-शैक्षणिक भ्रमण से छात्र-छात्राएं मानसिक रूप से होते हैं सुदृढ़ : प्रो. रविशंकर सिंह
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फाइन आर्टस विभाग तथा अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त तत्वाधान में ’’सात दिवसीय लैण्डस्केप ग्रीष्मकालीन प्रायोगिक चित्रण कैम्प कार्यशाला एवं शैक्षणिक भ्रमण’’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन एवं अध्यक्षता करते कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ किया। इस अवसर पर कुलपति ने छात्र-छात्राओं को बताया कि शैक्षणिक भ्रमण से छात्र-छात्राओं का विभिन्न प्रकार की अन्य सांस्कृतिक एवं कलात्मक विधाओं से परिचित होता है, जिससे छात्र-छात्राएं मानसिक रूप से सृदृढ़ होते है।
इसके साथ ही सामाजिक सरोकार के साथ बौद्धिक विकास सुनिश्चित होता हैं। कुलपति ने बताया कि गढ़वाली शैली तथा पर्वतीय लैण्डस्केप के चित्रण का स्वरूप बहुत ही समीचीन कलात्मक विषय है। जिसमें निश्चित रूप से छात्र-छात्राओं द्वारा अवध की कलात्मक शैली एवं गढ़वाली पर्वतीय शैली की तुलनात्मक स्वरूप प्रस्तुत किया जाएगा जोकि छात्र-छात्राओं के शैक्षिक उन्नयन में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेंगी। राष्ट्रीय लैण्डस्केप चित्रण कार्यशाला की संयोजिका फाईन आर्ट्स विभाग की डॉ. सरिता द्विवेदी ने बताया कि इस सात दिवसीय लैण्डस्केप कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य छात्र-छात्राओं में वास्तविक प्राकृतिक लघुचित्र से संबंधित दृश्य चित्र का अंकन कराना रहा हैं। इस कार्यशाला में पहाड़ी लोक कलाकारों के द्वारा छात्र-छात्राओं को चित्रण संबंधी बारीकियों को सिखाया जाएगा।
इस लैण्डस्केप चित्रण कार्यशाला में विभागीय छात्र-छात्राओं के अलावा पर्वतीय इलाको के छात्र-छात्राओं को भी अवध की शैली से परिचित कराया जाएगा। आयोजन सचिव विभागीय सहायक आचार्य रीमा सिंह ने बताया कि गढ़वाल शैली के मिनियेचर आर्ट कार्यशाला में छात्र-छात्राओं के द्वारा और रमणीक चित्रण को तकनीकि माध्यम से बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही समस्त छात्र-छात्राओं को अपने यात्रा वृत्तांत की रिपोर्ट भी अनिवार्य रूप से बना कर देना होगा। ललित कला (फाईन आर्ट्स) विभाग के समन्वयक एवं विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस ग्रीष्म कालीन लैण्डस्केप कैम्प कार्यशाला के अन्तर्गत छात्र-छात्राओं को उत्तराखण्ड के लैंसडाउन, कोटद्वार, ऋषिकेश, देहरादून एवं हरिद्वार का शैक्षणिक भ्रमण कराते हुए उन्हे पहाड़ी संस्कृति, लोकचित्रण एवं उसके स्वरूपों से परिचित कराया जाएगा, ताकि उत्तर-प्रदेश-उत्तराखण्ड से संबंधित लोक कलाएं सांझा मंच के साथ अपनी लोक संस्कृति को और विस्तृत स्वरूप प्रदान कर सके।
इस अवसर पर प्रो. आशुतोष सिन्हा, प्रो. मृदुला मिश्रा, डॉ. अलका श्रीवास्तव, डॉ. पल्लबी सोनी, श्रीमती रीमा सिंह, आशीष प्रजापति तथा गैर शैक्षणिक कर्मचारी विजय कुमार शुक्ला, शिव शंकर यादव, हीरालाल यादव, किस्मता के साथ बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें।