भावनात्मक जागरूकता से ही सम्भव है सुरक्षित स्वास्थ्य व्यवहार
अयोध्या। फेलो फ्रेंडशिप के फिजिकल फ़्रेंडशिप में बदलने के कारण पश्चिमी देशों की किशोर सामाजिक स्वास्थ्य समस्या अब भारत मे भयावक रूप लेती जा रही है। नेशनल सैम्पल सर्वे की ताजा रिपोर्ट के अनुसार जागरूकता के अभाव में किशोरियों में गर्भपात कराने का चलन काफी बढ़ चुका है जिससे कि गर्भपात जनित किशोरी मृत्युदर बढ़कर 7 प्रतिशत तक हो चुकी हैं।
टीनएज प्रेग्नेन्सी जहां अभी तक विकसित देशों की एक बड़ी सामाजिक व स्वास्थ्य समस्या रही है वहीं इसका प्रकेप भारत जैसे विकासशील देश में भी तेजी से बढ़ चुका है।हाल यह है कि 20 साल से कम उम्र की लड़कियों में लगभग प्रत्येक पांचवीं किशोर प्रेग्नेन्सी का अन्त गर्भपात के रूप में हो रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि 20 साल से कम उम्र की शहरी युवतियों में गर्भपात का रूझान राष्ट्रीय औसत के मुकाबले काफी अधिक है।
शहरी किशोरियों में गर्भपात का प्रतिशत 14 हैं तथा ग्रामीण क्षेत्र में 8 प्रतिशत हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 40 प्रतिशत भारतीय किशोर-किशोरी सेक्सुवली एक्टिव हैं तथा 10 प्रतिशत से भी कम सुरक्षित गर्भरोधी उपायों का इस्तेमाल करते हैं। इस मनोसामाजिक समस्या का एकमात्र समाधान सेफ सेक्स की इमोशनल अवेयरनेस ही है। यह बात अयोध्या महानगर स्थित एक होटल सभागार में भारत सरकार की स्वास्थ्य इकाई सिफ्सा द्वारा आयोजित मण्डलीय कॉन्ट्रासेप्टिव अवेयरनेस जनरेशन एक्सेलेन्स अवार्ड से सम्मानित होने के पश्चात जिला चिकित्सालय अयोध्या के युवा व किशोर मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन ने कही । उन्होंने यह भी कहा कि यह अवार्ड एक मोटिवेशनल माइलस्टोन है और अभी भी मंज़िल के बहुत सारे माइलस्टोन तक पहुँचने की दरकार है । इस अवसर पर मण्डल के समस्त जनपदों के मुखचिकित्सा अधिकारी व परामर्शदाता मौजूद रहे ।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अयोध्या मण्डलायुक्त मनोज मिश्र व अध्यक्षता अपर निदेशक स्वास्थ्य अयोध्या मण्डल डॉ. आर के कपूर रहे। संचालन सिफ्सा के मण्डलीय परियोजना प्रबंधक डी देवनाथ ने किया ।