राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह 2025 : आठ देवालयों में शास्त्रीय अनुष्ठान का हुआ शुभारंभ

by Next Khabar Team
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राम दरबार, शेषावतार मंदिर समेत परकोटे के छह मंदिरों की मूर्तियों के प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान का मुख्य पर्व 5 जून को होगा

अयोध्या। श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल पर मंगलवार को श्री राम दरबार सहित अष्ट देवालयों में देव विग्रहों के प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम के प्रथम दिवस पर यज्ञशाला में विभिन्न शास्त्रीय अनुष्ठान का शुभारंभ हुआ। इन 8 देवालयों को फूलों से सजाया गया है। बाहरी हिस्से बिजली की सजावट से जगमग हो रहे हैं।

मंगलवार सुबह 6ः30 बजे से प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान शुरू हुए यह पूजा-पाठ अगले 12 घंटे तक जारी रहेगा। 101 पुजारी इस दौरान 1975 मंत्रों का पाठ करेंगे। अग्नि देवता को आहूति दी जाएगी। साथ ही, मूर्तियों के शुद्धिकरण की विधि को भी पूरा कराया जा रहा है। बुधवार को भी इसी प्रकार से पूजन विधि को संपन्न कराया जाएगा। राम मंदिर में अनुष्ठान के तहत रामरक्षा स्तोत्र, हनुमान चालीसा और अन्य भक्ति भजनों का पाठ किया जा रहा है। प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य समारोह 5 जून को होगा। इसमें राम दरबार (श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान) की प्राण प्रतिष्ठा के साथ-साथ सात अन्य मंदिरों में प्रतिमाओं की स्थापना की जानी है। सभी मंदिरों में इसके लिए मूर्तियों के शुद्धिकरण की प्रक्रिया सुबह से ही शुरू कर दी गई है।

वैदिक आचार्यों का कहना है कि मंगलवार को सुबह 6ः30 बजे से पूजन शुरू किया गया। वेदी पूजन, षोडश मात्रिका एवं सप्त मात्रिका पूजन, योगिनी पूजन, वास्तु पूजन, क्षेत्र पाल पूजन, सर्वतोभद्र पूजन, नवग्रह पूजन, यज्ञकुंड संस्कार, अरणि मंथन और यज्ञकुंड में अग्नि स्थापन, कुश कंडिका, प्रणिता प्रोक्षनी स्थापन, अग्नि सिंचन के साथ पंच वारुणी पूजन का कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसके बाद पीठ स्थापित देवताओं का आह्वान और पूजा किया जाएगा। यह पूजा विधि पूरी होने के बाद मूर्तियों के संस्कार की विधि शुरू होगी। इस पूजन विधि के दौरान भक्तों के दर्शन में किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं रहेगी।

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राम दरबार, शेषावतार मंदिर समेत परकोटे के छह मंदिरों की मूर्तियों के प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान का मुख्य पर्व 5 जून को होगा। इस दिन देव विग्रहों में प्राणों का आधान होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव गिरि ने कहा कि इस मांगलिक आयोजन का मुहुर्त कांची कामकोटि के जगदगुरु शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती ने निकाला है। उन्होंने बताया कि भगवान के नेत्रोन्मिलन के पहले प्राणों के आधान की प्रक्रिया पूरी कराई जाएगी।

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