समता मूलक समाज के लिये धन का विकेन्द्रीकरण होना अति आवश्यक : प्रो. शक्ति कुमार

by Next Khabar Team
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-अवध विवि व यूपीयूईए के संयुक्त संयोजन में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग एवं ललित कला विभाग तथा उत्तर प्रदेश उत्तराखण्ड आर्थिक संघ (यू0पी0यू0ई0ए0) के संयुक्त तत्वाधान में ’विपन्न समूह का अर्थशास्त्र एवं डॉ0 अम्बेडकर के विचारो की वर्तमान प्रासंगिकता’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद, तेलंगाना के अर्थशास्त्र विभाग के प्रो0 एल0 सी0 मल्लैयाह ने बताया कि वर्तमान बदलते परिदृष्य में डॉ0 अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता काफी समीचीन हो गई है, जिससे विपन्न वर्ग के गरीब एवं शोषित समाज के आर्थिक उन्नयन हेतु एक दिशा प्राप्त हो रही हैं। अर्थव्यवस्था में अभी तक संपत्ति एवं आय का वितरण समान नही हो पाया, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था के विपन्न वर्ग के लोगो को आवश्यकता के अनुरूप आय का स्तर प्राप्त नही हो पा रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में यदि हम विपन्न वर्ग के लोगो को चहुँमुखी विकास चाहते है तो उन्हें संपत्ति वितरण में पर्याप्त हिस्सेदारी प्राप्त होनी चाहिये।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कला एंव मानविकी संकायाध्यक्ष एवं अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभागाध्यक्ष प्रो0 आशुतोष सिन्हा ने विपन्न समूह की परिकल्पना के सापेक्ष डॉ0 अम्बेडकर के आर्थिक विचारो के विभिन्न आयामो को विश्लेषित करते हुए बताया कि डॉ0 अम्बेडकर किसी एक जाति वर्ग सम्प्रदाय से नही बंधे थे।

उन्होंने सर्वसमाज के शोषित वर्ग के आर्थिक उन्नयन के लिये जीवन पर्यन्त संघर्ष किया। विशिष्ट वक्ता अर्थशास्त्र विभाग, जे0एन0यू0 नई दिल्ली के विभागाध्यक्ष प्रो0 शक्ति कुमार ने डॉ0 अम्बेडकर के केन्द्र राज्य वित्तीय संबंध के बारे में छात्र-छात्राओं को अवगत कराते हुए बताया कि समता मूलक समाज के लिये धन का विकेन्द्रीकरण होना अति आवश्यक है, ताकि जरूरत मंद लोगो को आवश्यक उपभोग से वंचित न होना पड़े।

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विभाग की प्रो. मृदुला मिश्रा ने डॉ0 अम्बेडकर के आर्थिक विचार एवं महिला सशक्तिकरण चर्चा करते हुए कि देश की आधी आबादी के साथ ही हम समावेषित विकास की कल्पना कर सकते है। विभाग की प्रो0 प्रिया कुमारी ने डॉ0 अम्बेडकर के श्रम समाज से संबंधित विचारों को बड़े ही तार्किक तरीके से छात्र-छात्राओं के समक्ष प्रस्तुत किया साथ ही यह बताया कि असंगठित श्रम बाजार मे न्यूनतम मजदूरी का भुगतान अति आवश्यक है। ललित कला की डॉ0 सरिता द्विवेदी ने वर्तमान परिदृष्य में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए डॉ0 अम्बेडकर के सर्वसमाज के उत्थान की परिकल्पना को अति आवश्यक बताया।

उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के आर्थिक संघ (यूपीया) के महासचिव एवं अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि वर्तमान परिदृष्य में आय एवं संपत्ति का विवरण समान नही है। आज भी समाज के 5 से 10 प्रतिशत लोगो के पास कुल संपत्ति का 90 प्रतिशत है।

जिसके कारण देश की 90 प्रतिशत आबादी के पास आय एवं सम्पत्ति काफी अपर्याप्त है, परिणाम स्वरूप आज भी आर्थिक विपन्नता का प्रतिशत 30 से 40 प्रतिशत बना हुआ है। यदि हम विपन्न वर्ग का उत्थान चाहते है तो हमें आर्थिक विषमता की स्थिति को दूर करने का प्रयास करना होगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 सरिता द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिक्षक, गैर शिक्षक कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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