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ऐसे किशोर ब्लैकमेलिंग के करते है नये-नये मनोनाट्य
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डॉ. आलोक मनदर्शन ने शोध से किया दावा
फैजाबाद। ज़िला चिकित्सालय में आयोजित पैरेंटिंग पैटर्न व किशोर मनोस्वास्थ्य विषयक कार्यशाला में किशोर मनोपरामर्श दाता डा0 आलोक मनदर्शन ने अभिभावकों व बच्चों पर किये गये अपने शोध के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि ज्यादातर अभिभावक खुद मनोविकार के लक्षणों से परेशान रहते है। वह अपने तर्को के आधार पर अपने मानसिक लक्षणों को सही ठहराने का प्रयास करते है। अभिभावकों का यह प्रयास उनके बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। जिससे वह अपने बच्चे के व्यक्तित्व को सुधारने के प्रयास में स्थिति को और गम्भीर बना देते है। पैरेन्ट्स में मौजूद इस पर्सनालिटी डिसआर्डर को साइकियाट्रिक पैमाने पर स्टीरियोटाइप्ड पर्सनालिटी डिसआर्डर तथा आम भाषा में मानसिक जड़त्व कहा जाता है।
उन्होने बताया कि पैरेन्ट्स व परिजन यह समझें कि परिवार एक चेन है और किशोर या किशोरी के स्वस्थ व्यक्तित्व निर्माण में इस चेन की हर एक कड़ी का स्वस्थ होना आवश्यक है। पैरेन्ट्स को अपने पर्सनालिटी डिसआर्डर को पूर्ण मनोयोग से स्वीकार करते हुये मनोपरामर्श के लिये स्वयं व मनोविचलित किशोर या किशोरी का संयुक्त परामर्श लेने में सकारात्मक रवैया होना चाहिए। इस शोध में पैरेन्टिंग-पैटर्न को लेकर जो तथ्य उभर कर सामने आये हैं उनमें सबसे अधिक इम्मेच्योर-पैरेन्टिंग, दूसरे स्थान पर न्यूरोटिक-पैरेन्टिंग तथा पैम्परिंग-पैरेन्टिग तीसरे स्थान पर दिखी। इन नकारात्मक पैरेन्टिंग-पैटर्न का दीर्घकालिक गंभीर मनोदुष्प्रभाव पैरेन्ट्स व किशोर या किशोरी दोनों पर होता है। जबकि मेच्योर-पैरेन्टिंग ही स्वस्थ व सकारात्मक परिणाम देती है जिसकी समझ व जागरूकता ज्यादातर अभिभावकों में विकसित करने की नितांत आवश्यकता है। अति लाड प्यार से बचें तथा दंड व प्रोत्साहन विधि से ही अपने पाल्य को नियंत्रित रखें।शोध टीम के अन्य सदस्यों में बालकिशन निषाद, अरशद रिजवी, अनित दास आदि प्रमुख रहे।