-
विवादों से घिरी 68500 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया
-
भर्ती परीक्षा से लेकर परिणाम व नियुक्ति देने की प्रक्रिया तक उजागर हो रही गड़बड़ियां
ब्यूरो। भाजपा की योगी सरकार में बेरोजगार युवाओं को नौकरी मिल जाये तो बहुत बड़ा नसीब है। डेढ़ साल होने को हैं, किसी को नौकरी की चिट्ठी नहीं मिली। जो भर्ती शुरू भी होती है वह किसी न किसी अड़ंगे के कारण स्थगित हो जाती है। बेसिक शिक्षा विभाग में 68500 शिक्षकों की भर्ती शुरू हुई है तो आरक्षण का खेल अचानक शुरू हो गया। इसके चलते 6000 अभ्यर्थियों को इस प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया। ये मेरिट के हिसाब से अर्ह हैं लेकिन सरकारी नियम जो लागू किया गया है, उसने इन्हें भर्ती की दौड़ से बाहर कर दिया है। जो युवा बेरोजगार अर्ह होते हुए भी अचानक आरक्षण का नियम लागू कर देने से 68500 पदों की भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो जाने के कारण उनका गुस्से में होना लाजिमी है। अब वे अदालत जाएंगे। अदालत रोक लगाएगी तो समझ लीजिए नौकरी के एक और अवसर पर ब्रेक लग जायेगा। अब इसके लिए सरकारी तंत्र को दोषी न माना जाये?
पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा की जाने वाली भर्ती परीक्षाओं के दौरान भाजपा द्वारा उनपर भ्रष्टाचार, जातिवाद, परिवारवाद के आरोप लगाये जाते रहे परन्तु जब खुद भाजपा की सरकार बन गयी तो अब होने वाली भर्तियों में कोर्ट से लेकर आम आदमी तक परेशान होने लगा है कि आखिर भर्तियां पारदर्शी बनाये जाने की घोषणा के बाद भी पारदर्शी क्यों नहीं हो पा रही हैं? प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों मंे शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाये जाने के उद्देश्य से 68500 अध्यापकों की भर्ती के लिए योगी सरकार ने नये नियम से परीक्षा करायी गयी जिसमें ओएमआर सीट का प्रयोग नहीं किया जिसका नतीजा आया तो अभ्यर्थी परीक्षा में मिली कार्बन कांपी और परिणाम में आये अंको का मिलान करने के बाद सवालिया निशान उठा रहे है यहां तक की हाईकोर्ट के सामने ऐसे भी अभ्यर्थी का मामला सामने आ चुका है जिसमें उसकी उत्तर पुस्तिका तक बदल दी गयी जिसमें छात्रा हाईकोर्ट पहुंची तो मामले को जानकार हाईकोर्ट भी हतप्रभ है। अभ्यर्थियों की माने तो ऐसे ही अभी हजारों मामले है जिनके लिए अभ्यर्थी अपनी उत्तर पुस्तिका मिलने का इंतजार कर रहे है।
परिषदीय स्कूलों की 68500 शिक्षक भर्ती शुरू से हे विवादों में घिरती रही है। पहली बार लिखित परीक्षा कराने का विरोध हुआ, फिर उत्तीर्ण प्रतिशत को लेकर शिक्षामित्रों ने विरोध किया। शासन ने नौ जनवरी को जारी आदेश में जो उत्तीर्ण प्रतिशत तय किया, उसे 21 मई को बदल दिया। अभ्यर्थियों ने परीक्षा के छह दिन पहले हुए बदलाव के आधार पर इम्तिहान दिया। अगस्त में रिजल्ट देने की बारी आई तो हाईकोर्ट ने 21 मई के आदेश को नहीं माना। परिणाम के पांच दिन पहले फिर नौ जनवरी को जारी उत्तीर्ण प्रतिशत बहाल हुआ। 