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अयोध्या के ऋषि सिंह बने इंडियन आइडल-13 के विजेता

मिला 25 लाख रूपये का चेक, इंडियन आइडल की विजेता ट्रॉफी और एक कार

अयोध्या। रामनगरी अयोध्या के निवासी ऋषि सिंह को रविवार को हुए सिंगिंग रिऐलिटी शो ’इंडियन आइडल’ के सीज़न 13 के ग्रैंड फिनाले में विजेता घोषित किया गया। ऋषि सिंह को 25 लाख रूपये का चेक, इंडियन आइडल की विजेता ट्रॉफी और एक कार दी गई। कुल 6 फाइनलिस्ट में देबोस्मिता रॉय और चिराग कोतवाल क्रमशः फर्स्ट रनर-अप और सेकेंड रनर-अप रहे। ऋषि सिंह ने गुजरात के शिवम शाह, जम्मू के चिराग कोतवाल और बंगाल से बिदीप्ता चक्रवर्ती, देबस्मिता रॉय, सोनाक्षी को हराकर इस खिताब पर कब्जा किया है।

’इंडियन आइडल 13’ जीतने वाले ऋषि सिंह अपने माता-पिता को भगवान की तरह पूजते हैं। दरअसल, ऋषि सिंह ने बताया था कि उनके माता-पिता ने उन्हें गोद लिया है। ऋषि सिंह की फैन फॉलोइंग का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि विराट कोहली सोशल मीडिया पर जिन 255 लोगों को फॉलो करते हैं, उनमें से एक ऋषि सिंह भी हैं। उत्तर प्रदेश की अयोध्या से आए ऋषि सिंह लगातार सोशल मीडिया पर ट्रेडिंग में भी रहते थे, जिसके बाद से कयास लगने लगे थे कि वही इस बार की ट्रॉफी जीतने वाले हैं।

इंडियन आइडल 13’ के ऑडिशन राउंड से ही सभी जज के फेवरेट बन चुके ऋषि सिंह की गायिकी को माधुरी दीक्षित, कुमार सानू, अब्बास-मस्तान जैसे सितारे भी पसंद करते हैं और सोशल मीडिय पर भी तारीफ कर चुके हैं। इंडियन आइडल 13 के विनर ऋषि सिंह हैं तो वहीं देबस्मिता रॉय और चिराग कोतवाल पहले और दूसरे उपविजेता रहे।

पिता बनाना चाहते थे बाबू, बेटा बना सुरों का सरताज


-रविवार को हुए इंडियन आइडल के 13वें सीजन के फिनाले का चैंपियन बने ऋषि सिंह के पिता उसे सरकारी बाबू बनाना चाहते थे, लेकिन वह सुरों के सरताज बन गया है। अयोध्या-फैजाबाद शहर के गुदड़ी बाजार के रहन वाले राजेंद्र सिंह और अंजली सिंह के ऋषि इकलौते बेटे हैं। हालांकि, इंडियन आइडल के मंच से ही ऋषि ने यह खुलासा किया था कि उनके अभिभावकों ने उन्हें गोद लिया था, जिस दिन वह पैदा हुए थे उनके मूल माता-पिता उन्हें छोड़कर चल गए थे। राजेंद्र-अंजली इस मुद्दे पर भावुक हो जाते हैं। वह कहते हैं कि इस मुद्दे को मत ही छेड़िए। बस इतना जान लीजिए, ऋषि हमारा बेटा है और हमारा ही बेटा है।

राजेंद्र बताते हैं कि उनका परिवार आध्यात्मिक प्रवृत्ति का है। वह आर्ट ऑफ लिविंग से जुड़े हैं। ऋषि को तीन साल की उम्र से ही घर के बगल में स्थित गुरुद्वारा, अयोध्या के दूसरे मंदिरों, कनक भवन सहित अन्य जगहों पर होने वाले सत्संग, भजन के कार्यक्रमों में लेकर जाते थे। ईश्वर की कृपा थी कि उसके अंदर संगीत के प्रति दिलचस्पी जगी। यहीं एक स्कूल में उसका दाखिला कराया तो वहां भी वह संगीत के आयोजनों में हिस्सा लेता रहा। स्कूली कार्यक्रमों से लेकर भजन-कीर्तन में उसकी गायकी ने लोगों का ध्यान खींचा। गाने के साथ ही हारमोनियम, गिटार, तबले पर भी ऋषि हाथ साधते रहे। पिता कहते हैं कि अयोध्या में संगीत की कोई औपचारिक शिक्षा की व्यवस्था नहीं थी और बाहर ले जाने की हमारी आर्थिक स्थिति नहीं थी। इसलिए, भजन- कीर्तन के कार्यक्रम ही उसकी औपचारिक शिक्षा थी। इसके अलावा एक स्थानीय गुरु सत्य प्रकाश ने भी सुरों को निखारने में ऋषि की मदद की।

ऋषि के गायन की चर्चा धीरे-धीरे स्कूल परिसर व मोहल्ले से बाहर पहुंचने लगी। अयोध्या महोत्सव जैसे मंच और कुछ निजी कार्यक्रमों में भी ऋषि के सुर गूंजने लगे और इसके साथ ही उसके सपने भी आकार लेने लगे। हालांकि, एक लोअर मिडिल क्लॉस फैमिली के सपने ऋषि से कुछ अलग थे। पिता बताते हैं कि वह अयोध्या के मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय में वरिष्ठ सहायक हैं। बहुत ही साधारण परिस्थितियों में आगे बढ़े व ऋषि को पाला। इसलिए, हमारी ख्वाहिश थी कि पढ़-लिखकर यह भी कोई सरकारी नौकरी पा जाए, जिससे भविष्य सुरक्षित हो जाए। सफलता की ऊंचाईयों के पहले असफलता की खाइयों को पार करना पड़ता है। ऋषि का सफर इससे अछूता नहीं रहा। ऋषि तीन-चार सालों से इंडियन आइडल के लिए प्रयास कर रहे थे लेकिन उनका सफर ऑडिशन तक भी नहीं पहुंच पा रहा था। इसी बीच ‘सिंग दिल से’ एक ऑनलाइन सिंगिग शो के लिए उनको बुलावा आया और कुछ विडियो रेकार्ड हुए। इसके अलावा अयोध्या में ही दोस्त अभिराज के स्टूडियों में उन्होंने कुछ अपने म्यूजिक विडियो बना यू ट्यूब पर शेयर किए।

टैलेंट के बाद भी पहचान की ‘किक’ उनसे दूर रही तो निराशा हावी होने लगी। पिता राजेंद्र सिंह बताते हैं कि इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद ऋषि को लगा कि उनके संगीत के सपने मुकाम तक नहीं पहुंच पाएंगे। उसने कहा कि अब पढ़ाई व नौकरी पर फोकस करेंगे। इसलिए, देहरादून के हिमगिरि यूनिवर्सिटी में एयरपोर्ट मैनेजमेंट के कोर्स में दाखिला ले लिया। आखिरकार, ऋषि की कोशिशें सफल हुईं और इस बार इंडियन आइडल के ऑडिशन में चुन लिए गए। माता-पिता कहते हैं कि ऋषि को जिस मौके की तलाश थी वह मिल गया। ऑडिशन में चुने जाने के बाद ही हम आश्वस्त थे कि बेटा विजेता बनेगा। ऋषि के टैलेंट के मुरीद बढ़ते गए। इंडियन आइडल के मंच पर आने वाला हर सेलिब्रेटी उनका प्रशंसक बन कर लौटा।

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