-पुस्तक में लेखिका ने रामकथा को प्रदान की प्रमाणिकता : डॉ. अनिल जोशी
अयोध्या। दिल्ली की लेखिका डॉ. सविता चड्ढा द्वारा स्थानीय प्रसिद्ध मन्दिर दशरथ महल पर पुस्तक ’दशरथ महल’ का रामार्पण स्थानीय श्री राम होटल के सभागार में में भव्य सारस्वत समारोह में सम्पन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता डॉ. अनिल जोशी सेवानिवृत उपाध्यक्ष केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा द्वारा निष्पन्न की गयी। रामार्पण समारोह में दशरथ महल के सम्बन्ध में विस्तृत समीक्षा डॉ. राघवेन्द्र नरायण पूर्व अध्यक्ष अंग्रेजी विभाग काशी विद्यापीठ वाराणसी द्वारा प्रस्तुत की गयी। बिजय रंजन डॉ. सविता स्याल, डॉ. शकुन्तला मित्तल- दिल्ली, डॉ पुष्पा सिंह विशेन ( राष्ट्रीय अध्यक्ष नारायणी साहित्य अकादमी दिल्ली) द्वारा दशरथ महल के बहाने रामकथा के उद्भव के कारक स्थल पर पुस्तक के लिये डॉ. सविता चड्ढा बधइार् भी दी गयी और उनकी विशिष्ठ धर्मार्थ साहित्यिक संचेतना की प्रशंसा भी की गयी।
इस सारस्वत समारोह में दिल्ली से अयोध्या आकर यहाँ के स्थानीय मन्दिर पर लेखन कार्य के निमित्त “राष्ट्रीय साहित्य संस्कृति मंच अयोध्या की ओर से मंच के महामंत्री श्रीकांत द्विवेदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय रंजन द्वारा विशेष सम्मान प्रदर्शित करते हुये लेखिका को अंगवस्त्रम् भी प्रदान किया गया। समारोह का संचालन डॉ. कल्पन पाण्डेय ने किया।
समारोह में डॉ. सविता चड्ढा द्वारा सभी समुपस्थित साहित्यकार को अंगवस्त्रम देवर और दशरथ महल सम्मान देकर सम्मानित भी किय गया। समारोह में उक्त अतिथियों के अतिरिक्त साहित्यिक संस्था ’संभव’ के राजेश श्रीवास्तव, हनुमान प्रसाद मिश्र, डॉ. रोहित श्रीवास्तव श्रीराम होटल के विवेक कुमार गुप्ता और अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। बाद में अवध अर्चना कार्यालय महताब बाग अवधपुरी कालोनी फैज़ाबाद पर डॉ. सविता चडढा, डॉ. अनिल जोशी हाँ. राघवेन्द्र सहित दिल्ली से आयी हुयी विदुषी लेखिका डॉ. कल्पना पाण्डेय आदि का सत्कार भी अवध अर्चना कार्यालय अवधपुरी पर साहित्यिक संस्था ’संभव’ की ओर से सम्पन्न किया गया।
समारोह के अध्यक्ष डॉ अनिल जोशी के अनुसार पुस्तक दशरथ महल की सबसे बड़ी विशेषता है कि इसके माध्यम से लेखिक ने राम कथा की एक प्रमाणिकता भी प्रदान किया है जबकि 2010 ई० तक शिक्षा प्राप्त युवापीढ़ी के अधिकांश के मन में ये बात बैठा दी थी थी कि रामकथा काल्पनिक कवि कथा है। इस तरह राम कथा के बारे में भ्रम उत्पन्न किया गया था जिसका निवारण ये कृति करती है।