-भक्तों ने राम मंदिर बनाने के लिए दान दिया है प्रॉपर्टी डीलिंग करने के लिए नहीं
अयोध्या। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर संत समाज ने आज अयोध्या धाम के मानस भवन में प्रेसवार्ता की।संत समाज की मांग की है कि ट्रस्ट सामने आकर अपने आप को निर्दोष साबित करे या फिर सरकार मामले की उच्च स्तरीय जांच कराए।संत पवन शास्त्री ने कहा कि अयोध्या की गरिमा पर बहुत बड़ी ठेस पहुची है।अयोध्या में रामराज्य की परिकल्पना की गई थी।अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण की परिकल्पना की गई थी।जिस निर्माण से राष्ट्र का निर्माण होना है उसके ऊपर आक्षेप लगा है।इस पर किसी सरकारी जांच की आवश्यकता नहीं है।
ट्रस्ट सामने आए और अपने आप को निर्दोष साबित करे। पवन शास्त्री ने कहा कि ट्रस्ट के सभी लोगों पर आरोप नहीं लगे है। जिन सदस्य व पदाधिकारियों पर आरोप लगे है वे अपने आप को निर्दोष साबित करने के लिए सदस्य पदाधिकारी अपने पद का त्याग कर सकते है।वंही संत दिलीप दास ने कहा कि मामले उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। मामले की निष्पक्ष जांच हो। अयोध्या के संतों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।राम मंदिर निर्माण का नेतृत्व करने वालों पर आरोप।लगाए गए है। भक्तों ने राम मंदिर बनाने के लिए दान दिया है प्रॉपर्टी डीलिंग करने के लिए नहीं। सुप्रीम कोर्ट प्रधानमंत्री या फिर मुख्यमंत्री के द्वारा इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।अगर दोष सिद्ध होता है तो उनके पर कार्रवाई हो। दिलीप दास ने कहा कि राष्ट्र का गौरव दांव पर नहीं लगाया जा सकता। अगर वह निर्दोष हैं तो आरोप लगाने वालों पर कार्रवाई हो।सीएम योगी की तरफ किया इशारा करते हुए दिलीप दास ने कहा कि कुछ अराजक तत्व आपसे।जुड़े हैं। जो आप की छवि को धूमिल कर रहे है।
संत दिलीप दास ने कहा कि सीएम योगी की तरफ भारत भविष्य देख रहा है। हिंदुत्व का भविष्य देख रहा है।आपके साथ में जुड़े जयचंद आपकी छवि को धूमिल कर रहे है। दिलीप दास ने कहा कि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास को मामले की जानकारी नहीं। नृत्य गोपाल दास को तव्वजो।नहीं दी जा रही है। सदस्य दिनेन्द्र दास को नहीं दी जाती तवज्जो।सदस्य अयोध्या राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप को नहीं दी जा रही तवज्जो।संत दिलीप दास ने सवाल। उठाया और कहा कि कौन है जो अयोध्या का नया विक्रमादित्य बन रहा है। अयोध्या का इतिहास बदल रहा है।इस मामले पर प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री को गहन समीक्षा करनी होगी।