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गमगीन माहौल में सुपुर्द-ए-खाक हुए ताजिये

-कड़ी सुरक्षा के बीच निकाले गये ताजिया जुलूस


अयोध्या। मुसलमानों के आख़री नबी मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लललाहो अलैहे वा आलेही वसल्लम के छोटे नवासे हज़रत इमाम हुसैन बिन अली बिन अबीतालिब के ग़म में ताज़िया दारी की जाती है जिसको पूरी दुनिया में उर्दू कैलेंडर के मोहर्रम के महीने में मनाया जाता है। ज्ञात हो कि मोहर्रम महीने के दसवें दिन हुसैन बिन अली को तीन दिन का भूका प्यासा पूरे परिवार के साथ जिसमें छै महीने के बच्चे भी थे , कर्बला के मैदान में क़त्ल कर दिया गया था जो कि मानवता के इतिहास की पहली आतंकवादी घटना थी । इसी घटना के विरोध में और हुसैन बिन अली की जघन्य हत्या के ग़म में लगभग सभी समुदाए के लोग ताज़िया दारी करते हैं।

फ़ैज़ाबाद ज़िला अयोध्या में भी इसी सिलसिले में सारे शहर के ताज़िए उठाए जाते हैं और अलग अलग जगहों पर जहां कर्बलाएं हैं वहां सुपुर्द ए ख़ाक किए जाते हैं। बुधवार को सुबह से ही ताजियों के जुलूस उठते रहे इनमें नगर क्षेत्र के हैदर गंज, मोती मस्जिद, जमुनिया बाग़, पुरानी सब्जी मंडी के ताज़िए मुग़लपुरा की करबला हकीम ज़ुल्फ़ेक़ार में दफ़्न हुए, राठ हवेली, इमामबाड़ा,ख़वासपुरा और दिल्ली दरवाज़ा के ताज़िए खुर्द महल की कर्बला में दफ़्न हुए , घोसियाना,दाल मंडी, वज़ीर गंज, बंदे अली की छावनी, हसनू कटरा आदि के ताज़िए बड़ी बुआ में और अबू सराए, मोदहा, मिर्ज़ापुर, सादत गंज के ताज़िए सादत गंज में सुपुर्द ए ख़ाक किए गए।

इन जुलूसों में हज़ारों की संख्या में अक़ीदतमंदों ने भाग लिया और इसको ताज़िया दारान कमेटी ज़िला अयोध्या ने परशासन के सहयोग से बहोत शांति पूर्वक संपन्न कराया इस मौक़े पर प्रशासन के उच्च अधिकारियों के अलावा ताज़िया दारान कमेटी के सचिव मोनू मिर्ज़ा, मीडिया इंचार्ज/ प्रवक्ता मिर्ज़ा हसन सादिक़ (राशिद) क़ौमी एकता कमेटी के सचिव ज़फ़र इक़बाल आदि सुबह से ही मुस्तैद रहे।


कस्बा बीकापुर में हर साल की तरह इस साल भी अंजुमन तबलीगे हुसैनी की देख रेख में हुसैनिया अबूतालिब इमामबाड़े से निकल कर राजमार्ग पर आया । जहां अंजुमन के नौजवानों ने नोहा मातम वा जंजीर का मातम करके कर्बला के शहीदो को पुरसा पेश किया। जुलूस में भारी तादाद में लोग मौजूद रहे। मुहर्रम पर ताजिया विभिन्न मार्गों एवं बाजारों से होकर मातंगी धुन के साथ ताजिया के आगे मातम करते हुए अपने अपने कार्य के साथ कर्बला पहुंचे जहां अंतिम दौर में की जाने वाली रस्म मर्सिया पढ़ने के बाद सभी ने अपने अपने ताजिए को सुपुर्द ए खाक कर दिया। मौके पर बुधवार को ताजियों का जुलूस कड़ी सुरक्षा के बीच निकाला गया। ताजियों को गमगीन माहौल में करबला में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। ताजियों का जुलुस कस्बा के स्टेट बैंक बीकापुर के निकट इमामबाड़े से शुरू होकर बीकापुर कस्बा समेत विभिन्न पग डंडियों मार्ग से होते हुए मलेथू कनक ग्राम पंचायत में स्थित कर्बला के मैदान पहुंचा।

