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रात में गांव घूमकर बेसहारो के सहारा बन रहे एसडीएम रूदौली

पूस की रात में कम्बल पा निहाल हो रहे गरीब

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रूदौली । आम जन को सरकारी सुविधाओं का लाभ पारदर्शी तरीके से कैसे मिले इसके लिए रूदौली के एसडीएम टीपी वर्मा ने एक नई विधि का ईजाद किया है। शीत कालीन भ्रमण पर जब देर रात्रि एसडीएम किसी गांव पहुँचेते है तो ठंड से ठिठुरते बेसहारा निराश्रित लोगो को अपने हाथों से कम्बल ओढाकर उनको सरकारी गर्मी दिलाने के एहसास के साथ मानवता का भी आदर्श प्रस्तुत करते है।ये वो लोग होते है जिनकी पहुँच न तो किसी नेता तक होती है और न ही पटवारी की लिस्ट में उनका कंही नाम आता है । लेकिन जब एसडीएम के हाथों इमदाद के रूप में गर्मी का एहसास होता है तो उनकी जुबा से ऐसे नेक दिल के अधिकारी के लिए दुआएँ निकलती ही है ।
मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी कहानी’ पूस की रात ’ के नायक हलकू की इस कँपाऊ ठंडी में बरबस याद आ जाती है । गांव के गरीब दो वक्त की रोटी का इंतजाम इस महंगाई में किसी तरह ही तो कर पाते है गर्म कपड़े खरीदना तो उनके लिए सपने जैसा होता है । शायद इन्ही सब बातों को सोंचकर रूदौली के उपजिलाधिकारी त्रिवेणी प्रसाद वर्मा रात में गांव घूमकर बेसहारो को सहारा बन रहे है ।रविवार की रात्रि तहसील क्षेत्र के बनगावा गांव में तहसीलदार शिव प्रसाद के साथ पहुँचे एसडीएम टी पी वर्मा ने गांव की लगभग 80 वर्षीय विधवा महिला जिसके घर शायद चारपाई नही थी । धान के पुवाल पर गुदड़ी बनाये लेटी हुई थी को स्वयं अम्मा कहकर आवाज दी महिला कराहते हुई उठकर खड़ी हुई । होमगार्ड ने बताया माई ये एसडीएम साहब है आपको कम्बल देने आए हुए है ?भौचक्की दलित विधवा महिला के होठो पर मुस्कान आ गई । गांव में कुछ आगे बढ़ने पर एक घास फूस की झोपड़ी दिखाई दी । ठंड से बचने के लिए झोपड़ी के ऊपर बोरियो को फाड़ पल्ली बनाई गई थी । पता चला कि झोपड़ी में गांव की सबसे बुजर्ग महिला अकेले रहती है ।उपजिलाधिकारी ने बड़े ही अदब से महिला को आवाज देकर प्रणाम किया । महिला अपने चारपाई से जब नीचे उतरी तो कम्बल ओढाकर बुजुर्ग महिला का हाल चाल पूछा ।महिला ने जवाब देते हुए कहा साहब किसी तरह से जिंदगी कट रही है । बूढ़ी माँ के ही बगल दूसरी झोपड़ी में फ़टी पुरानी साड़ियों से मच्छर दानी बनाये बुजुर्ग साहब लाल लेटे हुए थे पूछने पर पता चला कि उम्र के साथ ऊंचा सुनते है ।कई बार आवाज देने व चारपाई हिलाने पर जब बुजुर्ग साहब लाल उठे तो रात्रि में कई लोगो को देखकर बोले क्या है भैया ?उपजिलाधिकारी व तहसीलदार ने बड़े ही इत्मिनान से चारपाई पर ही मुस्कुरा कर गरम कम्बल ओढाकर चल दिये।इसके अलावा उपजिलाधिकारी ने गांव की विधवा कलकी व बुजुर्ग राधेश्याम को भी कम्बल वितरित किये।

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जितेन्द्र यादव

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