गोसाईगंज। स्थानीय डाकखाना गली के कल्लू लाल मंदिर परिसर में चल रही श्री मद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास राष्ट्रीय संत मधुसूदनाचार्य ने सर्वप्रथम विधिवत पूजन कर कथा का शुभांरभ किया। कथा के प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने दक्ष की पुत्री सती का प्रसंग सुनाया। स्वामी ने कहा कि महाराज दक्ष की पुत्री सती को शैलपुत्री भी कहा जाता था। दक्ष का राज्य कश्मीर इलाके में था। मां सती ने एक दिन शिव के दर्शन किए और उनके प्रेम में पड़ गई। सती ने दक्ष की इच्छा के विरुद्ध भगवान शिव से विवाह कर लिया। दक्ष इस विवाह से संतुष्ट नहीं थे। दक्ष ने एक विराट यज्ञ का आयोजन किया। लेकिन उन्होंने दामाद शिव और पुत्री को यज्ञ का निमंत्रण नहीं भेजा। फिर भी सती दक्ष के यज्ञ में पहुंच गई। दक्ष ने पुत्री के यज्ञ में आने पर उपेक्षा का इजहार किया और शिव के विषय में सति के सामने ही अपमानजनक बातें कीं। सती यह सब बर्दाशत नहीं कर सकी। और इस अपमान की कुंठा वंश यज्ञ कुंड में कूद कर अपनी जान दे दी। बस यही से सति के शक्ति बनने की कहानी शुरु होती है। इस मौके पर रामशंकर गुप्ता प्रधानाचार्य सुनील गुप्ता सुरेंद्र गुप्ता बंशीधर गुप्ता चन्द्र भान गुप्ता उदयभान गुप्ता रामकृपाल कसौधन जनार्दन गुप्ता अभिनाश डब्बू गोपीनाथ गुप्ता महेंद्र गुप्ता योगेश गुप्ता इंजीनियर योगेश इंजीनियर विनायक इंजीनियर सोमेश डाक्टर अंकित डाक्टर अरुण अमरनाथ उत्कर्ष आदित्य आदि रहे।
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