रक्षा मंत्री के रूप में श्री मुलायम सिंह यादव ने सैनिको को जो सम्मान दिया वो सम्मान आज तक किसी रक्षा मंत्री ने नहीं दिया उन्होने आदेश किया कि यदि कोई सैनिक शहीद होता है तो उसके पार्थिव शरीर को राजकीय सम्मान के साथ उसके गांव में संस्कार कराया जायेगा एवं एक मुस्त सरकारी सहायता देकर उसके परिवार को सुखी बनाया जायेगा।
श्री मुलायम सिंह यादवजी से मेरा पहला परिचय संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन लखनऊ में पानदरीबा पार्टी कार्यालय पर हुआ था और श्री भगवती सिंह ने जो उस समय कार्यालय के प्रभारी और प्रदेश सचिव थे उन्होने परिचय कराया था। देश में आपात काल खत्म होने के बाद वर्ष 1977में पूरे देश में चुनाव हुए थे, उत्तर प्रदेश में अयोध्या और लखनऊ में उपचुनाव होना था। प्रदेश में श्री राम नरेश यादवजी के मुख्य मंत्रीत्व में सरकार बन चुकी थी। और श्री मुलायम सिंह यादव जी सहकारिता एवं पशुपालन के मंत्री थे। मुझे जनता पार्टी की ओर से अयोध्या विधान सभा से उपचुनाव लड़ने का मौका मिला और मैं माननीय चौधरीचरण सिंह जी कि आवास पर बैठा था। और उनके सुरक्षा कर्मी श्री करतार सिंह ने बताया कि चौधरी साहब ने कहा है कि आप बैठिये श्री मुलायम सिंह जी आने वाले है और आपको उनके साथ जाना है। थोड़ी देर बाद श्री मुलायम सिंह जी आये और हम दोनो लोग चौधरी साहब से मिले चौधरी साहब ने मुलायम सिंह जी को निर्देश देते हुए कहा तुम्हे अयोध्या में रह कर जयशंकर को चुनाव जिताना है, यह चुनाव जनता पार्टी कि इज्जत का सवाल है मुलायम सिंह यादवजी अयोध्या के उपचुनाव में लगभग 27 दिन विधान सभा क्षेत्र के हर गांव में गये और लोगों से मिलकर जनता पार्टी को समर्थन दिलाया जिससे कांग्रेस पार्टी के साथ कांटे के संघर्ष में जनता पार्टी की जीत हुई । मुलायम सिंह जी के सम्बन्ध में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल जी ठीक कहते है। कि ये किसान परिवार से आये जिन्हे कोई राजनैतिक विरासत नहीं मिली यह सिर्फ उनकी कड़ी मेहनत का नतीजा था। कि मुलायम एक जन समर्थन का आधार तैयार कर पायें। और देश में इतनी बड़ी राजनैतिक ताकत बन पाये। दर असल ये समाजवादी विचारधारा में संघर्ष का वह तत्व था जिसने उनकी कामयाबी की राह प्रस्तत की ।
सही अर्थो में कहा जाये तो मुलायम सिंह यादवजी ही उ0प्र0 में गैर काग्रेस वाद के पहले मुख्यमंत्री बने वर्ष 1967 में जब पूरे देश में कांग्रेस पार्टी का बोलबाला था। तब श्री यादव संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के बैनर पर इटावा के जसवन्त नगर सीट से चुनाव लड़े और विजयी हुए। और उस समय प्रख्यात समाजवादी नेता श्री रामसेवक यादव संसोपा के राष्ट्रीय महामंत्री थे। जिनका पूरा बरध्वस्त मुलायम सिंह यादव के साथ था और उन्ही के साथ साथ डॉ0 राम मनोहर लोहिया, मधुलिमये, राजनारायण , कर्पूरी ठाकुर, कमाण्डर अर्जुन सिंह भदौरिया, जार्ज फर्नाडीज, जैसे वरिष्ठ समाजवादी नेताओं का आशीर्वाद मुलायम सिंह जी के साथ उनकी संघर्ष शीलता के कारण सदैव रहा। श्री यादव के मन में समाज वादी विचार धारा के प्रति अत्याधिक लगाव रहा। लोहिया की राजनैतिक विचार धारा और चौधरी चरण सिंह की दृढता का संगम आज भी मुलायम सिंह में देखा जा सकता है। वर्ष 1980 आते आते जनता पार्टी का विघटन हो गया केन्द्र सरकार गिर गई और आम चुनाव कराये गये इस चुनाव में यद्यपि श्री यादव हार गये थे। लेकिन वे विधान परिषद में चुने गये और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष बने इसी समय वे लोक दल के प्रदेश अध्यक्ष भी बने जो बाद में जनता दल में बदल गया।
मुलायम सिंह यादवजी के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण वर्ष 1988 था इसी वर्ष में उत्तर प्रदेश में दो विधान सभा और एक लोकसभा का चुनाव होना था ये उपचुनाव मुलायम सिंह के लिए बड़ा परिवर्तन कारी साबित हुआ और इस मोड़ ने उन्हे धरती पुत्र बनाकर देश का नेता बना दिया । उत्तर प्रदेश की टाण्डा विधान सभा (तत्कालीन जनपद फैजाबाद) तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश की छपरौली विधान सभा जिला मेरठ तथा इलाहाबाद लोक सभा क्षेत्र में उपचुनाव होने थे। टाण्डा शीट तत्कालीन कैबिनेट मंत्री तथा कदावर नेता पूर्वाचल के गांधी स्व. श्री जयराम वर्मा के निधन से खाली हुई थी। इलाहाबाद लोक सभा सीट से श्री अमिताभ बनचन सांसद थे। जिन्होने बोफोर्स तोप काण्ड में अपना नाम आने से लोक सभा से अपना इस्तीफा दे दिया था। टाण्डा सीट पर श्री गोपीनाथ वर्मा लोकदल से प्रत्याशी थे। प्रार्टी की तरफ से टाण्डा सीट पर चुनाव जिताने का प्रभार श्री मुलायम सिंह यादव को और छपरौली सीट की जिम्मेदारी चौधरी अजीत सिंह को और इलाहाबाद लोक सभा सीट जिस पर श्री बी0पी0 सिंह चुनाव लड़ रहे थे उसकी जिम्मेदारी चौधरी देवी लाल को सौंपी गयी थी इस चुनाव की विशेषता यह थी कि मुलायम सिंह जी वैसे तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश से सम्बन्ध रखते थे। लेकिन टाण्डा जैसी पूर्वाचंल की सीट पर चुनाव कार्य देखने के कारण पूर्वाचल में उनका प्रभाव तेजी के साथ बढा मुलायम सिंहजी ने अपनी राजनैतिक सूझ बूझ और अथक परिश्रम से टाण्डा विधान सभा सीट पर श्री गोपीनाथ वर्मा को जिता कर पूरे प्रदेश में अपनी धाक जमा ली इसी जीत का नतीजा था कि आने वाले दिनों में प्रदेश में मुख्यमंत्री बनने को लेकर उनके और चौधरी अजीत सिंह के बीच जो प्रतिद्वन्दिता चली उसमें मुलायम सिंह विजयी होकर निकले थे।
उत्तर प्रदेश में काफी संघर्ष के बाद मुलायम यादवजी जब मुख्यमंत्री बने तो उनके सर पर कांटां का ताज था। श्री लाल कृष्ण आडवानी जी के नेत्रृत्व में राम मन्दिर निर्माण के लिए सोमनाथ से यात्रा अयोध्या के लिए चल चुकी थी। उत्तर प्रदेश मण्डल और कमण्डल के युद्ध का रण क्षेत्र बन गया था। दिल्ली में बैठी हुई सरकार मुलायम सिंह यादव से दोहरी भाषा में बात कर रही थी। मुलायम सिंह चौतरफा संघर्ष में घिर कर भी राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कहा कि जब तक मैं मुख्यमंत्री हूं मैं भारत के संविधान की हर सम्भव रक्षा करने का प्रयास करूगां और इसके लिए हमें जो भी संघर्ष करना पड़ेगा उसमें खरा उतरने का प्रयास करूगां। 