सर्दियों में हर्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक की संभावना अधिक : डॉ. उपेन्द्र मणि त्रिपाठी
अयोध्या। आमतौर पर सर्दियों में लोगों में स्वास्थ्य को लेकर एक निश्चिंतता का भाव दिखाई पड़ता है क्योंकि ज्यादातर का मानना है कि इस समय कुछ भी खाओ पियो सब हजम हो जायेगा, और इसी विश्वास के चलते उनका खान पान अनियमित या असन्तुलित हो जाता है। इसी निश्चिन्तता के चलते कई बार हम स्वास्थ्य की हल्की फुल्की समस्याओं को नजरंदाज कर जाते है जो कभी कभी किसी गम्भीर स्थिति का संकेत हो सकती हैं । इसी विषय पर स्वास्थ्य एवं होम्योपैथी जागरूकता अभियान के तहत होम्योपैथी महासंघ के महासचिव डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी ने सेवा भारती द्वारा प्रबुद्ध लोगों से स्वास्थ्य संवाद में सर्दियों में रोगों के पनपने की क्रियाविधि समझाते हुए बताया किसी भी स्थिति से निपटने के शरीर की रक्षात्मक क्रिया के फलस्वरूप सर्दियों मे ताप नियंत्रण के लिए शरीर की अंदरूनी और बाहरी स्तर की खून ले जाने वाली नलियां सिकुड़ जाती हैं, खून कुछ गाढ़ा हो जाता है , रक्तचाप भी बढ़ सकता है, अधिक वसा व कैलोरी युक्त भोजन लेने से कॉलेस्ट्रॉल बढ़ता है, जो रक्त प्रवाह में अवरोध उत्पन्न कर सकता है जिससे उस हिस्से में खून का संचार कम हो सकता है इसे इश्चिमिया कहते हैं , जिससे जुड़े शरीर के अंगों के काम प्रभावित होने लगते हैं। डॉ उपेन्द्र ने कहा इस क्रिया के कारण त्वचा में खून की कमी होने से ऊपर की सतह की कोशिकाएं जल्दी मर जाती है जिससे त्वक पतन या रूसी होती है, नियमित सफाई न हो या ऊन से त्वचा की एलर्जी से खुजली हो सकती है,इन दिनों स्काबीज प्रकार की बेहद संक्रामक खुजली हो जाती है एक रोमकूपों के पास पाए जाने वाले जुएं जैसे परजीवी से होती है।उंगलियों पर ठंड के प्रभाव से चिल ब्लांस हो सकता है, अधिक प्रभाव से सुन्नपन, या ड्राई गैंगरीन भी हो सकता है।
सर्द हवा का प्रभाव नाक कान, व गले पर जल्दी पड़ता है इसलिए अंदर की मुलायम त्वचा के स्तर में सूजन जलन भी हो सकती है, रक्षात्मक प्रतिक्रियास्वरूप अंदर के सतह की कोशिकाएं स्राव करती है अतः नाक , आंख, या कान से स्राव भी बढ़ सकते हैं, इसीतरह पेट मे अपच, डायरिया, एसिडिटी,गैस, बवासीर हो जाता है।डॉ त्रिपाठी ने कहा हृदय की नलियों के सिकुड़ने से रक्तचाप बढ़ने या किसी पतली नली में अवरोध, अथवा फट जाने इस वजह से हर्ट अटैक का खतरा बना रहता है, सीने में अचानक दर्द,जो गर्दन से होते हुए हाथों तक जाता है और उंगलियों में झनझनाहट महसूस होती है, पसीना, थकान , से इसकी पहचान कर सकते हैं। इसीप्रकार यदि कभी आपको ऐसा लगे कि अचानक कुछ देर के लिए आपके शरीर का कोई अंग सुन्न या कमजोर हो गया , तेज चक्कर या सिरदर्द आ गया, आंखों के सामने अँधेरा सा छा गया ,अथवा बोलने में आवाज लड़खड़ा गयी, या चेहरे का एक हिस्सा टेढ़ा सा हो गया, इनमे से कोई भी लक्षण एक दो मिनट के लिए नज़र आते है फिर सब सामान्य लगने लगे तो यह ब्रेन स्ट्रोक का संकेत हो सकते हैं। जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि ब्रेन स्ट्रोक अर्थात “मस्तिष्क पर प्रहार” किन्तु यह मस्तिष्क के अंदर ही खून की नलियों में हुए परिवर्तनों का प्रभाव होता है न कि बाहरी कोई चोट या दुर्घटना, और इसीलिए अक्सर जानकारी के आभाव में इसके संकेतों को नजरअंदाज कर दिया जाता है।इससे प्रभावित व्यक्ति के शरीर के किसी एक हिस्से में लकवा जैसी स्थिति या विकलांगता जैसे देखने सुनने की क्षमता खो देने की संभावना भी अधिक रहती है।
जानकारी के आभाव में लोग इसे हृदयाघात जैसी गम्भीरता से नही लेते जबकि यह उससे अधिक गम्भीर समस्या है इसलिए तुरन्त चिकित्सकीय सलाह लेना जरूरी होता है।
इनदिनों रात में सोते समय समान्यतः रक्तसंचार धीमा होने से रक्तचाप कम हो जाता है, इसलिए कुछ लोगों में सुबह अचानक उठने पर बेहोशी का लक्षण भी मिल सकता है। मांसपेशियों के तन्तुओं में स्पाज्म के कारण अकड़न, सम्बन्धित जोड़ो की गतिशीलता कम होने और यूरिक एसिड की प्रवृति बढ़ने से जोड़ों के दर्द की शिकायत बढ़ जाती है।रूम हीटर या अंगीठी से बन्द कमरे में ऑक्सीजन स्तर कम होने से भी सांस की दिक्कत बढ़ सकती है।बचाव के लिए उपाय बताते हुए डॉ त्रिपाठी ने कहा हाई ब्लड प्रेशर, डायबीटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोगियों को खास सावधानी के साथ नियमित जांच कराते रहना चाहिए ।तनाव मुक्त रहे, सही व संतुलित आहार लें, नियमित व्यायाम से शारीरिक सक्रियता बनाएं रखें।सिगरेट-तंबाकू , शराब या अन्य नशे की आदत से दूर रहें।भोजन में अधिक तली भुनी व संतृप्त वसा जैसे वनस्पति घी , डालडा आदि का उपयोग न करें। ठंडे खाद्य या पेय से परहेज करें , पर्याप्त मात्रा में गुनगुना पानी पिएं।सुबह उठते समय कुछ देर बैठें, पैरों को हल्का चलाएं, या तिल के तेल की मालिश करें, फिर हल्की धूप हो जाये तो टहलने निकलें, कान को ढक कर रखें, क्योंकि नाक और कान से सर्दी का असर सीधा होता है। नहाने में हल्का गर्म पानी ही प्रयोग करे बहुत अधिक ठंडा या गर्म दोनों ही तरह के जल से स्नान के ठीक बाद शरीर ताप नियंत्रण में कुछ समय लगता है।सुबह एक कच्चा लहसुन ले सकते हैं, हृदय रोगी अर्जुन की छाल का काढ़ा चाय की तरह पी सकते हैं।खाने में सेंधा नमक शामिल करें।प्रतिदिन एक लौंग चबाएं, यह ताप नियंत्रण में मदद करती है। होम्योपैथी ऐसी सभी स्थितियों में विश्वसनीय उपचार पद्धति है।