बाली उम्र का प्यार, बन रहा मनोविकृति का आधार : डा. आलोक

by Next Khabar Team
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होमोसेक्सुअल यारी भी टीनएजर्स को लग रही प्यारी

वैलेंटाइन डे की पूर्व संध्या पर ज़िला चिकित्सालय में आयोजित हुई मीडिया कार्यशाला

अयोध्या। फेलो फ्रेंडशिप के फिजिकल फ़्रेंडशिप में बदलने के कारण पश्चिमी देशों की टीनेज मनोस्वास्थ्य समस्या अब भारत मे भयावक रूप लेती जा रही है। टीनएज प्रेग्नेन्सी जहां अभी तक विकसित देशों की एक बड़ी समस्या रही है वहीं इसका प्रकेप भारत जैसे विकासशील देश में भी तेजी से बढ़ चुका है।हाल यह है कि 20 साल से कम उम्र की लड़कियों में लगभग प्रत्येक पांचवीं टीनेज प्रेग्नेन्सी का अन्त गर्भपात के रूप में हो रहा है। चौकाने वाली बात यह है कि 20 साल से कम उम्र की शहरी युवतियों में गर्भपात का रूझान राष्ट्रीय औसत के मुकाबले काफी अधिक है। शहरी किशोरियों में गर्भपात का प्रतिशत 14 हैं तथा ग्रामीण क्षेत्र में 8 प्रतिशत हैं। नेशनल सैम्पल सर्वे रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 40 प्रतिशत भारतीय टीनएजर्स सेक्सुवली एक्टिव हैं तथा 10 प्रतिशत से भी कम सुरक्षित गर्भरोधी उपायों का इस्तेमाल करते हैं। यह बात सिफ्सा, भारत सरकार के प्रमुख मनोसेक्स प्रशिक्षक व जिला चिकित्सालय के युवा व किशोर मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन ने वैलेंटाइन डे की पूर्व संध्या पर जारी शोध रिपोर्ट मीडिया कार्यशाला में कही।
डा. आलोक मनदर्शन के अनुसार किशोर मित्र क्लीनिक में सेक्सुवली एक्टिव किशोर-किशोरियों की आमद करीब 30 प्रतिशत है ,जबकि इसका बहुत बड़ा हिस्सा संकोच व गोपनीयता भंग होने के डर से परामर्श के लिए नहीं आ पाते हैं।सेक्सुअली एक्टिव टीनएजर्स में होमोसेक्सुअल ओरिएंटेशन के मामले भी अब उभर कर सामने आ रहे है, जिसमे मेल होमोसेक्सुअल और फीमेल होमोसेक्सुअल दोनों बराबर दिख रहें है। जिसका दुःष्परिणाम उनके शारीरिक व मानसिक स्तर पर इस प्रकार पड़ता है कि कैरियर बनाने की इस उम्र में वे अवसाद व हीनभावना से ग्रसित होकर न केवल जीवन को कुंठित कर बैठते है, बल्कि खतरनाक आत्मघाती प्रयास तक कर बैठते है या फिर गोपनीय गर्भपात के चक्कर में उल्टी सीधी सलाह अपनाकर अपने स्वास्थ्य को गंभीर हानि तक पहुँचा बैठते हैं।
उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार टीनएज साइकोसेक्सुअल दुष्परिणामों से निपटने के लिए सेक्स एजुकेशन व सेफ सेक्स प्रैक्टिस की जागरूकता पर जोर दिया गया है।साथ ही गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड के बढ़ते शारीरिक सम्बन्धो के दायरे को एक स्वस्थ व मर्यादित भारतीय संस्कृति के दायरे में पुनः स्थापित किया जाय जिससे परिवार व समाज में नई पीढ़ी में तेज़ी से पनप रही मनोसेक्स आसक्ति को हतोत्साहित किया जा सके तथा टीनेज पर्सनालिटी डेवलपमेन्ट पर मनोपरामर्श अवश्य लिया जाय। कार्यशाला में बाल किशन,अरशद रिज़वी,अनित दास व अन्य उपस्थित रहे ।

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