-18 साल पहले बैल चोरी के आरोप में हुई थी युवक की हत्या
अयोध्या। वर्ष 2006 में पूराकलन्दर थाना क्षेत्र में बेल चोरी के मामले में जिसपर पकड़े गए दलित युवक गोली उर्फ प्रताप कोरो की हत्या के मामले में सभी पांचो आरोपितो जगन्नाथ, सतीराम, प्रेमचन्द्र लक्ष्मन व मालिकराम पर अपराध सावित न होने पर सन्देह के लाभ में बाइज्जत बरी हो गये । यह फैसला विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट) शिवानी जायसवाल ने वादी एवं गवाहो के बयानों के आधार पर सोमवार को सुनाया।
यह घटना जनपद के पूराकलन्दर थाना अन्तर्गत पिपरी गांव 18 साल पहले का है। बचाव पक्ष से वरिष्ठ फौजदारी अधिवक्ता राजेन्द्र प्रताप सिंह व हृदय नारायण सिंह ने पैरवी किया। तर्क दिया कि सभी अपोपित निर्दोष है। रंजिशन फर्जी फसाया गया है। कथित चोरी के आरापी को मारते हुए किसी ने नहीं देखा गवाहों के बयानों में भिन्नता है। गवाही के दौरान सभी गवाह पक्ष द्रही हो गये थे।
अभियोजन पक्ष के मुताविक 1 व 2 जून 2005 की रात 1 बजे गांव के दो चोर गांव में चोरी करने के इरादे से आये थे। चोरों ने गांव के महावीर के घर से बैल चुराकर भाग रहे थे। गोहार पर गांव वालो ने चोर को परड़ने के लिए दौड़ाया इस दौरान गांव वालो ने एक भागते हुए एक चोर को पकड़ लिया इसके बाद उसे मारपीट कर बांस कोट में बाध दिया। सुबह पांच बजे जब लोगो ने देखा तो चोर की मृत्यु हो गयी थी। लोगों ने सुब जब लाश की पहचान किया तो पता चला कि उसका नाम गोली उर्फ प्रताप कोरी है। वह चांदपुर जलालपुर गांव का रहने वाला है।
इस प्रकरण की रिपोर्ट ग्राम पचापंत पिपरी के राम सेवक निषाद की तहरीर पर अज्ञात लोगों के विरूद्ध मुकदमा अपराध संख्या 286/2006 अन्तर्गत धारा 147, 342, 304 के तहत थाना पूराकलन्दर में दर्ज हुई। विवेचना के पश्चात् विवेचक ने जगन्नाथ समेत पांच आरोपियो के विरूद्ध मुकदमा एससी/एसटी की धारा व अन्य अपरोधों में चार्जशीट सम्बंधित न्यायालय में प्रस्तुत किया इसके पश्चात 21 जून 2007 को केस ट्रायल के लिए सेशन न्यायालय के सुर्पुद किया गया गया।
सुनवाई के दौरान वादी मुकदमा समेत अभियोजन पक्ष के 12 गवाह कोर्ट में पेश हुए गवाही के दौरान गवाहों ने घटना की पुष्टि नहीं की गवाहों के पक्षद्रोही होने तथा अभियोजन पक्ष भी आरोपितों पर अपराध साबित नहीं कर सका। न्यायाधीश ने सुनवाई के बाद सभी पांचो आरोपितो को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया।