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शोध में सांख्यिकी डेटा को सुसंगत तरीके से करे प्रयोगः प्रो.एस.एस. मिश्र

शोध प्रविधि विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का तीसरा दिन

अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संत कबीर सभागार में इन्टरनल क्वालिटी एश्योरेन्स सेल के अन्तर्गत “शोध प्रविधि” विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला के तीसरे दिन तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता विश्वविद्यालय के गणित एवं सांख्यिकी विभाग के प्रो0 एस0एस0 मिश्र ने सांख्यिकी उपकल्पना में आर साफ्टवेयर के प्रयोग पर तकनीकी पक्षों की सहायता से शोध कार्य के डेटा को सुसंगत तरीके से प्रयोग करने का सुझाव दिया। प्रो0 मिश्र ने नवी शताब्दी के इटैलियन गणितज्ञ पियानों के सिद्धांतों की पर भी प्रकाश डाला और उनके द्वारा अंकों की खोज को पाॅवर पाॅइंट प्रजेंटेशंन के माध्यम से सांख्यिकी प्रयोग एवं साइंस और मेटा साइंस पर हो रहे शोध पर कई तथ्य प्रस्तुत किये। प्रो0 मिश्र ने ऊॅ0 शब्द को बह्माण्ड का एक पूर्ण अक्षर माना है आदिकाल से लेकर आनादि तक सभी शक्तियों का केन्द्र ऊॅ0 में है। कई वैज्ञानिक शोधों में भी गायत्री मंत्र के महत्व को स्वीकार किया जा चुका है। भारतीय संस्कृति में प्रचलित योग शास्त्र में कई प्रकार के चुनौती पूर्ण बीमारियों से निजात पाने के उपाय उपलब्ध है जिसे अभी तक मेडिकल साइंस में लाइलाज माना गया है। प्रो0 मिश्र ने शोध कार्यों में सैम्पल सेलेक्शन के तरीके के मानकों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि सींखने के तीन प्रकार है इसमें सींखने के लिए सीखना, नये ज्ञान की प्राप्ति के खोजना एवं आय अर्जन के लिए सीखना जैसे प्रमुख विन्दुओं पर टिप्स दिये।
द्वितीय तकनीकी सत्र में दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर, अंग्रेजी विभाग के प्रो0 अजय कुमार शुक्ल ने शैक्षणिक सत्यनिष्ठा एवं साहित्यिक चोरी के रोकथाम पर यू0जी0सी0 द्वारा उठाये गये कदमों पर कई सुझाव पाॅवर पाॅइंट प्रजेटेंशन के माध्यम से रखा। प्रो0 अजय ने बताया कि किस प्रकार से शिक्षक, शोधरत छात्र, साहित्यिक एवं बौद्धिक चोरी से बचे क्योकि यू0जी0सी0 एक्ट 2018 के प्रावधानों के अनुसार बौद्धिक चोरी को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है। साहित्यिक एवं शोध लेख, शोध प्रबंधों की वैधता की जाॅच के लिए कई साफ्टवेयर वेबसाईट पर उपलब्ध है।
तकनीकी सत्र में कार्यशाला के संयोजक प्रो0 अशोक शुक्ल ने प्रश्नावली निर्माण एवं प्रारूप पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शोधार्थी प्रश्नावली निर्माण में भाषा, शब्द चयन का चुनाव सोच समझकर करना चाहिये। प्रश्नावली शोध का एक महत्वपूर्ण माध्यम होता है। प्रश्नावली के जरिये प्राथमिक डेटा संग्रहित किया जाता है जो सामाजिक शोध के साथ-साथ वैज्ञानिक शोधों में भी समान स्तर का महत्व रखता है। प्रश्नावली का निर्माण बहुत बड़ी न होकर समान्य रखा जाये ताकि उत्तरदाता आसानी से उसका उत्तर दे सके। सत्र में डाॅ0 गीतिका श्रीवस्तव ने शोध में रिर्पोट राइटिंग की प्रस्तुति पर तकनीकी पक्षों पर प्रस्तुति देते हुए कहा कि रिर्पोट राइटिंग में सामायिक संदर्भों का चयन महत्वपूर्ण होता है। स्थानीय एवं राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में उसका क्या महत्व है इस पर भी ध्यान देना आवश्यक होता है।
कार्यशाला का संचालन प्रो0 नीलम पाठक ने किया। इस अवसर पर प्रो0 राजीव गौड़, डाॅ0 शैलेन्द्र कुमार, डाॅ0 नीलम यादव, डाॅ0 तुहिना वर्मा, डाॅ0 सिधू, डाॅ0 नीलम सिंह, डाॅ0 विनोद चैधरी डाॅ0 अनिल यादव, डाॅ0 महेन्द्र सिंह, डाॅ0 सुरेन्द्र मिश्र, डाॅ0 विजयेन्दु चतुर्वेदी, डाॅ0 आर0एन0 पाण्डेय, डाॅ0 अशोक मिश्र, डाॅ0 त्रिलोकी यादव, डाॅ0 अनुराग पाण्डेय, डाॅ0 मणिकांत त्रिपाठी, इं0 आर0के0 सिंह, इं0 परिमल त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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बीए आनर्स जैनोलाॅजी व एमए जैनोलाॅजी पाठ्यक्रम शामिल

अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या के प्रवेश परीक्षा-2019-20 के समन्वयक प्रो0 हिमांशु शेखर सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित के आदेशानुसार परिसर में संचालित पाठ्यक्रमों में दो अन्य पाठ्यक्रमों में बी0ए0 आनर्स जैनोलाॅजी एवं एम0ए0 जैनोलाॅजी शामिल कर दिये गये है। इन पाठ्यक्रमों के साथ स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में प्रवेश परीक्षा की फीस जमा करने की अंतिम तिथि 30 मई, 2019 है। विद्यार्थिंयों को फार्म पूरित करने की अंतिम तिथि 31 मई, 2019 तक विस्तारित कर दी गई है। प्रो0 सिंह ने बताया कि परिसर में संचालित स्नातक एवं परास्नातक पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षा 18, 19 एवं 20 जून, 2019 को कराये जाने की तिथि निर्धारित की गई है। उन्होंने बताया कि संचालित पाठ्यक्रमों में प्रवेश परीक्षा सम्बन्धित जानकारी संभावित तिथियों के पूर्व विश्वविद्यालय की वेबसाइट ूूूण्तउसंनमदजतंदबमण्पद पर उपलब्ध रहेगा।

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