फर्म संचालक ने कहा टेंडर के लिए मांगा जा रहा 25 लाख
अयोध्या। पीडब्लूडी निर्माण खण्ड -2 के अभियंता एसजी इंटरप्राइजेज के द्वारा डाले गये लो रेट टेन्डर को वापस लेने के लिये फर्म संचालक पर दबाव डाल रहें है। लोक निर्माण विभाग में टेंडर को लेकर फर्जीबाड़ा कायम है। उक्त जानकारी फर्म संचालक गोपेश अग्रवाल ने शाने अवध सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में दी। उन्होंने बताया कि अधीक्षण अभियंता कार्यालय ने मवई ब्लाक से मवई चौराहा तक 5.50 किमी. मार्ग के चौड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण का ऑनलाइन टेण्डर निकाला था। एसजी इंटरप्राइजेज ने 8.08 करोड़ रुपये का टेण्डर डाला था जो अन्य फर्मो द्वारा डाले गये टेण्डर राशि मे सबसे कम था नियमानुसार लोएस्ट टेण्डर डालने वाली फर्म को ठेका दे दिया जाना चाहिये। गोपेश अग्रवाल का आरोप है कि लोक निर्माण विभाग द्वितीय खण्ड के एई वी.के. सिंह व एक्शियन भूपेश मणि उनपर डाले गये टेंडर को वापस लेने के लिये दबाव बना रहे है। उनका कहना है कि 25 नवम्बर 2019 के टेण्डर में 13 फर्मो, 24 जनवरी 2020 के टेण्डर में 7 फर्मे व 25 फरवरी 2020 में 4 फर्मो ने टेण्डर डाला। उन्होंने बताया कि पहले टेंडर में 12, दूसरे में 6 और तीसरे में 3 फर्में डिसक्वालीफाई हो गयीं नियमानुसार एकल टेंडर को देने की व्यवस्था नहीं है इसलिए बार-बार टेंडर निरस्त किया जाता रहा। जबकि उनकी फर्म का टेंडर तीनों बार सही पाया गया। उन्होंने बताया कि विभागीय अभियंता उनपर दबाव बना रहे हैं कि ऊपर का आदेश है कि फर्म विशेष जो लखनऊ की है उसे टेंडर दिया जाय। उनका यह भी कहना है कि अभियंताओं का कहना है कि यदि वह 25 लाख बतौर सुविधा शुल्क अदा कर दें तो उन्हें ठेका दे दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि यदि डाले गये टेण्डर की जांच कराई जाए तो स्पष्ट हो जाएगा कि एसजी इंटरप्राइजेज का टेण्डर लोएस्ट है। श्री अग्रवाल का यह भी आरोप है कि लखनऊ अजय विल्डर को विभाग के अभियंता नियम विरुद्ध टेण्डर देना चाहते है। उनका यह भी कहना है कि यदि किसी अन्य फर्म को टेण्डर दिया गया तो सरकार को लगभग 40 लाख रुपये का नुकसान होगा। ऐसी दशा में मुख्यमंत्री से हमारी मांग है कि टेण्डर प्रक्रिया की उच्चस्तरीय जांच करायें जिससे सरकार की 40 लाख की संभावित हानि को रोका जा सके।