भारत व दक्षिण कोरिया की साझा सांस्कृतिक विरासत की प्रतीक है अयोध्या में कोरिया की रानी हो का स्मारक : के.के. यादव
अयोध्या। दक्षिण कोरिया के साथ अयोध्या का सदियों पुराना भावनात्मक रिश्ता रहा है। इतिहास में इसके संकेत मिलते हैं कि श्रीराम की नगरी अयोध्या की एक राजकुमारी दक्षिण कोरिया की महारानी बनीं और लगभग 2 हजार साल पहले उन्होंने वहाँ राज किया। उनकी स्मृति में अयोध्या में निर्मित कोरिया की ’रानी हो’ का स्मारक साझा संस्कृति का परिचायक है। उक्त उद्गार लखनऊ (मुख्यालय) परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव ने कोरिया की ’रानी हो’ का स्मारक पर विशेष आवरण व विरूपण जारी करते हुए व्यक्त किये। सरयू तट स्थित इस स्मारक की 18 वीं वर्षगाँठ पर आयोजित कार्यक्रम में इसे डाक विभाग द्वारा अयोध्या शोध संस्थान के सौजन्य से जारी किया गया। इस अवसर पर सेंट्रल करक क्लान सोसायटी, कोरिया गणराज्य के नेतृत्व में आये प्रतिनिधियों ने रानी हो को पुष्पांजलि व्यक्त करते हुए पुनीत स्मरण किया, वहीं अयोध्या शोध संस्थान ने अवधी संस्कृति पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर कोरिया के लोगों का दिल जीत लिया।
अयोध्या व द. कोरिया के मध्य डाक विभाग द्वारा जारी विशेष आवरण करेगा संस्कृतिक दूत का कार्य
डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि अयोध्या और द. कोरिया के मध्य डाक विभाग द्वारा जारी विशेष आवरण सांस्कृतिक दूत का कार्य करेगा। इस विशेष आवरण से रिश्तों की डोर में मजबूती वैश्विक फलक पर दूरगामी साबित होगी। रामायण पर जारी डाक टिकटों को इस आवरण पर लगाकर और भी महत्वपूर्ण बनाया गया है। डाक टिकट और विशेष आवरण सदैव सांस्कृतिक राजदूत की भूमिका निभाते हैं, ऐसे में इस आवरण से पूरे विश्व में कोरिया व अयोध्या के सांस्कृतिक सम्बन्धों का प्रसार होगा। दुनिया भर के डाक टिकट संग्राहकों के लिए यह एक अमूल्य निधि की तरह है। श्री यादव ने कहा कि अयोध्या शोध संस्थान हमेशा अयोध्या से दक्षिण कोरिया के पुराने रिश्तों में प्रगाढ़ता लाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहा है, इस विशेष आवरण के माध्यम से दोनों देशों के बीच पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा ।
सेंट्रल करक क्लान सोसायटी, कोरिया गणराज्य के वाइस प्रेसीडेंट किम हॉक किल ने कहा कि, महारानी का स्मारक भारत-कोरिया के मधुर सम्बन्धों की आधारशिला है। यह स्मारक हमें अपने पूर्वजों का स्मरण कराने के साथ-साथ हमें अपनी जड़ों से भी जोड़ता है। यही कारण है कि हम यहाँ बार-बार आकर अपने पूर्वजों की सूक्ष्म उपस्थिति महसूस करते हैं। इसके साथ ही श्री किम ने विशेष आवरण के लिए डाक विभाग तथा अयोध्या शोध संस्थान का आभार व्यक्त किया। इस दौरान मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, राजा विमलेंद्र मोहन मिश्र, प्रवर अधीक्षक डाकघर जेबी दुर्गापाल, सहायक अधीक्षक उमेश कुमार, मुख्य विपणन अधिकारी सत्येन्द्र प्रताप सिंह, अयोध्या शोध संस्थान के प्रबंधक राम तीरथ, अंतर्राष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय के उपनिदेशक योगेश यादव, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी बृजपाल सिंह, सहित तमाम लोग मौजूद रहे ।
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