मैदान में मेला लगा हुआ था। वहां लोगों ने खाने-पीने की वस्तुएं खरीदीं। इस मौके पर मुस्लिम युवाओं ने हैरतअंगेज करतब दिखाए। जुलुस में अंजुमन के सेक्रेटरी निहाल हैदर, गुलरेज हैदर, महमूद अहमद, अलान हैदर, अप्सर मेहंदी, दानिश, असलम, कामतन,अश्शू, सोनू, सानू, अफरोज, राशि द फ़ैज़,रजी हैदर, मेराज, मंजू, शबाब हैदर, तौफीक,आंशिक, कायम मेहंदी,मुजिब, समेत कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक लाल चंद सरोज पुलिस बल सहित जुलूस के साथ रहे।
मया बाजार में अकीदतमंदों ने इमाम हुसैन की शहादत की याद में मजलिस की जिसमें मौलाना मोहम्मद मुस्तकीम क़ादरी वा हाफ़िज़ मोहम्मद मेराज एवं हाफिज परवेज आलम ने सरकार इमाम हुसैन की सहादत की शान में नातिया कलाम पेश किये

।मौलाना मोहम्मद मुस्तकीम क़ादरी ने सरकार इमाम हुसैन के बयानात पेश किये। जुलूस वा कर्बला में सुरक्षा के पुख्ता इन्तजाम , मुसलमानों के लिए बेहद गम भरा होता हैं, मोहर्रम का महीना, पैगम्बर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 साथी कर्बला की जंग में शहीद हुए थे, उन्हीं की याद में मनाया जाता हैं मोहर्रम का पर्व यौमे आशूरा। आज दोपहर बाद से खिच्चर वा छबील का वितरण सरकार इमाम हुसैन की शान में शाम तक चलता रहा। अन्त में मया बाजार के कर्बला में 06ः30 बजे कनकपुर प्राइमरी स्कूल के पीछे बेलाताली में ताजिये दफन हुये।

इस अवसर पर मास्टर मुबारक़ अली इदरीशी, मोहम्मद कैफ़ इदरीशी, समसुद्दीन, शमशाद अली, मोहम्मद नईम, मोहम्मद अन्सार (राहत), मोहम्मद अली, वारिस अली, मोहर्रम अली, मोहम्मद शालू, मोहम्मद अरमान सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहें।

सोहावल प्रतिनिधि के अनुसार मोहर्रम के दसवें पर बुधवार को क्षेत्र में रखी गई ताजियों का दफन किया गया। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में उठाई गई ताजिया को परंपरागत रास्तों से ही रश्मो रिवाज के साथ स्थानीय कर्बलाओं में ताजियादार ले गए और रंजोगम के माहौल में दफन किया। अब तक आकर्षण का केंद्र बनती रही रौनाही की ताजिया जुलूस और कर्बला के आसपास मेले जैसा अयोजन न पाकर समुदाय के लोगों को कुछ निराशा अवश्य हुई। बड़ागांव, चिररा, जगनपुर ,संजयगंज, सुचित्तागंज, कोला, रसूलपुर आदि में जुलूस के दौरान बड़ी संख्या में युवाओं के साथ महिलाओ की भी भागीदारी दिखाई पड़ी।

गोसाईगंज प्रतिनिधि के अनुसार गोसाईगंज कस्बे सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में या हुसैन अलविदा की सदाओं के साथ सभी ताजिये सुपुर्दे खाक किये गए।दोपहर बाद कड़ी सुरक्षा के बीच मातमी जुलूस निकाला जो ठंडी सड़क रामगंज होते हुए नौरंगा बाग के पास स्थित कर्बला पहुंची।जंहा उन्हें दफन किया गया।इस मौके पर एसएचओ परशुराम ओझा के साथ कोतवाली पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद रही।

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