समाजिक स्वास्थ्य रक्षा में होम्योपैथ की भूमिका और दायित्व अहम

by Next Khabar Team
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स्वास्थ्य के विविध आयाम और चिकित्सक की भूमिका विषयक संगोष्ठी

अयोध्या। आरोग्य भारती अयोध्या महानगर एवं होम्योपैथी महासंघ के संयुक्त तत्वाधान में डा वृजकिशोर राजकीय होम्योपैथी मेडिकल कालेज सभागार में “स्वास्थ्य के विविध आयाम और चिकित्सक की भूमिका“ विषयक संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमे बतौर मुख्य अतिथि आरोग्य भारती के पूर्वी उत्तरप्रदेश के क्षेत्रीय संयोजक एवं प्रचारक गोविंद जी उपस्थित रहे।
संगोष्ठी की शुरुआत में डा माधुरी गौतम व डा अंजू सिंह रागिनी ने गोविंद जी का स्वागत किया।तदुपरांत विषय प्रबोधन के परिचय में डा उपेन्द्रमणि त्रिपाठी ने कहा होम्योपैथी के जनक डा हैनिमैन ने ऑर्गेनॉन ऑफ मेडिसिन के चौथे एफोरिज्म में ही चिकित्सक को प्रिसर्वर ऑफ हेल्थ कहकर उसका सामाजिक दायित्व निर्धारित कर दिया है कि व्यक्ति का ही इलाज न करें वरन अपने समाज को भी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करते रहें। यह दयोत्वबोध ही होम्योपैथ चिकित्सकों को आरोग्य भारती के जनकल्याणकारी पुनीत उद्देश्य से जोड़ता है। मुख्य अतिथि गोविंद जी ने अपने सम्बोधन में बीमार होने से पहले स्वास्थ्य रक्षा के पक्ष को राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहा स्वास्थ्य के शारीरिक , मानसिक मनोवैज्ञानिक , सामाजिक , धार्मिक , आध्यात्मिक , आयामों को संतुलन प्रदान करने में विशेषकर युवा होम्योपैथ चिकित्सकों की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि आयुष विधा की इस पद्धति में मानसिक लक्षणों से व्यक्ति की पहचान कर इलाज करते है और इस प्रकार चिकित्सक मनोवैज्ञानिक रूप से अपने मरीजों से जुड़ते हैं। देश और समाज के उन हिस्सों में जहां चिकित्सा सुविधाएं कम हैं वहां तक चिकित्सकों की उपलब्द्धता सुगम होनी चाहिए। कालेज के छत्रों को ऐसे क्षेत्रों में निरन्तर जाकर समाज को स्वस्थ रहने के लिए जरूरी जानकारी देनी चाहिए यह भी सेवा का बड़ा कार्य है। उन्होंने कहा आरोग्य भारती की सलाह पर भारत सरकार द्वारा गिलोय या गुडुच को राष्ट्रीय औषधि घोषित किया ऐसे ही तमाम वनौषधिया हैं जिनका मसालों के रूप में भारतीय परिवारों की रसोई में प्रयोग होता रहा पीढियां दीर्घायु व स्वस्थ रहती रहीं। वर्तमान में कोरोना या अन्य बीमारियां पाश्चात्य संस्कृति का दुष्परिणाम हैं जिनसे बचाव के लिए भारतीय जीवनशैली ही वैज्ञानिक सिद्ध होती है हमे इसका ज्ञान और गर्व होना चाहिए। अंत मे डा माधुरी गौतम ने आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी में डा अंजू सिंह रागिनी,डा अनुराग यादव, डा रविन्द्र नेमा, डा आरपी सक्सेना, डा सचिन नागरले, डा आईपी पटेल, डा पी एस त्रिपाठी, डा आशुतोष गुप्ता, डा मनोज कुमार, डा आनंद जायसवाल, डा रमेश मौर्य, डा शिव जनम यादव सहित महाविद्यालय के छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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