वनस्पतियों के संरक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए संस्था ‘ग्रीन चौपाल’ ने राजधानी में किया सम्मान
अयोध्या। पर्यावरण और वन्यजीवों के संरक्षण में संलग्न संस्था ‘ग्रीन चौपाल’ द्वारा प्रख्यात वनस्पतिविद एवं विज्ञान संचारक डॉ. राजकिशोर को राजधानी लखनऊ में वनस्पतियों के संरक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में उनकी दीर्घकालिक उपलब्धियों के सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर आयोजित प्रकृति चौपाल में देशी बीजों के अलावा विलुप्तप्राय वन्य प्राणियों के संरक्षण पर प्रकृतिविज्ञानियों ने गंभीर चर्चा की। लखनऊ के कानपुर रोड स्थित ए.जे.एस.एकेडेमी सभागार में ‘ग्रीन चौपाल’ के फाउण्डर वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र शुक्ल ने वनस्पतिविद डॉ. राजकिशोर को स्मृतिचिह्न, उत्तरीय व पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर डॉ. राजकिशोर ने कहा कि आज हाईब्रिड बीजों से देश की जैव समृद्धता प्रभावित हो रही है। देशी बीजों का अस्तित्त्व समाप्त हो रहा है। इन्हें संरक्षित किये जाने के साथ ही इनके उत्पादन और संवर्द्धन की महती आवश्यकता है।
उल्लेखनीय है कि अयोध्या (फैज़ाबाद) निवासी डॉ. राजकिशोर की विज्ञान-साहित्य, पर्यावरण और औद्यानिकी सम्बन्धी रचनात्मक उपलब्धियाँ प्रदेश के गौरव का विषय हैं। वे हिन्दी विज्ञान साहित्य परिषद, भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई द्वारा आयोजित राष्ट्रीय हिन्दी विज्ञान लेखन प्रतियोगिता में छह बार पुरस्कृत हो चुके हैं। राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की शोध पत्रिकाओं में 19 से भी अधिक शोधपत्र तथा प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में 130 से भी अधिक विशेषज्ञतापूर्ण लेख प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ. किशोर जनपद फैजाबाद में लगभग 25000 पौधों का रोपण करके पर्यावरण संरक्षण के लिए 2008 में वन विभाग द्वारा भी पुरस्कृत हो चुके हैं। बॉटनी में पी-एच.डी. उपाधिधारक डॉ. राजकिशोर अनेक पत्र-पत्रिकाओं के विज्ञान-विषयक स्तंभकार के रूप में भी अपनी सेवाएँ दी है। उनके अनेक कार्यों का प्रसारण दूरदर्शन और अन्य न्यूज चैनल्स पर हुआ है। विज्ञान और पर्यावरण से जुड़े राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के शोध परियोजनाओं में भी उन्होंने सक्रिय रूप से योगदान दिया है। विज्ञान लेखन की अपनी अभिरुचि के तहत उन्होंने जनसंचार एवं पत्रकारिता में भी परास्नातक उपाधि भी हासिल की है। वे अनवरत विज्ञान, पर्यावरण, कृषि-औद्यानिकी, धर्म और अध्यात्म विषयों में अपने लेखन के जरिए अपनी रचनाधर्मिता को नए आयाम दे रहे हैं। ऐसी ही तमाम उपलब्धियों से परिपूर्ण डॉ. राजकिशोर गत वर्ष राजधानी लखनऊ स्थित उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान में उल्लेखनीय रचनाधर्मिता और पारिस्थिकीय तंत्र को संरक्षित और समृद्ध बनाने में दीर्घकालिक योगदान के लिए विधानसभा अध्यक्ष श्री हृदयनारायण दीक्षित ने निज करकमलों से सारस्वत सम्मान से अलंकृत किया था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ग्रीन चौपाल संस्थापक डॉ. जितेंद्र शुक्ल ने कहा कि प्रकृति के सिद्ध और सच्चे साधक, सृजन के समर्थ और कुशल चितेरे डॉ. राजकिशोर की दीर्घकालिक उपलब्धियाँ प्रेरित करती हैं। वन्यजीवों के संरक्षण आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा वन्यजीवों और वनस्पति का गहरा संबंध है।दोनों का संतुलन बनाये रखने की आवश्यकता है। प्रकृति चौपाल को उपस्थित सुविज्ञजनों ने भी संबोधित किया।
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