फैजाबाद। महान् क्रान्तिकारी अमर शहीद चन्द्र शेखर आजाद की 112वीं जयंती की पूर्व संध्या पर सिविल लाइन स्थित एक होटल के सभागार में उन्हें याद करते हुये उनके चित्र पर माल्यार्पण करके उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष दिनेश जायसवाल ने कहा कि उनके अन्दर क्रान्ति की ज्वाला किस कदर धधक रही थी और वो कितने निर्भीक थे ये इस बात से समझा जा सकता है कि महज़ 15 साल की आयु में जब उनको जज के सामने पेश किया गया तो उन्होने अपना नाम आजाद बताया। पिता का नाम स्वतंत्रता बताया और अपना पता कारागार को बताया। इससे गोरा अंग्रेज जज भड़क उठा और उसने 15 दिन का कारावास और 15 कोड़े लगाने की सजा सुनाई। बस यहीं से उनका नाम चन्द्रशेखर तिवारी से चन्द्रशेखर आजाद पड़ा।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे भाजपा नगर मंत्री ओम मोटवानी व भाजपा नगर उपाध्यक्ष, अधिवक्ता राजीव कुमार शुक्ला ने संयुक्त रूप से कहा कि चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 1906 मंे उन्नाव के बदरका गाॅव में हुआ था। उनके पिता का नाम सीताराम तिवारी व माता का नाम जगरानी देवी था। 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में अंग्रेज सिपाहियों द्वारा बर्बर नरसंहार ने उनके अंदर अंग्रजों के खिलाफ ऐसा आक्रोश भर दिया कि उन्होनें फिरंगियों को सबक सिखाने की ठान ली। ऐसे वीर क्रान्तिकारी को शत्-शत् नमन। क्रार्यक्रम में प्रमुख रूप भाजपा नेता सौरभ लखमानी, सुरेश डाबर, डाॅ॰ सोमू मुखर्जी, आरजू गुप्ता, अजय ओझा, दिनेश जायसवाल, ओम मोटवानी, राजीव शुक्ला, मनीष मिश्रा, सत्येन्द्र यादव (पप्पू), अरशद आलम, प्रकाश गुप्ता, अर्जुन लाल गुप्ता, ऋषि गुप्ता आदि लोग मौजूद रहे।
जयंती की पूर्व संध्या पर भाजपाइयों ने किया चन्द्रशेखर आजाद को नमन
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