मामले को रफा दफा करने में जुटा चिकित्सालय प्रशासन
अयोध्या। सरकारी जिला चिकित्सालय में मुर्दों को भर्ती करने का मामला प्रकाश में आया है। एनीमियां पीड़ित 10 वर्षीया साधना पुत्री कमाले निवासिनी मड़ना माझा को जिला चिकित्सालय में प्रातः 8.35 पर भर्ती किया गया। वार्ड में पहुंचने के पांच मिनट बाद ही बाल रोग विशेषज्ञ ने उसे मृत घोषित कर दिया।
बालिका साधना को 108 एम्बूलेंस से उसके पिता कमाले जिला चिकित्सालय लेकर पहुंचे ओपीडी इमरजेंसी में मौजूद डा. शिशिर श्रीवास्तव ने उसे तत्काल भर्ती किया तथा वार्ड में भेजा। साधना वार्ड में 8.40 पर पहुंचायी गयी उस समय वहां मौजूद बाल रोग विशेषज्ञ डा. रजत चौरसिया ने जब जांच किया तो बालिका को मृत पाया। इस बात की तस्दीक डाक्टर चौरसिया ने की है। इसके अलावां ओपीडी का जो पर्चा बनाया गया वह साधना के बजाय उसके पिता कमाले के नाम से बना। बीएचटी जो बनायी गयी वह साधना के नाम थी। डा. शिशिर श्रीवास्तव का कहना है कि जब साधना को अस्पताल लाया गया तो बताया गया कि उसे उल्टी दस्त हो रहा है। जांच में पाया गया कि बालिका को सांस लेने में दिक्कत हो रही है और चेहरे पर सूजन है उन्होंने बताया कि तत्काल बालिका को आक्सीजन लगाया गया और अस्पताल में मौजूद दवाएं उसे दी गयीं जो दवाएं नहीं थीं मसलन सांस फूलने और उल्टी दस्त की दवा उसकी पर्ची लिखकर बाहर से लाने के लिए कहा गया जो दवां लिखी गयी वह 200 रूपये से अधिक की नहीं थी। उन्होंने कहा कि यदि तीमारदार ने कहा होता कि उसे पास बाहर से दवा लाने के लिए पैंसे नहीं है तो हम अपने पैंसे से दवा मंगा देते जबकि दूसरी ओर पीड़ित का कहना है कि जो दवां बाहर से लाने के लिए लिखी गयी उसकी कीमत 1500 रूपये थी। इस मामले को रफा दफा करने का प्रयास जिला चिकित्सालय प्रशासन कर रहा है।