जिलाधिकारी ने जतायी चिन्ता, अधिकारियों के साथ की बैठक
फैजाबाद। आईजीआरएस में जनपद की खराब रैकिंग को लेकर चिन्तित जिलाधिकारी डा0 अनिल कुमार ने पटल सहायक कौशल श्रीवास्तव के साथ सभी कार्यालाध्यक्ष के साथ बैठक कर अपनी चिन्ता से अवगत कराते हुए कहा कि इसे हल्के में न ले इसकी समीक्षा मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री के स्तर पर होती है जब सप्ताहिक समीक्षा मेरे स्तर से की जा रही है तो यह हाल है यदि मासिक समीक्षा होती तो हम किस श्रेणी में होते ये शर्म की बात है उन्होंने कहा कि जो अधिकारी गुणवत्ता या मानक के अनुसार शिकायतो का त्वरित निस्तारण नही करेंगे तो उनको प्रतिकूल प्रविष्टि दी जा सकती है। अभी स्वच्छता अभियान से जुड़े 130 अधिकारियो को मेरे द्वारा प्रतिकूल प्रविष्टिया दी गई है।
उन्होंने अधिकारियो को स्पष्ट निर्देश दिये कि प्रतिदिन 1 घंटा सुबह 1 घंटा सांय कम्प्यूटर आपरेटर को अपने साथ बैठाकर शिकायतो का आन लाइन निस्तारण करे केवल लिपिकीय स्टाप पर न छोड़े। उन्होंने बताया कि शिकायतो के निस्तारण में सबसे ज्यादा डिफालटर संख्या़ तहसील बीकापुर की-144, मिल्कीपुर की-140, पंचायत-120, तहसील रूदौली-81, पुलिस विााग 27, चिकित्सा 29 खाद्य एवं विपणन 18, विकास विभाग 10, ग्राम्य विकास अभिकरण 14, वन 7 मनरेगा 12, नजूल 11, सहायक अभिलेक अधिकारी 10, वेसिक शिक्षा 8 उपरोक्त के अतिरिक्त लगभग सभी विभाग के 1,2 प्रकरण निस्तारण हेतु लम्बित है तथा डिफाल्टर है। पंचायत राज अधिकारी एसपी सिंह, तहसील सदर, नायब नजूल अभिचल सिंह, पीडी एके मिश्रा ने कहा कि एक सप्ताह के अन्दर वे सभी शिकायतो का निस्तारण कर शिकायतकर्ता को अवगत कराकर फीड करायेंगे। पटल प्रभारी कौशल श्रीवास्तव ने शिकायतो के निस्तारण के मानक के बारे में बताते हुए कहा कि तहसील, पुलिस, विकास अधिकारी आपस में समन्वय स्थापित करके प्रकरण का नियमानुसार निस्तारण नहीं करा रहे है।
उन्होंने बताया कि सीएम हेल्पलाइन में जांच निचले स्तर पर की जाती है तो उसकी स्थिति से आवेदक को एल-1 अधिकारी यदि बता दिया करें तो फीडबैक अर्थात एल-2 पर संदर्भ पुनः परीक्षण हेतु कम प्राप्त होंगे। कुछ तहसीलो की जांच आख्या देखी गयी जो अपने में सही है किन्तु आवेदक को वस्तु स्थिति उसे न बताने से बार-बार फीडबैक देता रहता है, जो आगे चलकर वरिष्ठ अधिकारी के पोर्टल पर पहुंच जाता है और शिकायत संख्या में वृद्धि होती है। उन्होंने यह भी बताया कि जनसुनवाई में पृष्ठाकिंत आदेश का अवलोकन कर उसका अनुपालन सुनिश्चित कराकर आख्या अपलोड करायी जाय। देखा जा रहा है कि प्रकरण तहसीलदार/नायब तहसीलदार को जांच हेतु निर्देश होता है और जांच लेखपाल को अग्रसारित होकर प्राप्त हो जा रही है जिसे निर्देशानुसार कार्यवाही हेतु वापस करने पर डिफाल्टर बढ़ जाता है।
आख्या के कालम में जांच आख्या का सरांश कम शब्दो में यथा ‘‘सीमांकन करा दिया गया है, आवेदक को धारा-24 के अन्तगर्त वाद प्रस्तुत कर अनुतोष पर प्राप्त करने अवगत करा दिया गया अथवा प्रकरण में वाद संख्या, तारीख पेशी आदि का हवाला देते हुए अपलोड करायी जाय। पुलिस विभाग से आख्या कालम में कुछ नही लिखा जा रहा। इसी प्रकार कुछ अधिकारीगण तो आख्या कालम गत बैठक में दिये गये निर्देश का अनुपालन कर रहे है और कतिपय विभाग के अधिकारियो द्वारा अनुपालन नहीं किया जा रहा है। ब्लाक, तहसील एवं थानो पर प्राप्त शिकायत का गुण दोष के आधार पर निस्तारित न होने, मौके पर जाकर जांच करने, शिकायत को लटकाये रखने तथा जांच आख्या से शिकायतकर्ता तथा प्रतिवादी को अवगत न कराने से शिकायतकर्ता की भीड़ अपनी शिकायत लेकर मेरे पास आती है फलस्वरूप जिले में प्रातः 9 से 11 बजे तक मेरे कक्ष के सामने भीड़ रहती है। यह स्थिति अच्छी नही है जिस ब्लाक, तहसील एवं थाने की शिकायते ज्यादा प्राप्त होगी उन्हे संज्ञान में लिया जायेगा और वहां के जिम्मेदार अधिकारियो/कर्मचारियो पर कार्यवाही की जायेगी। उचित होगा कि शिकायतकर्ता को जाॅच के परिणाम से अवगत कराये।