अतुलनीय भक्ति का आख्यान है राम की
लखनऊ। नवरात्र और रामनवमी महोत्सव की समापन बेला में विश्व का अद्वितीय इक्यावन शक्तिपीठ तीर्थ साहित्य, कला और संस्कृति के सारस्वत-संगम के अवतरण का साक्षी बना। इस अवसर पर महाकवि निराला की कालजयी कृति ‘राम की शक्तिपूजा’ शब्दांकित शिलापट का अनावरण हुआ। शक्ति और शाक्त विषयक त्रैमासिक पत्रिका ‘सर्वांग शक्तिपथ’ के तंत्र-विज्ञान विशेषांक का लोकार्पण किया गया। इस विशिष्ट संध्या को प्रख्यात गायिका स्वाति रिज़वी ने अपनी भक्तिपूर्ण स्वर लहरियों से आयोजन से स्मरणीय बनाया।
कार्यक्रम की शुरुआत आदिशक्ति माँ भगवती के आह्वान से हुई। मंदिर के प्रथम तल पर स्थापित निराला कृत ‘राम की शक्तिपूजा’ शब्दांकित शिलालेख का अनावरण प्रख्यात साहित्यकार एवं लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.सूर्यप्रसाद दीक्षित ने किया। तदुपरांत तद्सम्बंधित विषय पर आयोजित संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए शाक्त विचारक एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी श्री सुरेश कुमार सिंह ने कहा क़ि ‘राम की शक्तिपूजा’ शक्ति आराधन का भावपूर्ण उद्बोधन है। मंदिर में तत्सम्बन्धी शिलांकन एक ऐतिहासिक कार्य है। बतौर मुख्यअतिथि संबोधित करते हुए प्रो.सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा क़ि ‘राम की शक्तिपूजा’ निश्चय ही कालजयी रचना है। यह राम की शक्ति-भक्ति का अतुलनीय आख्यान है।अपने अध्यक्षीय उदबोधन में तीर्थ संस्थापक पं. रघुराज दीक्षित ने शक्ति और साहित्य के विभिन्न सन्दर्भों की चर्चा की। संगोष्ठी को लखनऊ विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ.रमेशचंद्र त्रिपाठी, डॉ.योगेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ.उषा आदि ने भी राम की शक्तिपूजा के विविध आयामों पर प्रकाश डाला।कार्यक्रम में इक्यावन शक्तिपीठ द्वारा शक्ति और शाक्त विषयक त्रैमासिक पत्रिका ‘सर्वांग शक्तिपथ’ के तंत्र-विज्ञान विशेषांक का लोकार्पण भी किया गया।
साहित्य, कला और संस्कृति की सारस्वत गतिविधि आधारित इस संध्या को प्रख्यात गायिका स्वाति रिज़वी ने अपने भक्तिपूर्ण गीत-संगीत से यादगार बना दिया। उनकी स्वर-लहरियों से उपस्थित सुधी-श्रद्धालु आह्लादित हो कर थिरक उठे।
कार्यक्रम का सञ्चालन लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के शिक्षक डॉ. पवन अग्रवाल ने किया। कार्यक्रम में वरद तिवारी, तृप्ति तिवारी, कैलाश उपाध्याय, जितेंद्र शुक्ल, शालिनी सिंह,श्रीमती गायत्री सिंह सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।