मंदिर-मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता की पहल पर पक्षकारों की मिली-जुली राय
अयोध्या। राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई में देश की सर्वोच्च अदालत की ओर से मध्यस्था की पहल पर पक्षकारों की मिलीजुली प्रतिक्रिया दिखी। कुछ नहीं से सार्थक पहल करार दिया तो कुछ को इस पहल से भी न उम्मीदी ही नजर आती है। हर कोई यह बात दोहराता रहा की जल्द से जल्द मामले का फैसला हो जाना चाहिए। अयोध्या ही नहीं पूरा देश मामले में फैसले को लेकर बेताब है।
इकबाल अंसारी बोले,सार्थक पहल, फैसला मान्य
राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थता की पहल पर मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि हम देश के संविधान और अदालत को मानने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अगर मध्यस्थता की पहल की है तो यह एक सार्थक प्रयास है। हम मामले के हल के लिए किसी से भी वार्ता को तैयार हैं लेकिन मामले को लेकर राजनीति करने वाले कोई सुलह समझौता नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पक्षकारों,अधिकारियों,वकीलों, साधु-संतों व बुद्धजीवियों को बुलाए और अपने सामने बात कराए। हिन्दू महासभा पहले ही सुलह से इंकार कर चुका है। वह पहले ही तैयार बैठे हैं कि नहीं मानेंगे समझौता। उन्होंने कहा कि जब हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने की बात कह रहे हैं तो सुप्रीम कोर्ट को मामले की जल्द से जल्द सुनवाई कर फैसला देना चाहिए।
कमल नयन दास बोले,राम जन्मभूमि लड्डू नहीं,की कर दिया जाए बंटवारा
राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता पर रामजन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत गोपालदास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने सुलह समझौते से इंकार किया।भगवान राम हिंदुओं के आस्था के प्रतीक और आराध्य हैं। रामजन्मभूमि के लिए मुसलमानों से कोई समझौता नहीं हो सकता। फैसले में लेटलतीफी को लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को कांग्रेस से है प्रभावित करार दिया। कहा कि सुप्रीम कोर्ट हिंदुओं की भावनाओं का बराबर अपमान कर रहा है और फैसला नहीं दे रहा। कोर्ट के विलम्ब के कारण ही गिराया गया विवादित ढांचा। हिंदू समाज राम मंदिर निर्माण के लिये कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि देश हमारा,राष्ट्र हमारा, भगवान हमारे। रामजन्मभूमि कोई लड्डू नहीं जो समझौता कर बांट दिया जाए।
रामदास बोले,मुसलमान दिखाएं बड़ा दिल
सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थता की पहल पर महंत रामदास ने कहा कि मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज को नियुक्त किया जाए। जो संवैधानिक रूप से दोनों पक्षों से बातचीत करे।सुप्रीम कोर्ट का सुझाव स्वागत योग्य है। उन्होने कहा कि करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं का ध्यान रखते हुए मुसलमान दिखाएं बड़ा दिल और आराध्य राम की जन्मस्थली को हिंदुओं को सौंप दें।
धर्मदास बोले,जमीनी हकीकत के आधार पर हो समझौता
राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता की पहल पर हिंदू पक्षकार महंत धर्मदास ने कहा कि मध्यस्थता के लिये सुप्रीम कोर्ट मुख्यमंत्री या किसी व्यक्ति विशेष को नियुक्ति करे या फिर स्वयं मध्यस्थता करे। मध्यस्थ अयोध्या की जमीनी हकीकत देखकर सुलह समझौते को अंजाम दे। उन्होंने कहा कि चाहे कोर्ट के फैसले से या फिर सुलह से, अयोध्या में जल्द हो राम मंदिर निर्माण।रोष जताया कि फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की मंशा साफ नहीं।
राजकुमार दास बोले,नहीं हासिल होगा कुछ भी
राम वल्लभा कुंज के अधिकारी महंत राजकुमार दास ने कहा कि पूर्व का अनुभव बताता है कि सुलह समझौते से कुछ भी हासिल नहीं होगा।हाईकोर्ट के पूर्व जज ही नहीं हिंदू मुस्लिम दोनों पक्ष कर चुके हैं सुलह समझौते का प्रयास,लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। उन्होने कहा की सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास है,कोर्ट मामले का जल्द फैसला दे।