-मेंटल वेल बीइंग के तहत एक दिवसीय संगोष्ठी ‘तैयारी स्वयं की’ का हुआ आयोजन

अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग में कुलपति कर्नल डॉ. बिजेंद्र सिंह के निर्देशन में मेंटल वेल बीइंग के तहत एक दिवसीय संगोष्ठी ‘तैयारी स्वयं की’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अनंतश्री आयुर्वेद सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, आयोध्या के डॉ. नीतीश दुबे रहे। अपने उद्बोधन में डॉ. नीतीश ने कहा कि वर्तमान परिवेश में विद्यार्थियों को गंभीर मानसिक तनाव से जूझना पड़ रहा है, इसका प्रमुख कारण उनका एकाकी जीवन है। सोशल मीडिया का नकारात्मक प्रभाव युवा पीढ़ी में घर कर रहा है, इसके कारण सामाजिक असुरक्षा, तनाव, अपराध-बोध जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।
सोशल मीडिया सिर्फ नाम का सामाजिक है, यह सिर्फ कल्पनाशीलता को बढ़ाता है और उसी में युवा अपना सबकुछ पा लेना चाहता है जो उसे यथार्थ से बिल्कुल अलग ले जाती है। इसी कारण युवाओं में तनाव और अवसाद बढ़ रहा है, रील्स की दुनिया उन्हें यथार्थ से अलग कर रही है जो बेहद घातक है। जीवन में संतुलन बनाये रखना बहुत आवश्यक है और समय के साथ जीवन में स्थान परिवर्तन व्यक्ति को मानसिक और कौशल की दृष्टि से सशक्त करता है। वर्तमान के युवा अपने सभी निर्णयों को स्वयं लेने की परंपरा में रहने लगे हैं, जबकि ऐसी स्थिति में माता-पिता और शिक्षकों की सहायता आवश्यक हो जाती है। यही कारण है कि वे समय से स्वयं को तैयार नहीं कर पा रहे हैं।
कोई रोग एक दिन में नहीं होता, इसके लिए उसके उत्पन्न हो रहे विचार मानसिक विकार की ओर ले जाते हैं और उसे मानसिक तनाव की ओर धकेल देते हैं। मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) से बचने का एक मात्र उपाय स्वयं को तैयार करना है। डॉ. दुबे ने कहा कि पत्रकारिता एक चुनौती भरा क्षेत्र है, इस क्षेत्र में मानसिक दबाव अधिक होता है क्योकि उस पर बेहद कम समय में घटनाओं की तथ्यात्मक रिपोर्टिंग करने का दबाव होता है, आए दिन उसे विचिलित कर देने वाली घटनाओं का सामना करना पड़ता है जिसका उस पर सीधा प्रभाव होता है। इसके लिए पत्रकार का मानसिक तौर पर स्वस्थ होना आवश्यक है, उसे अपनी दिनचर्या में संतुलित आहार और प्राणायाम को शामिल करना चाहिए, साथ ही समय से सोने का प्रयत्न करना चाहिए क्योकि इसका सीधा असर पाचन तंत्र पर पड़ता है।
आयूर्वेद का मत है कि संतुलित आहारचर्या व्यक्ति को ऊर्जावान बनाती है। छात्र-छात्राओं को स्वस्थ जीवनचर्या में रहने की सीख देते हुए उन्होंने कहा कि जब आप सीखते हैं तभी आप सफल होते हैं, निरंतर प्रयास के साथ ही सफलता मिलती है। पत्रकारिता के क्षेत्र में नित नए प्रयोग हो रहे हैं, उन तकनीकों के साथ स्वयं को अपग्रेड करें और स्वस्थ जीवन के मूल मंत्र के साथ आप आगे बढ़ें। डॉ. विजयेन्दु चतुर्वेदी ने कहा कि जीवन की प्रतिस्पर्धा में मस्तिष्क का ठीक रहना बेहद आवश्यक है, मानसिक तनाव निर्णय लेने की क्षमता को कमजोर करता है, इसके लिए छात्र-छात्राओं को निरंतर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए और बाहरी खान-पान से बचना चाहिए।
डॉ. आर एन पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि मानव मस्तिष्क जेट इंजन के समान है, इस पर नियंत्रण कर के ही जीवन की सफलता को प्राप्त किया जा सकता है। मुख्य अतिथि का स्वागत अंग-वस्त्र एवं स्मृति-चिह्न भेंट कर किया गया। इस अवसर पर क्षितिज द्विवेदी, शिवांग, श्रेया, हंसिका, जिज्ञासा, श्रृष्टि त्रिपाठी, अक्ष, शगुन, हंसिका, जिज्ञासा, हर्षिता, मानसी यादव, सृष्टि सोनी, आदि उपस्थित रहे।