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सेक्सुअल वैरिएन्स का ही रूप है ‘गे’, ‘लेस्बियन’,’सटाइरोमैनिया’ व ‘निम्फोमैनिया’
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किशोर मनोमोड़ ले जाता है सेक्सुअल विविधता की ओर : डा. आलोक मनदर्शन
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डा. आलोक मनदर्शन
फैजाबाद। सेक्सुअल वैरिएन्स से ग्रसित लोगो के मन में हर वक़्त सेक्स के भावनाए व विचार उनके अर्धचेतन मन में चलते रहते है और बार-बार ऐसे कृत्य के लिए उन्हें विवश और बेचैन करते है | ‘सेक्सुअल वैरिएन्स मुख्यतः दो प्रकार के होते है | ‘होमोसेक्सुअल व ‘हेट्रोसेक्सुअल । ‘होमोसेक्सुअल वैरिएन्स से ग्रसित लोगो में समलिंगी सेक्स सम्बन्ध बनाने की लत होती है | पुरुष होमोसेक्सुअल ‘गे’ और महिला होमोसेक्सुअल ‘लेस्बियन’ कहे जाते है | इस प्रकार पुरुष होमोसेक्सुअल या ‘गे’ अधिक से अधिक पुरुषो से सेक्स सम्बन्ध बनाने के मादक खिचाव से ग्रसित होता है तथा महिला होमोसेक्सुअल या लेस्बियन अधिक से अधिक महिलाओं से ही सेक्स सम्बन्ध बनाने के लिए आसक्त होती है | इसी प्रकार ‘हेट्रोसेक्सुअल-वैरिएन्स ’ से ग्रसित लोग विपरीत लिंग या अपोजिट जेंडर के लोगों से अधिक से अधिक सेक्स सम्बन्ध बनाते रहते है | इससे ग्रसित पुरुष के अधिक से अधिक महिलाओं से सेक्स सम्बन्ध बनाने की लत को सटाइरोमैनिया’ या पालीगैमी तथा इससे ग्रसित महिलाओं में अधिक से अधिक पुरुषों से सेक्स सम्बन्ध बनाने की मनोवृत्ति हावी रहती है, जिसे निम्फोमैनिया या एंड्रोगैमी कहा जाता है | कुछ अन्य विकृत रूप भी देखने को मिलते है, जिसमे जानवरों के साथ सेक्स करने की लत जिसे ‘बीस्टोफिलिया’तथा बच्चो के साथ सेक्स करने की लत जिसे ‘पीडोफिलिया’ नाम से संबोधित किया जाता है |