-श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट ने संरक्षण की उठाई जिम्मेदारी
अयोध्या । रामलला का दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को पुरातात्विक सर्वेक्षण और नींव खोदाई के दौरान मिले महत्वपूर्ण अवशेषों के दर्शन भी होगें। श्रीराम जन्मभूमि दर्शन मार्ग पर रामभक्तों के लिए इनकी एक प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। इसे लेकर बुधवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अवशेषों की तस्वीरें भी साझा जारी की हैं। 2002 में पुरातात्विक सर्वेक्षण और 2020 में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए नींव भरे जाने के लिए खुदाई के दौरान भारी मात्रा में यह अवशेष मिले थे जिन्हें संरक्षित किया गया था। जिसमें कसौटी के खंभे, लंबा शिवलिंग, पत्थरों पर शंख चक्र बने निशान, खंडित मूर्तियां आदि भी हैं। जिन्हें राम जन्मभूमि परिसर में ही सुरक्षित रखा गया है।
विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया पुरातत्व साक्ष्य के आधार पर ही अदालत में निर्णय दिया था। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट समय-समय पर प्राप्त होने वाले उन साक्ष्य को संकलित और संरक्षित कर रही है। फिर चाहे यह साक्ष्य 1992 में प्राप्त हुआ हो या फिर 2002 में हुई खुदाई के दौरान मिले हों। मंदिर निर्माण के दौरान 2020 में भी अवशेष प्राप्त हुए हैं। कहा कि लोगों को जानकारी होनी चाहिए की 500 वर्ष पूर्व मंदिर किस प्रकार से था और मंदिर में कौन-कौन सी वस्तुएं और खम्भे लगाए गए थे। उन्होंने बताया कि जिस तरह एक म्यूजियम लाल किले के अंदर संरक्षित किया गया है इस तरह राम मंदिर के दर्शन मार्ग में भी संरक्षित किया जाना चाहिए जिसके लिए ट्रस्ट प्रयास कर रहा है।
वहीं राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के पहले परिसर की सुरक्षा एसएसएफ के हवाले कर दी जाएगी। इसके लिए गुरुवार को मंदिर की स्थाई सुरक्षा समिति की अहम बैठक बुलाई गई है। जिसमें अयोध्या के साथ राम जन्मभूमि परिसर की सुरक्षा पर मंथन किया जाएगा। वहीं एसएसएफ की दो कंपनियां भी अयोध्या पहुंच चुकी हैं। उन्हें एक विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है। बताया गया कि 15 सितंबर से एसएसएफ को सुरक्षा का कमान भी सौंपी जाएगी। इस बैठक में ट्रस्ट के पदाधिकारियों के साथ – साथ एडीजी, आईजी, एसएसपी, एसपी सुरक्षा व एसएसएफ के अधिकारी भी मौजूद होंगे।