13 अगस्त को जारी शिक्षक भर्ती के रिजल्ट में 41556 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हो सके। रिजल्ट विवाद अब भी चल रहा है। सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने की बारी आई तो तय पद 68500 की जगह सफल अभ्यर्थियों 41556 को ही आधार बनाकर चयन किया गया। इसीलिए शुक्रवार को जारी सूची में केवल 34660 अभ्यर्थियों का विभिन्न जिलों में आवंटन हुआ है। बेसिक शिक्षा परिषद ने नियुक्ति देने के लिए 21 से 28 अगस्त तक ऑनलाइन आवेदन लिया। इसमें 887 अभ्यर्थियों ने दावेदारी ही नहीं की। एनआइसी ने 40669 अभ्यर्थियों की ओर से दिए गए जिलों के विकल्प, उनके गुणांक और जिलों में उपलब्ध रिक्तियों के सापेक्ष आरक्षण के अनुरूप जिला आवंटन किया। प्रक्रिया में आरक्षित वर्ग के उच्च मेरिट वाले अभ्यर्थी अनारक्षित वर्ग की सीटें पाने में सफल में रहे। इससे लिखित परीक्षा में सफल 6009 अभ्यर्थी चयन सूची से बाहर हो गए हैं, इनमें से अधिकांश सामान्य वर्ग के हैं। अभ्यर्थी चयन सूची का विरोध कर रहे हैं। इस मामले को कोर्ट में भी चुनौती देने की तैयारी है।
सभी जिलों में शनिवार से शिक्षक भर्ती की काउंसिलिंग शुरू होगी। जिस अभ्यर्थी जो जिला आवंटित हुआ है उसे सारे अभिलेखों के साथ हिस्सा लेना है। जो अभ्यर्थी इसमें प्रतिभाग नहीं करेंगे, वे भी नियुक्ति से बाहर हो जाएंगे। तीन सितंबर तक चलने वाली काउंसिलिंग के लिए विस्तृत निर्देश दिए जा चुके हैं। शिक्षक भर्ती से बाहर हुए 6009 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिलाने के लिए बेसिक शिक्षा महकमे के अफसर मंथन करने में जुटे हैं। लखनऊ से बाहर रहे कुछ अफसरों को तलब करके इस संबंध में प्रस्ताव मांगा गया है। अपर मुख्य सचिव प्रभात कुमार ने ट्वीट करके आश्वस्त किया है कि इसका आदेश चंद दिनों में जारी होगा।
फिलहाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 68,500 शिक्षक भर्ती में नवनियुक्त शिक्षकों को 4 सितम्बर को नियुक्ति पत्र देंगे यह घोषणा हो चुकी है जिसका आयोजन राम मनोहर लोहिया विधि विवि में होगा। काउंसिलिंग से पहले ही नियुक्त पत्र बांटने का कार्यक्रम तय कर दिया गया है। इस कार्यक्रम में लगभग 4 हजार शिक्षकों को नियुक्त पत्र दिया जाएगा। इस भर्ती में 41,555 अभ्यर्थी पात्र हैं लेकिन आवेदन केवल 40669 अभ्यर्थियों ने ही किया है। 68,500 शिक्षक भर्ती में मंगलवार तक आवेदन लिए गए। चूंकि तयशुदा पदों से कम ही अभ्यर्थी लिखित परीक्षा पास कर पाए हैं लिहाजा काउंसिलिंग आदि जल्दी हो जाएगी। एनआईसी अभ्यर्थियों की सूची 31 अगस्त तक बेसिक शिक्षा परिषद को सौंपेगा। एक से तीन सितंबर तक जिलों में काउंसिलिंग होगी। इस भर्ती में 41,555 में से 887 अभर्थियों ने आवेदन नहीं किया है। माना जा रहा है कि इन अभ्यर्थियों को इस बीच दूसरी नौकरी मिल गई है या फिर ये अन्य किसी पात्रता पर खरे नहीं उतरते। पहली बार लिखित परीक्षा के माध्यम से शिक्षक चुने गए हैं।