ग्राम पंचायत बसौढ़ी में जिलाधिकारी ने किया शिलान्यास
अयोध्या। जिलाधिकारी डा0 अनिल कुमार ने तमसा नदी को पुर्नजीवित करने के कार्य का नदी के उद्गम स्थल विकास खण्ड मवई के लखनीपुर गांव, ग्राम पंचायत बसौढ़ी से पूरे विधि विधान से शिलान्यास किया। इस अवसर पर उन्होनें बताया कि इस योजना के अन्तर्गत जनपद के 10 ब्लाकों के 82 ग्राम पंचायतों से होकर गुजरने वाली पौराणिक तमसा नदी का जीर्णोद्धार किया जायेगा। तमसा नदी का जीर्णोद्धार कराये जाने से जिन कृषकों का खेत तमसा नदी के किनारे है को जलभराव से बचाया जा सकेगा तथा तमसा नदी के मुख्य बहाव क्षेत्र के पांच किमी0 में पड़ने वाले समस्त नालो को नदी में जोड़ने तथा समस्त तालाबो,ं झीलों, पोखरों, कुएं, कुण्ड का जीर्णोद्धार किया जायेगा जिससे वर्षा जल को संरक्षित करते हुये जल संरक्षण और वाटर रिचार्जिंग किया जा सकेगा। इस परियोजना के पूर्ण होने पर नदी के आस-पास के गांव में जल संर्वधन की क्षमता बढ़ेगी जिससे फसलें अच्छी होगी और मिट्टी में नमी बरकरार रहेगी। इससे किसानो के फसलोउत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी। उन्होनें कहा कि माँ तमसा का त्रेता कालीन स्वरूप में लाने का प्रयास किया जायेगा। उन्होनें कहा कि इसके अन्तर्गत जिन ग्राम पंचायतो द्वारा सर्वाधिक रोजगार सृजन व कार्य को पहले पूरा किया जायेगा से सम्बन्धित ग्राम पंचायत में आगनबाड़ी केन्द्र, पंचायत भवन व अन्य कार्यो में प्राथमिकता दी जायेगी। तमसा नदी के किनारे बनाये गये बन्धों पर योजनान्तर्गत वृक्षारोपड़ कराया जायेगा। जिससे पर्यावरण संन्तुलित होगा। जिलाधिकारी डा0 अनिल कुमार ने बताया कि इसके अन्तर्गत जनपद अयोध्या में पड़ने वाले नदी के 148.400 कि0मी0 क्षेत्र का जीर्णोद्धार किया जायेगा, इस कार्य को आज मार्ग में पड़ने वाले सभी 82 ग्राम पंचायतों से आरम्भ किया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि नदी के जीर्णोद्धार का कार्य बरसात से पूर्व पूरा कर लें, जिससे बरसात में पूरी नदी लबा-लब पानी से भरा रहें। उन्होनें कहा कि हम माँ तमसा को इस स्थिति में ले आयेगें कि यह लोगो के लिए प्रेरणा बनें। अयोध्या त्याग, तपस्या और समर्पण की भूमि हैं आज इस पुनीत कार्य में सभी शामिल हों। उन्होनें इसमें जनसामान्य के सहयोग की सराहना की। उन्होनें कहा कि इसी तर्ज पर मढ़हा व विसुई नदी का भी जीर्णोद्धार किया जायेगा जिसके लिए कार्ययोजन बनाई जा रही है।
इस अवसर पर डीएफओ रवि सिंह ने कहा कि नदी के दोनो तरफ 5 किमी0 क्षेत्र में वृक्षारोपण के लिये भूमि का चिन्हीकरण कर चौड़ी पत्ती के पेड़ लगाये जायेगें, इससे वन जीवों को लाभ मिलेगा, पीने के लिये पर्याप्त पानी मिलेगा और वातावरण हरा-भरा दिखाई देगा। उन्होनें कहा कि जिनके खेत में पेड़ है वह उन्हें वैसे ही रहने दें। इस अवसर पर सीडीओ अभिषेक आनन्द, डीसी मनरेगा नागेन्द्र मोहन राम त्रिपाठी, एसडीएम रूदौली डी0पी0 वर्मा, सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियन्ता मनोज सिंह, तकनीकी सहायक इं0 आशीष तिवारी व सम्मानित प्रधान गणों के साथ-साथ हजारों की संख्या जन सामान्य उपस्थित थे।
