झुनझुनवाला होम्योपैथी फार्मेसी कालेज में हैनिमैन जयंती समारोह
अयोध्या। एक गरीब पिता ने अपने बच्चे को सीख दी कि “सभी चीजों को परखो और जो श्रेष्ठ हो उसे शीघ्रता से ग्रहण करो” जिसे जीवन का सूत्र मानकर बालक ने अपनाया और चिकित्सक बनने पर जब स्वयं को मानवीय समाज की संवेदना पीड़ा की अनुभूतियों से सम्बद्ध किया तो तत्कालीन पीड़ादायी चिकित्सा के तरीकों से स्थायी समाधान देने के लिए होम्योपैथी का विकास कर समाज को समर्पित कर दिया। उस समय सभी सरकार या संगठन हैनिमैन के विरोध में एकजुट हो गए किन्तु जनता की पारखी दृष्टि ने श्रेष्ठता का चयन करते होम्योपैथी को अपना कर डॉ हैनिमैन को अपने स्वास्थ्य सेवक के रूप में स्वीकार किया।उक्त विचार झुनझुनवाला होम्योपैथी फार्मेसी कालेज में होम्योपैथी के जनक डॉ हैनिमैन की 264 वीं जयंती समारोह में होम्योपैथी महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा केवल निरोगी काया ही समग्र स्वास्थ्य नही अपितु इसमे मानसिक, आध्यात्मिक, समाजिक और लोकतांत्रिक सभी का संतुलन आवश्यक है,इसलिए चिकित्सक की भूमिका और दायित्व बड़े हैं ,क्योंकि वह व्यक्ति की पीड़ा से जुड़ता है इसलिए परिवार, समाज से उसका भावनात्मक रिश्ता होता है, इसलिए चिकित्सक समाज व राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान कर सकता है।आयुष चिकित्साधिकारी डॉ शैलेश सिंह ने होम्योपैथी क्षेत्र से जुड़ी वर्तमान और भविष्य की सम्भाबनाओ पर विचार रखते हुए कहा आने वाले समय मे जब एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर होने लगेंगी तब तक होम्योपैथी मुख्यधारा में स्वीकार हो चुकी होगी। समारोह की शुरुआत डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी द्वारा फीता काटने से हुई, इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ गिरिजेश त्रिपाठी, डॉ शैलेश ,डॉ अखिल ,डॉ कुलदीप, द्वारा दीप प्रज्वलन, डॉ हैनिमैन के चित्र पर माल्यार्पण, व केक काटकर किया गया। छात्र छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए निदेशक डॉ गिरिजेश त्रिपाठी ने आभार व्यक्त करते हुए इंस्टीट्यूट की उपलब्धियां प्रस्तुत की और छात्रों की शिक्षा के लिए श्रेष्ठतम संसाधन सुलभ कराये जाने का भरोसा दिलाया।इस अवसर पर डॉ अविनाश, प्रमोद दूबे, एस पी सिंह, धर्मेश कुमार, डॉ अंजलि गुप्त, एएनएम, फार्मेसी जीएनएम,के छात्र छात्राएं व शिक्षक उपस्थित रहे।