गुरूकुल के बच्चों ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को किया भाव-विभोर
अयोध्या। अपनी विलक्षण शिक्षा पद्वति के बल बूते ही भारत ने असंख्य वर्षों तक विश्व का नेतृत्व किया 200 वर्ष पूर्व तक जिस प्रकार की उत्तम शिक्षा भारत में दी जाती थी वैसी विश्व के किसी भी देश में नहीं दी जाती थी। उक्त विचार डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलगुरू एवं गुरू वशिष्ठ सेवा न्यास के अध्यक्ष आचार्य मनोज दीक्षित ने व्यक्त किये। वे अयोध्या गुरू वशिष्ठ गुरूकुल विद्यापीठ के प्रथम स्थापना दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। बच्चों के रंगमंचीय कार्यक्रम के पूर्व वैदिक मंत्रोचार के साथ अतिथियों एवं गुरूकुल के बच्चों ने यज्ञ एवं हवन का विधिवत कार्यक्रम किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ माॅ सरस्वती एवं भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री राम वल्भाकुंज के अधिकारी एवं गुरूकुल के संरक्षक राजकुमारदास जी ने कहा ध्वस्त प्राचीन शिक्षण प्रणाली को पुर्नजीवित किये बिना भारतीय प्रजा एवं संस्कृति का समुöार नहीं हो सकता। इस परम्परा को पुर्नजीवित करने के लिए भारतीय शिक्षण मण्डल द्वारा किया जा रहा है प्रयास सराहनीय है। श्री दास ने गुरूकुल का हर प्रकार का सहयोग का आश्वासन दिया। गुरूकुल के बच्चों द्वारा सरस्वती वन्दना गुरूकुल गीत एवं भजन प्रस्तुत कर दर्शकों को भाव विभोर कर दिया। इस दौरान श्री राम वल्भाकुंज के वटुकों ने भी अपना भजन प्रस्तुत किये इस अवसर पर गुरू वशिष्ठ सेवा न्यास के न्यासी प्रो0 आर0 एन0 राय, प्रो0 आर0 के0 सिंह, प्रो0 के0 के0 वर्मा, कमलेश सिंह, भारतीय शिक्षण मण्डल के शालेय प्रमुख विनय प्रकाश श्रीवास्तव, प्रांत के सहमंत्री राजेश सिंह, जिलाध्यक्ष धर्मेन्द्र पाठक, कार्यलय प्रमुख रोहित मिश्रा, प्रान्त युवा अयाम प्रमुख विजय प्रताप बंटी, गौरव सिंह, विपिन सिंह “बबलू“, सहित बड़ी संख्या में बच्चों के अभिभावक, नगर के गणमान्य नागरिक, विश्वविद्यालय के आचार्य एवं संत मंहत उपस्थित थे। कार्यक्रम का वार्षिक वृत्त एवं धन्यवाद ज्ञापन गुरूकुल के निदेशक डाॅ0 दिलीप सिंह एवं अतिथियों का स्वागत प्रधानाचार्य दुःखहरन मिश्रा, आचार्य सदा शिव तिवारी, आचार्य सुन्दरम पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन गुरू वशिष्ठ गुरूकुल के सह प्रबन्धक आदर्श सिंह ऋषभ ने किया।