शोध परियोजनाओं के टूटने का सिलसिला रुका‚ नई परियोजनाएं प्रारम्भ होने की दिशा में
कुमारगंज–फैजाबाद। नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज के कुलपति प्रो. जे.एस. संधू को विश्वविद्यालय में बतौर कुलपति कार्यभार सम्हाले 6 माह बीत गए। पहले 6माह में कुलपति के प्रगतिशील निर्णयों का परिणाम अब विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को स्थापित करने के मामले में सकारात्मक रूप से सामने आना प्रारम्भ हो गया है। कुलपति ने कार्यभार ग्रहण करने के साथ विश्वविद्यालय में शोध परियोजनाओं के टूटने का सिलसिला रुक गया तो नई महत्वाकांक्षी परियोजनाएं प्रारम्भ होने की दिशा में विश्वविद्यालय अपने कदम आगे बढ़ा पाने में सफल रहा। विश्वविद्यालय को सब्जी के सेत्र में एडवांस सेंटर फॉर पोटैटो के लिए प्रदेश में चुना गया है वहीं नए कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना व उनके संचालन का कार्य भी तेजी से आगे बढ़ गया है। इसका परिणाम यह है कि अमेठी, सुल्तानपुर, नानपारा व गोंडा कृषि विज्ञान केंद्रों पर सीमित संसाधनों के बावजूद फार्मों पर खरीफ फसल का उत्पादन प्रारम्भ कर दिया गया है। कृषि महाविद्यालय आजमगढ़ परिसर में इस सत्र से शिक्षण कार्य प्रारम्भ कराने का संकल्प रंग लाया और उस परिसर में विद्यार्थियों को इस सत्र से शिक्षण कार्य भी प्रारम्भ कर दिया गया है। कुलपति की नेतृत्व छमता का व सहकर्मियों को साथ ले चलने की कुशल रणनीति का परिणाम है कि मुख्यालय पर ही उपलब्ध शिक्षकों व मानवशक्ति से दोनों परिसरों की शिक्षा का कार्य सहजता से सम्पादित हो रहा है। अपने विशाल अनुभव का लाभ लेते हुए कुलपति प्रो संधू इस वर्ष विश्वविद्यालय के मुख्यालय से लेकर अन्य जनपदों में केंद्रों पर कृषियोग्य भूमि पर खरीफ फसलों का उत्पादन लगभग पूरी तरह शुरू कराने में सफल हो गए हैं। कुलपति ने विश्वविद्यालय को स्वावलम्बी बनाने की दिशा में कृषि उत्पादन प्रारम्भ कराने के साथ साथ निर्बाध व सस्ती विद्युत आपूर्ति के लिए सौर सेंटर की स्थापना कराने का निर्णय लिया है कुछ महीनों में सयंत्र की स्थापना के बाद विश्वद्यालय वर्तमान विद्युत दरों से काफी कम दरों पर निरंतर बिजली प्राप्त करेगा जिसका सफल परिणाम निश्चितरूप से शोध व शिक्षा के छेत्र को मिल सकेगा। दूर संचार सेवा प्रदाता कम्पनी रिलायंस से विगत दिनों हुए अनुबंध के बाद इस वर्ष के अंत तक विश्वविद्यालय परिसर पूरीतरह वाई फाई युक्त परिसर हो जाएगा। विश्वविद्यालय कर्मियों को सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध कराकर उनसे उनके कार्यों के प्रति उनके उत्तरदायित्व को तय करने की कुलपति प्रो जे एस संधू की रणनीति पहली अर्धवार्षिक परीक्षा में तो पूरी तरह सफल रही है जो विश्वविद्यालय के बेहतर भविष्य के आसार की झलक लिए हुए है।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.