्रा अच्छी गई है। उनसे पूछा गया कि आपको डर नहीं लगता कि मुस्लिम धर्मगुरु फतवा जारी कर दे, तो उन्होंने कहा कि हम उन लड़कियों में से नहीं है कि डर जाए मैं लड़ना जानती हूं और मैं देश के संविधान पर पूरा भरोसा रखती हूं, फतवा को मैं कोई महत्व नहीं देती और किसी को देना भी नहीं चाहिए हम भले मुसलमान है,लेकिन हम ऐसे राष्ट्र में रहते हैं जहां संविधान तथा कानून का बहुत ज्यादा दबदबा है।

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