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अनाथ ब्राह्मण परिवार के बच्चों के सहारा बने समाजसेवी राजन पाण्डेय

  • तीन बेटे व एक बेटी का उठायेंगे पूरा खर्च
  • मौके पर की तात्कालिक सहायता, कच्चे मकान को पक्का कराने का किया वादा
  • पहले पिता फिर मां की मौत के बाद अनाथ हो गये गरीब ब्राह्मण परिवार के बच्चे

अयोध्या। मिल्कीपुर विधान सभा क्षेत्र में आने वाली ग्राम सभा जयराजपुर में रसोइया प्रमिता पाण्डेय की चार दिन पहले हुई अचानक मृत्यु से इस गरीब निर्धन ब्राह्मण परिवार में तीन बेटे व एक बेटी अनाथ हो गये। विधि की विडम्बना ऐसी कि पिता का साया 6 वर्ष पूर्व ही इन बच्चों के सिर पर से उठ चुका था व अब मां के चले जाने से बच्चे एक-एक तिनके के सहारे के लिए तरस रहे हैं। मृतक मां प्रमिला पाण्डेय बड़ी मेहनत करके किसी तरह इन बच्चों का लालन पालन कर रही थी, पर होनी को कौन टाल सकता है। अत्यन्त कष्ठप्रद इस घटना की जानकारी जब समाजसेवी राजन पाण्डेय को हुई तो वह सपत्नी डा. तृप्ती पाण्डेय के साथ व पुत्र अंकित पाण्डेय को साथ लेकर परिवार के बच्चें के पास पहुंचे व इंसानियत व नेक दिली के लिए विख्यात इस समाजसेवी दम्पत्ति का हृदय इन बच्चों की दीन दशा व करूण क्रुन्दन सुनकर भाव विभाकर हो उठा। पत्नी के साथ घटनास्थल पर पहंचे समाजसेवी ने इन बच्चों के सिर पर संरक्षक की भांति हाथ रखते हुए ममत्व भरा हृदय स्पर्शी भाव से गले लगाकर दम्पत्ति ने बच्चों को ऊनी वस्त्र, अन्य वस्त्र, खाद्य सामाग्री, कम्बल व रोजमर्रा के खर्च के लिए दो हजार रूपये की नकद धनराशि प्रदान किया व बच्चों से किसी भी प्रकार की चिंता न करने व दुखी न होने के लिए भावुक होकर समझाया। समाजसेवी श्री पाण्डेय ने इन बच्चों के कच्चे मिट्टी के आवास को देखते ही बहुत दुखी हुए व मातृ-पितृ विहीन हो चुके इन बच्चो से अविलम्ब एक सप्ताह के भीतर ही उनके लिए पक्का मकान बनाने का वादा किया व तुरन्त ही इसके लिए सामग्री व्यवस्था प्रारम्भ करने के लिए अपने पुत्र अंकित पाण्डेय को निर्देशित किया। करूणा से भरे हुए रूंधे स्वर में उपस्थित लोगों के मध्य समासजसेवी ने बताया कि इसी प्रकार से विपत्ति के सताए एक मुस्लिम व एक दलित परिवार के अनाथ हो चुके बच्चों की सम्पूर्ण जिम्मेदारी मै लगभग पांच वर्षों से उठा रहा हूं व आज आप सभी को साक्षी मानकर अनाथ हो चुके इन गरीब ब्राह्मण बच्चों की शिक्षा दीक्षा से लेकर शादी ब्याह व समस्त खर्च का निवर्हन एक अभिभावक की भांति सदैव करने के लिए कृत संकल्पित हूं व भविष्य मेंं इस परिवार की सम्पूर्ण जिम्मेदारी मै अपने परिवार की भांति निर्वहन करने का वंचन देता हूं। उन्होंने रोषपूर्ण लहजे में कहा कि अभी महज तीन दिन पहले गांव से चंद किमी की दूरी पर स्थित संत भीखादास की कुटी पर स्वयं को ब्राह्मणों का पालनहार कहने वाली चाणक्य परिषद के पुराधाओं ने पूरी अयोध्या लोकसभा से एकत्रित होकर ब्राह्मण उत्थान को लेकर गहन विचार विमर्श किया था लेकिन अनाथ निर्धन हो चुके इन बच्चों के पास काई भी नहीं पहुंच सका। उन्होंने कहा कि हमारे समाज को वर्गों, समुदायों में बांटने वाली ऐसी संस्थाएं हमारी एकता अखंडता व आपसी भाईचारे के लिए खतरा है व इनके विस्फोटक विचारों से समाज के किसी भी वर्ग का कोई भला नहीं हो सकता है ऐसे झूठा दम्भ भरने वाले लोग यह भूल गये है कि विपदाएं किसी पर भी आ सकती है। इस अवसर पर समाजसेवी के साथ राजेश उपाध्याय, रजनीश मिश्रा, विमलेश शुक्ला, शिवकेश शुक्ला, आलोक द्विवेदी, अंकुल मिश्रा, आशीष मिश्रा, गिरीश पाठक, अनिल मिश्रज्ञ, राजू शर्मा, आशीष्ज्ञ पाण्डेय आदि लोग उपस्थित थे।

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