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शिक्षकों में है ईश्वर का वास…….
वह शिक्षक ही है, जो किसी भी व्यक्ति के जीवन में ज्ञान रूपी रेखा खींच कर उस व्यक्ति की सफलता की जीवन-रेखा बना देता है। उस सफल व्यक्ति के व्यक्तित्त्व को बनाने और सँवारने में निश्चय ही शिक्षक का बड़ा योगदान होता है। शिक्षक अपने खुद के जीवन के ज्ञान रूपी वृक्ष से नाव तैयार कर शिष्यों को जीवन रूपी सागर पार कराता है। इस जगत में परमात्मा की भाँति शिक्षक मनुष्य के संसार में आने पर उसे ज्ञान-बोध के द्वारा संसार से मिलाता है।
देखा जाए तो एक शिक्षक के जीवन का प्रत्येक क्षण अपने हर एक शिष्य का जीवन होता है। दुनिया के हर महान व्यक्तित्त्व को ज्ञान-विवेक, भावनाओं, संवेदनाओं और जीवनोपयोगी गुणों के अमृत से उनके शिक्षकों ने ही अमर बनाया है। आज ज्ञान-विज्ञानं की दृष्टि से संसार जितना बेहतर दिखता है, उसे बेहतर और जीने लायक बनाने का कार्य शिक्षकों ने ही किया है। शिक्षक ही व्यक्ति के प्रत्येक क्षण को मूल्यवान बनाते हैं। शिक्षक उस परमेश्वर की तरह हैं जो अज्ञानता में डूबे मृतप्राय इंसान को जीवन देते हैं। यही नहीं, उस इंसान के जीवन की पुस्तक को नए पाठ से लिख सकते हैं।
यह कहना गलत नही होगा कि ईश्वर ही शिक्षक के रूप में हैं। वह इसलिए कि प्रत्येक शिक्षक में ईश्वर की ही आत्मा वास करती है। इस संसार में जीवन के साथ बोध लाने के लिए ही ईश्वर ने शिक्षक अर्थात गुरु को बनाया है। शिक्षक का जीवन निश्चय ही उसी ईश्वर का अंश है, जिसने इस संसार को बनाता है। आज शिक्षक दिवस के अवसर पर मैं ईश्वर के अंशरूप सभी श्रद्धेय शिक्षकों का चरण-वन्दन करता हूँ।
-मनप्रियम
कक्षा- 9बी
केंद्रीय विद्यालय,
आर.डी.एस.ओ.
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