-डोपामिन व इंडॉर्फिन लाती है अफवाह आसक्ति , जन-मनोजागरूकता से सम्भव है अफवाहरोधी सफलता
अयोध्या। पिछले कुछ हफ्तों से ड्रोन व चोर की अफवाह से रात भर पहरा देने की मनोदशा ग्रामीण क्षेत्रों मे दिखने के साथ ही शहरी क्षेत्र भी इन अफवाहों से अछूते नहीं हैं। सोशल मीडिया की झूठी पोस्ट आदि उत्प्रेरक का कार्य कर रहें हैं । जहां एक ओर बड़े लोग इस झंझावत में उलझते नज़र आ रहें है, वही दूसरी ओर बच्चे,किशोर व महिलाएं भयाक्रांत व चिंता विकार से ग्रसित हो रहीं हैं।
अफवाहें एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलती हैं और हर बार सुनाई देने पर उनमें थोड़ा बदलाव आ सकता है। नतीजतन, समय के साथ वे अतिरंजित और परिवर्तित होती हैं। इ यह जानकारी जिला चिकित्सालय के माइंड-मेंटर डा आलोक मनदर्शन ने सामयिक अफवाह संदर्भित जन जागरूकता वार्ता में दी।
उन्होंने बताया कि सोशल साइकोलॉजिस्ट अलपोर्ट के अनुसार अफवाहें फैलाने या गप्पबाज़ी में शामिल होने के प्रमुख कारकों में लोगो के साथ घुलने-मिलने, विशेष महसूस करने या दूसरों को प्रभावित करने की मनोमनोवृत्ति होती है। खुद की चिंताओं से ध्यान हटाने, अफवाह चर्चा से लोगों में स्वीकार किए जाने, ध्यानकर्षण, सामाजिक स्तर पर लोकप्रियता हासिल करना आदि शामिल है। बदले की भावना व निजी ज़िंदगी की बोरियत दूर करने में भी अफ़वाह जनित उत्तेजना प्रेरक होती है।
डा. आलोक ने अफवाह या गप्पबाज़ी समाज मनो विज्ञान का एक ऐसा पहलू है जो समाज में व्याप्त कुंठा, हताशा,भय,द्वंद आदि को आभासी रूप में संतुष्ट करता है ,क्योंकि इससे उत्तेजना आनंद हार्मोन डोपामिन व व्यक्तिगत परेशानियों को कम करने वाले मनोरसायन इंडोर्फिन में वृद्धि होती है। इस प्रकार अफवाह जन्य समूह मनोविकृति या मास- हिस्टीरिया विभिन्न मनो सामाजिक समस्याओ जैसे डिसोसिएटिव डिसऑर्डर, चिंता-विकार,अनिद्रा विकार आदि के अलावा निर्दोष व्यक्तियों के माब- लिंचिंग का कारण बन रही है तथा एंटीसोशल पर्सनालिटी के लोग इन अफवाहों के उत्प्रेरक बन छ्द्म आनन्दित हो सामान्य जनजीवन को अस्त व्यस्त कर रहें हैं।