अयोध्या जिला प्रशासन द्वारा भारत रत्न स्व0 अटल विहारी वाजपेयी के सपनो और विचारों को साकार रूप देने के क्रम में पौराणिक तमसा नदी जिसके तट पर भगवान श्रीराम ने अपने वन गमन के दौरान प्रथम रात्रि विश्राम किया था जिसका उल्लेख गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस में किया है, ‘‘प्रथम वास तमसा भयो दूसर सुरसरि तीर‘‘। जिसके साक्ष्य के रूप में लखनीपुर ग्राम पंचायत में एक पुराना मन्दिर व शिलालेख आज भी तमसा नदी के पौराणिक होने व उसकी गरिमामय इतिहास को दर्शाता है। जो नदी हमेशा से इस क्षेत्र के विकास में सहायक रही है तथा लोगो के जीवन दायिनी के साथ-साथ खेती-किसानो में सहायक रही है। जिसके किनारे हमेशा पशु-पक्षी बहुत दूर से आकर यहा अपना बसेरा बनाते थे। जिसको कुछ लोगो के द्वारा अपने स्वार्थ के चलते कहीं-कहीं पर पूरी नदी के रास्ते पर अधिक्रमण कर लिया गया है, जिससे इस पौराणिक नदी के अस्तित्व पर ही खतरा पैदा हो गया है। जिलाधिकारी डा0 अनिल कुमार ने कुछ माह पूर्व पूरे नदी क्षेत्र का भ्रमण कर जानकारी एकत्र करने के साथ जनपद के डीसी मनरेगा नागेन्द्र मोहन राम त्रिपाठी को इस पौराणिक नदी के पुनरोद्धार/जीर्णोद्धार कर उसे उसकी गरिमा के अनुसार पुर्नजीवित करने के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये थे। जिसके सर्वेक्षण कार्य में सरयू नहर खण्ड, सिंचाई विभाग, वन, राजस्व विभाग टीमों को लगाया गया था, जिसके क्रम में आज ग्राम पंचायत बसौढ़ी के लखनीपुर ग्राम में पूर्ण विधि विधान से पूजा अर्चना कर जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक आनन्द, डीएफओ रवि सिंह, एडीएम रूदौली डी0पी0 वर्मा, डीसी मनरेगा, खण्ड विकास अधिकारी मवई एस. कृष्णा, ग्राम प्रधान बसौढ़ी, अन्य सम्बन्धित ग्रामों के प्रधानों व स्थानीय जनसमूह के द्वारा नदी के पुनरोद्धार का कार्य प्रारम्भ किया गया। यह कार्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी अधिनियम एवं राज्य वित्त 14वां वित्त अभिशरण से कराया जा रहा है।
पौराणिक मान्यता
तमसा नदी की पौराणिक मान्यता है कि वनगमन के समय प्रथम रात्रि विश्राम प्रभु श्रीराम ने इसी तमसा नदी के तट पर किया था। इसका उल्लेख गोस्वामी तुलसी दास जी ने रामचरित मानस मे किया है। लखनीपुर ग्राम पंचायत में एक पुराना मन्दिर व शिलालेख आज भी स्थित है। तमसा नदी कभी लोगों के लिए जीवन दायिनी सिद्ध हुआ करती थी। पशु-पक्षी एवं किसानो के लिए तमसा का जल वरदान था किन्तु आज तमसा नदी को पुनरोद्धार की आवश्यकता है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना व अभिसरण के माध्यम से होगा तमसा नदी के जीर्णोद्धार का कार्य
