-जिला चिकित्सालय के इमरजेंसी वार्ड में लापरवाही का आरोप
अयोध्या। समय पर इलाज नहीं होने से जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में 9 घण्टे तड़पने के बाद किशोरी ने दम तोड़ दिया। लापरवाही का आरोप लगाते हुए परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। डॉक्टरों व स्टॉफ नर्स पर एफआईआर की मांग करते परिजनों को जांच का आश्वासन देकर हंगामा शांत कराया गया।
बृहस्पतिवार 5 नवंबर की रात 11ः00 बजे अयोध्या कोतवाली नगर क्षेत्र के लालबाग निवासी किशोरी अनुष्का को उल्टी व पेट दर्द की शिकायत पर जिला चिकित्सालय के न्यू इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया। आरोप है कि वार्ड में भर्ती करने के बाद डॉक्टर और नर्सों ने बीमार किशोरी को देखने की ज़हमत नहीं की। जबकि किशोरी रात भर दर्द से तड़पती रही। अगले दिन शुक्रवार सुबह करीब 8ः50 बजे जब चिकित्सक पहुंचे तो उसकी मौत हो चुकी थी। सुबह 8ः50 बजे चिकित्सकों ने जांच के बाद किशोरी को मृत घोषित कर दिया। यह सुनते ही परिजनों को सदमा लगा। उन्होंने अस्पताल परिसर में ही हंगामा शुरू कर दिया। मौके पर पहुंचे सिटी मजिस्ट्रेट सत्य प्रकाश मृत किशोरी के परिजनों को समझाया और मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया जिसके बाद वे शांत हुए। मृतका के परिजनों का कहना है कि रात भर चिकित्सक और स्टाफ नर्स न्यू इमरजेंसी वार्ड नहीं पहुंचे। उनकी लापरवाही के चलते किशोरी की मौत हो गई। उन्होंने जिला अधिकारी को शिकायती पत्र लिखकर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. धर्मेंद्र कुमार, डॉ एके सिन्हा, राजेश कुमार सिंह, डॉ विपिन वर्मा, डॉ अजय तिवारी समेत 3 स्टाफ नर्सों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है।
भर्ती रजिस्टर में छेड़छाड़ का आरोप
-मृत किशोरी के परिजनों का आरोप है कि जब चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाया तो इस बीच भर्ती पंजिका में भी गड़बड़ी की गई। बताया जा रहा है कि अस्पताल प्रबंधन ने किशोरी के भर्ती करने के समय और तिथि में परिवर्तन कर दिया है। जिला अस्पताल के मरीज भर्ती पंजिका में किशोरी के भर्ती होने का समय 6 नवंबर शुक्रवार सुबह 8ः30 पर दिखाया गया और भर्ती करने के 10 मिनट बाद 8ः40 बजे ऑक्सीजन लगाने और इसके ठीक 10 मिनट बाद 8ः50 पर किशोरी की मृत घोषित करने की सूचना दर्ज कर दी गई।. परिजनों का कहना है कि 5 नवंबर की रात 11ः05 पर ही जिला अस्पताल में किशोरी को भर्ती कराया गया था।मामले में जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक रविंद्र कुमार का कहना है कि चिकित्सकीय परीक्षण की प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही किसी को मृत घोषित किया जाता है। किशोरी की मौत अगर चिकित्सकों व स्टाफ नर्स की लापरवाही से हुई है तो इसकी जांच आवश्यक है। मामले की जांच के लिए गठित कमेटी 3 दिन में रिपोर्ट दे देगी । जिसके बाद दोषी चिकित्सकों और स्टाफ नर्स के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी। अगर उन पर दोष सिद्ध होते हैं तो शासन को भी उनके विरुद्ध एक्शन लेने के लिए लिखा जाएगा।