-भारतीय भाषाओं के विकास में ही देश हित : प्रो. रविशंकर सिंह
अयोध्या। सिंधियों ने सिंधी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए कराची हलवा आंदोलन चलाया था। यह जानकारी दिल्ली विष्वविद्यालय में सिंधी भाषा के प्रो० रविप्रकाश टेकचंदानी ने बतौर मुख्य वक्ता साझा की। वे डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय द्वारा संचालित और राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद् द्वारा वित्तपोषित अमरशहीद संत कँवरराम साहिब सिंधी अध्ययन केंद्र तथा सिंधु वुमन एण्ड चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सिंधी भाषा दिवस के अवसर पर अपने ऑनलाइन विचार साझा कर रहे थे। प्रो. टेकचंदानी ने कहा कि सिंधी साहित्यकारों, पत्रकारों, समाजसेवियों की मांगों का तत्कालीन केन्द्र सरकार पर जब 20 वर्षां तक प्रभाव नहीं पड़ा, तो उन्होंने गांधीगीरी करते हुए कराची हलवा आंदोलन चलाया था। इस क्रम में वे संबंधितों को कराची हलवा खिलाकर मुंह मीठा कराते और संवैधानिक मान्यता दिलाने का आग्रह करते हुए अनेक तर्क रखते थे। ज्ञातव्य हो कि देश विभाजन में पंजाबी और बंगाली भाषा को आधे प्रान्त तो मिल गए, किन्तु पूरा सिंध प्रान्त पाकिस्तान में चले जाने से सिंधी निर्वासित हो गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रविशंकर सिंह ने की। उन्होंने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि सिंधी भाषा का अपना कोई प्रदेश न होने के कारण सम्पूर्ण समाज का उसके संरक्षण का दायित्व बनता है। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं के विकास में ही देश हित निहित है। इस क्रम में सिंधी भाषा का शिक्षण और प्रचार प्रसार के लिए विश्वविद्यालय को मिले, इस अवसर का भरपूर सदुपयोग होना चाहिए। उन्होंने अपने निजी अनुभवों में सिंधी के साथ लगाव के अनेक संस्मरण सुनाए।
सिंधु वुमन एण्ड चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी द्वारा संचालित राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद् के सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और एडवांस डिप्लोमा करने वाले 04 दर्जन से अधिक विद्यार्थियों को अवध विश्वविद्यालय के कुलपति ने प्रमाण पत्र प्रदान किए। संत कँवरराम साहिब सिंधी अध्ययन केंद्र के मानद निदेशक प्रो0 आर0 के0 सिंह ने केंद्र की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सिंधी के संरक्षण और संवर्धन के लिए गतिविधियों का वार्षिक कैलण्डर तैयार कर लिया गया है, जिसे जल्द ही जारी किया जाएगा। अध्ययन केंद्र के मानद सलाहकार ज्ञाप्रटे सरल ने सिंधी के संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित कराने में अटल बिहारी बाजपेयी, जयराम दास दौलत राम सहित अनेकों के संघर्ष की व्यथा कथा पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ0 सुरेन्द्र मिश्र ने सिंधी विभाग की गतिविधियों की जानकारी देते हुए सिंधी समुदाय से सिंधी विद्यार्थियों की परास्नातक स्तर पर संख्या बढ़ाये जाने की पुरजोर अपील की। जिंगिल बेल एन.टी.टी. की प्रिंसिपल श्रीमती अंजलि और जे.बी.एस. की समन्वयक प्रिया शर्मा, आर्किटेक्ट सात्विका रामानी, सिंधु लेडीज क्लब की संरक्षक किरण पंजवानी, सिंधी विद्यार्थियों में विवेक अमलानी, संगीता आदि ने सिंधी को सशक्त बनाने और बोलचाल में उसके प्रयोग को बढ़ाने पर बल दिया।
इस अवसर पर संत कँवरराम मिषन के अध्यक्ष राजकुमार जीवानी, मुखिया धर्मपाल रावलानी, आर्किटेक्ट अनूप रामानी, भक्त प्रहलाद सेवा समिति के अध्यक्ष राजकुमार मोटवानी, उपाध्यक्ष कन्हैया सागर, महामंत्री जे.पी. क्षेत्रपाल, सिंधु एजुकेषन एण्ड वेलफेयर सोसाइटी के सुमित माखेजा, कपिल हसानी के अतिरिक्त प्रो0 राजीव गौड़, डॉ0 ए0 के0 राय, प्रो0 शैलेन्द्र कुमार, डॉ0 सुनीता सेंगर, डॉ० अनिल यादव, डॉ० दिनेष सिंह, आई.ई.टी. के सहायक पुस्तकलयाध्यक्ष डॉ0 राजेश कुमार सिंह, विशेष कार्याधिकारी डॉ0 शैलेन्द्र कुमार सिंह, विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद् के अध्यक्ष राजेश कुमार पाण्डेय एवं महामंत्री श्याम कुमार, पूर्व अध्यक्ष डॉ0 राजेश कुमार सिंह, संतोष शुक्ला एवं केन्द्रीय पुस्तकालय के कर्मचारी अमरबहादुर यादव, रामनिवास गौड़, अरूणप्रताप सिंह, आशीष जायसवाल व सिंधी विभाग के कर्मचारी अमनविक्रम सिंह, अनीता देवी आदि उपस्थित थे।