30 अक्टूबर और 02 नवम्बर 1990 को जब लाखों की संख्या में लोग अयोध्या को घेरने लगे और विषम स्थिति पैदा कर दी गयी तब भी सीमित शक्ति का प्रयोग करते हुए उन्होने संविधान की मर्यादा को बचाने का प्रयास किया और कहा कि राम मन्दिर का निर्माण दोनो पक्षों की सहमति से अथवा न्यायालय के निर्णय से ही होगा। राम मन्दिर के निर्माण के सम्बन्ध में श्री मुलायक सिंह जी के द्वारा कही गयी बात ही सत्य हुई और आज न्यायालय के आदेश से राम मन्दिर का निर्माण हो रहा है।
मुलायम यादवजी ने मुख्यमंत्री के रूप में लोक सेवा आयोग में अंग्रजी के स्थान पर हिन्दी लागू करके उत्तर प्रदेश के लोक सेवा आयोग के प्रतियोगी परीक्षार्थीयों को बहुत बड़ा लाभ पहुचाया जिससे ग्रामीण अंचल के हजारों परीक्षार्थीयों को लाभ मिला और वे परगना अधिकारी और उपपुलिस अधीक्षक के पदों पर चयनित हुए और पहली बार किसानों का 10 हजार तक का कर्ज माफ हुआ और चुगी समाप्त हुई विधवा पेंशन कन्या विद्या धन योजना और लड़कियों को पढने के लिए ब्लॉक स्तर पर सरकार के द्वारा महाविद्यालय मुहइया कराया गया। गन्ना किसानों को गन्ना का दाम प्रति वर्ष बढाया गया और किसानों को मजबूत किया गया। अयोध्या का चतुर्दिक विकास तथा रामायण मेला आयोजन के लिए सरकार द्वारा धन दिया गया ।
रक्षा मंत्री के रूप में श्री मुलायम सिंह यादव ने सैनिको को जो सम्मान दिया वो सम्मान आज तक किसी रक्षा मंत्री ने नहीं दिया उन्होने आदेश किया कि यदि कोई सैनिक शहीद होता है तो उसके पार्थिव शरीर को राजकीय सम्मान के साथ उसके गांव में संस्कार कराया जायेगा एवं एक मुस्त सरकारी सहायता देकर उसके परिवार को सुखी बनाया जायेगा।
मुलायम सिंह यादव अपने कार्यकर्ताओं और नेताओ को परिवार की तरह पाला पोषा है सुबह पांच बजे से लेकर रात 12 बजे तक कार्यकर्ताओं से संवाद और सम्पर्क बना कर समाजवादी पार्टी को मजबूत किया है मुझे याद है 1993 में विधान सभा के चुनाव में फैजाबाद गुलाबबाड़ी के मैदान में चुनावी सभा का आयोजन था गुलाबबाड़ी का मैदान बरसात के कारण पानी से भर गया था। हेलीकॉप्टर उतरने के लिए बहुत ही कम जगह थी। पायलट ने हेलीकापटर उतारने से मना कर दिया। लेकिन मुलायम सिंह ने पायलट से कहा कि अगर मैं फैजाबाद में नहीं बोलूंगा तो जयशंकर का नुकसान हो जायेगा। तुम हेलीकापटर को नीचे करों मैं जमीन पर कूद जाऊंगा और जब तक मीटिंग चालेगी तब तक तुम ऊपर उड़ते रहना और जब इशारा हो जायेगा। तो नीचे उतरना और मैं फिर कूद कर चढ लूंगा। मुलायम सिंह जी ने गुलाबबाड़ी के मैदान में जनसभा की और पायलट ने जान को जोखिम में डालकर गुलाबबाड़ी के कोने में किसी तरह से उतारा था। लेकिन मुलायम सिंह अपनी बात पर कायम रहे और शायद इसी लिए कहा गया है कि जिसने कभी न झुकना सीखा उसका नाम मुलायम है।