तमसा नदी के पौराणिक महत्वों को दृष्टिगत रखते हुये मनरेगा योजना व राज्य वित्त व 14वां वित्त के अभिसरण के माध्यम से ग्राम पंचायतों के द्वारा नदी का जीर्णोद्धार कराया जाना प्रस्तावित किया गया है। जिससे तमसा नदी के किनारे स्थित ग्राम पंचायतों में जलभराव की स्थिति की समस्या का निदान किया जा सके व जल निकासी की व्यवस्था को सुचारू रूप से तमसा नदी में किया जा सके। इस योजना में तमसा नदी के दोनो तरफ पांच कि0मी0 तक के क्षेत्रों मे पड़ने वाले तालाबों, झीलों, नहरों, माइनरों, नालों तथा योजनान्तर्गत निर्मित बन्धों पर वृक्षारोपण का कार्य भी कराया जायेगा। नदी की सफाई/खुदाई के पश्चात् 04 कि0मी0 अन्तराल पर चेकडैम बनाया जायेगा जिससे जल संरक्षण और वाटर रिचार्जिंग भी होगा।
तमसा नदी का उद्गम स्थल जिले के अंतिम पश्चिमी छोर पर स्थित विकास खण्ड मवई के लखनीपुर गांव ग्राम पंचायत बसौढ़ी के समीप है। यहां एक सरोवर से नदी का अभ्युदय हुआ है। तमसा नदी विकास खण्ड मवई रूदौली, अमानीगंज, सोहावल, मिल्कीपुर, मसौधा, बीकापुर, तारून, पूराबाजार और मयाबाजार से होते हुए जनपद अयोध्या से जनपद अम्बेडकरनगर के कटेहरी के आगे श्रवण क्षेत्र के पास विंसुही नदी में मिल जाती है। इस नदी के उत्तर दिशा में घाघरा नदी और दक्षिण दिशा में गोमती नदी अपने मूल रूप में बहती है, यह नदी दोनो नदियों के बीच के क्षेत्र के जल निकासी का एक महत्वपूर्ण अंग है। विगत कई वर्षो से नदी की सफाई न कराये जाने के कारण काफी भाग में लुप्तप्राय है। कहीं-कहीं इसके प्रवाह के क्षेत्र में किसान खेती भी करने लगे है, तली मे अनेक जंगली घास व पौधे भी उगे है, जिससे पानी निकासी नहीं हो पा रही है। नदी के जल निकासी की क्षमता बढ़ाने व कृषि भूमि और फसल को बर्बाद होने से बचाने के लिये नदी की सफाई एवं गहरीकरण का कार्य कराया जाना नितान्त आवश्यक है।
तमसा नदी के जीर्णोद्धार का लाभ
तमसा नदी का जीर्णोद्धार कराये जाने से जिन कृषकों का खेत तमसा नदी के किनारे है को जलभराव से बचाया जा सकेगा। तमसा नदी के 10किमी0 के क्षेत्र से समस्त नालो को नदी में जोड़ने का प्राविधान किया जायेगा तथा समस्त तालाबों का जीर्णोद्धार किया जायेगा जिससे वर्षा जल को संरक्षित करते हुये जल संरक्षण और वाटर रिचार्जिंग किया जा सकेगा। इस परियोजना के पूर्ण होने पर नदी के आस-पास के गांव में जल संर्वधन की क्षमता बढ़ेगी जिससे फसलें अच्छी होगी। तमसा नदी के किनारे बनाये गये बन्धों पर योजनान्तर्गत वृक्षारोपड़ कराया जायेगा। जिससे पर्यावरण संन्तुलित होगा।
तमसा नदी की विकास खण्डवार लागत
तमसा नदी के जीर्णोद्धार हेतु जनपद के 10 ब्लाकों के 82 ग्राम पंचायतों में आज से कार्य प्रारम्भ किया गया। इसके अन्तर्गत विकास खण्ड मवई, कुल लम्बाई 6.900 कि0मी0, विकास खण्ड रूदौली, कुल लम्बाई 34.00 कि0मी0, विकास खण्ड सोहावल, कुल लम्बाई 25.05 कि0मी0, विकास खण्ड अमानीगंज कुल लम्बाई 26.00 कि0मी0, विकास खण्ड मिल्कीपुर कुल लम्बाई 35.05 कि0मी0, विकास खण्ड मसौधा, कुल लम्बाई 31.00 कि0मी0, विकास खण्ड बीकापुर, कुल लम्बाई 17.50 कि0मी0, विकास खण्ड तारून, कुल लम्बाई 35.05 कि0मी0, विकास खण्ड पूराबाजार, कुल लम्बाई 19.00 कि0मी0, तथा विकास खण्ड मयाबाजार, कुल लम्बाई 25.5 कि0मी0 क्षेत्र में जीर्णोद्धार का कार्य किया जायेगा। जिसकी कुल अनुमानित लागत 23 करोड़ रू0 है।