अयोध्या। आरोग्य भारती अवध प्रान्त द्वारा बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और आयुष्य बल बुद्धि के सर्वांगीण विकास के लिए आयुर्वेद में वर्णित स्वर्णप्राशन संस्कार के नियमित आयोजन की तैयारियों की समीक्षा वर्चुअल माध्यम से की गई। सम्बोधित करते हुए डॉ मदनलाल भट्ट ने बताया कश्यप संहिता और सुश्रुत संहिता में वर्णित स्वर्ण प्राशन भारत मे प्राचीन समय से चला आ रहा है।
पुराने समय माता-पिता अपने बच्चे के जन्म लेने के बाद जीभ पर चांदी या सोने की सिलाई से ऊं लिखते थे, लेकिन अब यह संस्कार विलुप्त हो गया है। हाल ही महाराष्ट्र में इसका प्रयोग हजारों बच्चों पर शोध के रूप में किया गया, तो सामने आया कि ये बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में स्वस्थ और असाधारण गुणों से भरपूर थे।
आयुर्वेदाचार्य डॉ इंद्रेश ने कहा स्वर्णप्राशन का उपयोग विकृतियों को ठीक कर बीमार या विकृत कोशिकाओं को पुनः सक्रिय एवं जीवंतता प्रदान करता है। शरीर में विकृति स्वरूप ट्यूमर इत्यादि की सेल्स को नष्ट करता है। यानि कैंसर आदि रोगों से बचाता है। यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। शरीर में अनेक प्रकार के विषैले पदार्थों को दूर करता है। सूजन की प्रक्रिया को रोकता है। याददाश्त और एकाग्रता को बढ़ाता है।
जिससे अध्ययनरत बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हार्ट मसल्स को शक्ति देता है और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है। बैठक में अवध प्रान्त में आयोजित किये रहे स्वर्ण प्राशन कार्यक्रमों में आरोग्य भारती भिन्न दायित्वधारियों की उपस्थिति सुनिश्चित की गई। अयोध्या में अनन्त शिखर साकेतपुरी में प्रातः 9 बजे शिविर का शुभरम्भ वैद्य आर पी पांडेय की देखरेख में होगा जिसमें प्रान्त सहसचिव डॉ उपेन्द्रमणि त्रिपाठी उपस्थित रहेंगे। आयोजन की तैयारी बैठक सहयोगी सन्गठन उपजा के राजेन्द्र प्रसाद तिवारी,शिशिर कुमार मिश्र, पवन पांडेय, डॉ पंकज श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।