-फोन बन गया है लव जोन, तीन स्टेज़ से गुजरती है लव ट्रेन
अयोध्या। वैलेंटाइन्स-डे प्रेरित किशोर व युवाओ द्वारा रोमांटिक लव पार्टनर की खोज एक ऐसा मनोउत्प्रेरक बन जाता है जो वर्ष भर छद्म प्रेमी युगल बनने और बनाने की मनचली मनोदशा के रूप में दिखाई पड़ता रहता है जिसके आत्मघाती मनोदुष्परिणाम ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम या रिएक्टिव डिप्रेशन के रूप मे दिखाई पड़ते है तथा अकादमिक उपलब्धि व कैरियर ग्रोथ को दुष्प्रभावित करते है ।
वैलेंटाइन्स डे की पूर्व संध्या पर यह बातें डा आलोक मनदर्शन ने यौनाकर्षण व प्यार मनोविभेद विषयक विज्ञप्ति मे दी । यौनाकर्षण से शुरु होकर स्थायी प्यार की यात्रा के तीन चरण होते हैं
पहली स्टेज में अपने प्यार को देखने पर पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन रिलीज होते हैं और महिलाओं में एस्ट्रोजन,जो यौनाकर्षण का कारण बनते हैं।
दूसरी स्टेज में दिल की धड़कन व इक्साइटमेंट बढ़ जाता है। तीसरी स्टेज में कपल के बीच बॉन्डिंग व इमोशनल कनेक्टिविटी बढ़ती है। यह स्टेज लस्ट,अट्रैक्शन व अटैचमेंट की स्टेज कहलाती है।
डिजिटल युग में रोमांटिक कम्यूनिकेशन का मुख्य जरिया मोबाइल बन चुका है। यौनाकर्षण व प्यार के लिये हैप्पी हार्मोन्स जिम्मेदार होते हैं।
डोपामाइन मनोरसायन स्नेह, उल्लास, चाहत, अट्रैक्शन बढ़ाता है वहीं इंडोर्फिन रसायन अट्रैक्शन, खुशी, पॉजिटिव फीलिंग्स, सेक्शुअल डिजायर, मोटिवेशन बढ़ाता है तथा ऑक्सिटोसिन हार्मोन अट्रैक्शन, बॉन्डिंग, और एक्साइटमेंट बढ़ाता है।
यौनाकर्षण के स्थायी प्यार मे कन्वर्ट करने वाला हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन मूड स्टेबलाइज़र या लव स्टेबलाइज़र का कार्य करता है जो उम्र बढ़ने के साथ संवर्धित होता है। इस मनोजागरूकता से युवा व किशोर अपने लस्ट को लव समझने की भूल से बच सकते हैं।