कहा-भारत की वैभवशाली गरिमा सर्वे भवन्तु सुखिनः की परम्परा पर आधारित
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 24 वे दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ0 रमेश पोखरियाल निशंक रहे। समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ0 पोखरियाल ने कहा कि यह धरती मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम की है। एक प्रशासक के रूप में, भाई के रूप में सामाजिक समसरता के रूप में भगवान श्रीराम समूचे विश्व के लिए अनुकरणीय है। भारत की वैभवशाली गरिमा सर्वे भवन्तु सुखिनः की परम्परा पर आधारित है। यह हम सभी का दायित्व है कि इस समृद्व संस्कृति का प्रसार प्रसार करें। एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना तभी साकार होगी जब हम शिक्षा के क्षेत्र में समृद्व होंगे विज्ञान एवं तकनीक पर हमें आगे बढ़ना होगा। भारत देश में पूरे विश्व में योग और बसुधैव कुटुम्कम् की विचार धारा को आम जनमानस के बीच फैलाया। आवश्यकता है कि हम अपने विश्वविद्यालयों एवं शैक्षिक संस्थानों को विश्व स्तर की रैंकिंग में शामिल करने का संकल्प लें। ये नये भारत की आधारशिला होगा। 35 वर्षों के बाद नई शिक्षा नीति लागू करने की स्थिति में हम आगे आये हैं। यह शिक्षा संस्कारयुक्त परिणाम आधारित होगी। सम्पूर्ण मानवता देश की तरफ एक आशा से देख रही है। भारत विश्वगुरू की दिशा में अग्रसर है। वर्तमान समय में देश में लगभग 900 से अधिक विश्वविद्यालय हैं अब आवश्यकता शिक्षा में गुणवत्तापरक एवं परिणाम जनक सुधार की। डॉ0 पोखरियाल ने कहा कि जीवन में परिवर्तन केवल संकल्प से आता है। राम को भारतीय संस्कृति से जोड़ते हुए इंडोनेशिया की सांस्कृतिक विरासत में भगवान राम के आदर्शों की परम्परा वहां के घर-घर में हैं। राम राज्य में ना तो कोई वैरी था, ना कोई असमानता थी। दैहिक दैविक और भौतिक ताप से समस्त जन समुदाय मुक्त था। डॉ0 निशंक ने कहा कि हम समस्त विद्यार्थियों से यह अपेक्षा करते हैं कि राम की इस धरती पर स्थापित विश्वविद्यालय राम का अनुसारण करें जो आप सभी को हर चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बना देगा। नई शिक्षा नीति के तहत स्वयं, स्वयंप्रभा, दीक्षांरभ, एनआरआर, जैसे महत्वपूर्ण वेबसाइट गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण सिद्व हो रहे। शोध कार्य सामाजिक समस्याओं पर आधारित हो तो बड़े पैमाने पर सफलता अर्जित की जा सकती है।