– KIA INDIA PRIVATE LIMITED का कर्मचारी बनकर एजेंसी दिये जाने के नाम पर करते थे ठगी
अयोध्या। साइबर क्राइम थाना अयोध्या पुलिस टीम ने किया मोर्टस कम्पनी का कर्मचारी बनकर कम्पनी की कार एजेन्सी दिये जाने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले नालंदा बिहार, फरीदाबाद हरियाणा से सम्बन्धित अन्तर्राजीय गैंग के तीन शातिर साइकिल अपराधी को गिरफ्तार कर उनके पास से दो लाख तिरानवी हजार एक सौ रूपये बरामद किया है।
मामला नगर के सहादतगंज से जुड़ा है। यहां के निवासी शैलेन्द्र प्रताप सिंह ने कार की एजेंसी लेने के प्रयास में थे कि तभी अचानक वह साइबर ठगों के बुने जाल में फंस गये। ठगों ने पीड़ित से अपने खाते में 50 लाख से भी ज्यादा की रकम ट्रांसफर करा ली। पीड़ित को जैसे ही अपने साथ ठगी होने का पता चला तो उसने थाना कैंट में रिपोर्ट दर्ज कराई। मामला साइबर ठगी से जुड़ा हुआ था इसलिये केस साइबर थाने को ट्रांसफर हो गया। बुधवार को मामले में पुलिस ने सुल्तानपुर से तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर अंतरराज्यीय गिरोह का न सिर्फ खुलासा किया बल्कि लाखों रुपये की बरामदगी भी की।
सहादतगंज निवासी शैलेन्द्र प्रताप सिंह पुत्र कृष्ण प्रताप सिंह काफी दिनों से खुद का बिजनेस डालना चाहते थे। शैलेन्द्र ने कार एजेंसी डालने का मन बनाया। इसके पश्चात उन्हें किआ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रसारित ईमेल के माध्मय से कुछ सुझाव मिला। वह इस संबंध में जानकारी एकत्र ही कर रहे थे कि इसी बीच उनसे खुद को किआ का कर्मी बताने वाले ने संपर्क किया। 29 अगस्त को उसके द्वारा बताए गए खाते में वादी ने कुल 50 लाख 51 हजार रूपये जमा करा दिया।
जब वादी को जानकारी मिली कि वह साइबर अपराध का शिकार हो गया है तो थाना स्थानीय पर प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया था। थाना साइबर क्राइम ने तफ्तीश शुरू की तो पता चला कि यह अंतरराज्जीय गिरोह है, जो एजेंसी दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी करता है। इसके बाद पुलिस ने नालंदा बिहार, फरीदाबाद हरियाणा से सम्बन्धित अन्तर्राजीय गैंग के 3 शातिर साइबर बदमाशों को सुल्तानपुर रेलवे स्टेशन के निकट से गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों से घटना से सम्बंधित दो लाख तिरानवे हजार एक सौ रुपये भी बरामद हुए है। आरोपियों की पहचान कुलदीप गिल डबुआ कालोनी थाना डबुआ जिला फरीदाबाद हरियाणा, सिकन्दर व मुन्ना कुमार नालंदा बिहार के रूप में हुई। आरोपियों से 5 मोबाइल व 13 एटीएम कार्ड भी बरामद हुआ है। गिरफ्तार करने वाली टीम में निरीक्षक कमला पति यादव, उप निरीक्षक अमित शंकर आदि शामिल रहे।
एजेंसी दिलाने के नाम लेते थे पंजीकरण शुल्क व फीस
-गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि आरोपियों का साइबर अपराधियों का एक संगठित गैंग है, जो फर्जी तरीके से नामी कम्पनियों की एजेन्सी दिलाने के नाम पर भोले भाले लोगों को शिकार बनाते हैं। आरोपियों द्वारा लोगों से एजेन्सी दिलाये जाने के लिए पंजीकरण शुल्क व फार्म फीस के नाम पर अलग-अलग खातों में पैसा जमा करवाया जाता है तथा जिन खातों को आरोपियों द्वारा लोन लेने के जरूरत मंद लोगों से लोन के नाम पर बैंक खुलवाया गया होता है।
खाते से लिंक डेबिट कार्ड, मोबाइल सिम व खाता पासबुक को अपने पास लेकर ठगी से प्राप्त किये गये धनराशी को अलग अलग जगह से कैश व अन्य माध्यमों से निकाल लिया जाता है।