‘साहित्य का भविष्य और भविष्य का साहित्य‘ विषय पर हुई संगोष्ठी
प्रतिरोध की चेतना से निसृत साहित्य ही भविष्य का साहित्यः डाॅ. कन्हैया त्रिपाठी
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के हिन्दी साहित्य एवं भाषा विभाग एवं रत्नाकर शोधपीठ के तत्वावधान में अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा दृश्य कला विभाग आवासीय परिसर के शैक्षणिक सहयोग से ‘‘साहित्य का भविष्य और भविष्य का साहित्य‘‘ विषय एक राष्ट्रीय विचार संगोष्ठी का आयोजन संत कबीर सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि आज व्यापक साहित्यिक युग में साहित्य का भविष्य सुरक्षित है। आवश्यकता इस बात की हैं की आज उच्चकोटि के साहित्य का धनात्मक सृजन करते हुए संरक्षण कर लिया जाए। प्रो0 दीक्षित ने बताया कि साहित्यिक संसार में चुनौतियाॅ है तो इसे उत्कृष्ट स्वरूप प्रदान करने की व्यापक संभावनाए भी है।
मुख्य अतिथि के रुप में निदेशक, सागर विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश के डाॅ. कन्हैया त्रिपाठी ने कहा कि प्रतिरोध की चेतना से निसृत साहित्य ही भविष्य का साहित्य होगा। विचार प्रधान आदमी ही साहित्य और समाज में जिंदा रहता है। हमारे जीवन में समाज और प्रकृति के तादात्मक की जरूरत है और साहित्य में भी। डाॅ0 त्रिपाठी ने सही पाठ की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि ‘‘सही पाठ के बिना साहित्य का भविष्य निश्चित नहीं किया जा सकता। सृजन की प्रक्रिया समय के दबाव में बदलती जाती है, हमें कालजयी कृतियों को पढने की जरूरत है।‘‘
कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता स्वामी मिथिलेश नंदनी शरण जी ने अपने चिंतनशील उद्बोधन में कहा कि वर्तमान की चिंताओं का प्रतिफलन ही साहित्य है। वर्तमान में साहित्य की चिंताओं में केवल समाज नहीं रह गया है, ‘बेस्टसेलिंग और पुरस्कार‘ भी है। स्वामी जी ने साहित्य की ईमानदारी की बात करते है।
विचार संगोष्ठी का शुभारम्भ माॅ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एंवं दीप प्रज्ज्वलन एवं हिन्दी के महान कवि जगन्नाथदास रत्नाकर के चित्र पर माल्यापर्ण, सरस्वती वंदना एवं कुलगीत के साथ प्रारम्भ किया गया। संगोष्ठी का संचालन अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग एवं दृश्य कला विभाग के समन्वयक प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर अर्थशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो0 मृदुला मिश्रा, प्रो0 आशुतोष सिन्हा, मुख्या नियन्ता आर0एन0राय, प्रो0 अशोक शुक्ला, डाॅॅ0 अलका श्रीवास्तव, पल्लवी सोनी, सरिता द्विवेदी, रीमा सिंह, डाॅॅ0 प्रदीप कुमार त्रिपाठी , डा0 सुधीर सिंह, डाॅ सुधा राय, डाॅ0 आर0के0 सिंह, डाॅ0 शैलेन्द्र सिहं, डाॅ0 गौरव एवं बडी संख्या में शिक्षक- शिक्षिकाए व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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