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भाषाई अस्मिता की सुरक्षा के लिए भावनात्मक जुड़ाव जरूरी : ज्ञाप्रटे सरल

“आगरा में सिंधी शिक्षा:दशा-दिशा, मार्गदर्शन” पर हुआ परिसंवाद

आगरा। आगरा की स्वयंसेवी संस्था सिंधु सांस्कृतिक सेवा मंच की ओर से एक स्थानीय होटल में “आगरा में सिंधी शिक्षा:दशा-दिशा ,मार्गदर्शन “परिसंवाद का आयोजन किया गया।जिसमें मुख्यअतिथि डॉ.राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के सिंधी भाषा परामर्शक ज्ञानप्रकाश टेकचंदानी सरल और कानपुर के सिंधी साहित्यकार सुंदरदास गोहरानी  बतौर विशेष अतिथि उपस्थित थे। परिसंवाद में यह बात उभरकर आई कि वैश्विक आर्थिक परिवेश में सिंधी भाषा रोज़गार से पूरी तरह न जुड़ पाने के कारण पिछड़ रही है।नौजवान इसीलिए अन्य भाषाओं की तुलना में इसे अपनाने में अपने पैर पीछे कर रहे हैं।दूसरे सरकार भारतीय भाषाओं के संरक्षण की बात व्यावहारिक धरातल पर नहीं ला पा रही है।
      मुख्य अतिथि ज्ञानप्रकाश टेकचंदानी सरल ने सुझाव दिया कि रोज़गार से इतर भाषाई अस्मिता की सुरक्षा व संरक्षा के लिए हमारा भावनात्मक रूप से हरहालत में सिंधी का संरक्षण ,संवर्धन करना नैतिक दायित्व होना चाहिए।इसके लिए अनेक उदाहरण देते हुए सिंधी के विकास के उपाय बताए। विशेष अतिथि साहित्यकार सुंदरदास गोहरानी ने अपने साहित्यिक अनुभवों के ज़रिए सिंधी की श्री वृद्धि के उपाय गिनाए।
उ.प्र.सिंधी अकादमी के सदस्य हेमंत भोजवानी ने अकादमी की योजनाओं और कार्यक्रमों पर विस्तार से  प्रकाश डालते हुए समाज की भागीदारी की अपील की। सांस्कृतिक सेवा मंच के संरक्षक घनश्याम दास जेसवानी ने धन्यवाद ज्ञापन के पूर्व अतिथियों कि अंगवस्त्र से स्वागत किया। महाराष्ट्र सिंधी अकादमी के सदस्य दीपक चांदवानी और स्थानीय लेखक मोहनलाल नागदेव का भी शाल ,से अभिनंदन किया। इस अवसर पर डॉ.तुलसी देवी,नानकचंद वासवानी, प्रिंसिपल गीता लाला, सिंधी शिक्षक अनीता, अर्जुन  मंघनानी,मोहनलाल बोधवानी ,सिंधी पत्रकार जगदीश जुमानी सहित बहुत से लोग उपस्थित थे
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